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कृषि विनाश के कारण हम तो नहीं ....................?

कृषि विनाश के कारण हम तो नहीं ....................?

 किसान को अन्नदाता कहा जाता है क्योकि किसान अन्न उगाता है सारी दुनिया दिन में दो बार भोजन और दो बार जलपान करते हैं। यह किसान की कृपा से ही सम्भव है। अगर मैं यह कहूँ  कि किसान देश में बीमारियाँ भी फैला रहे हैं, तो आपको ताज्जुब होगा, लेकिन यह एक कड़वा सत्य है  । आश्चर्यजनक बात यह है कि किसान इस  हकीकत से बखूबी वाकिफ हैं, लेकिन फिर भी कर रहे है बदलना नही चाहते हैं 

कीटनाशकों से हो रहा नाश

जैविक खेती पर्यावरण के लिए खतरा नही बल्कि लाभकारी

जैविक खेती ...

 कुछ दिनों पहले मैंने समाचार पत्र के माध्यम से सुना की कुछ बैज्ञानिकों ने जैविक को रासायनिक खेती की तरह ही दर्जा दे डाला  हमार देश के विशेषज्ञ वही बात ही बोल रहे है जो कुछ समय पहले अमेरिका ने कहा था मुझे ये समझ नही आता है की हमारे विशेषज्ञ अपना परीक्षण करने के बजाय पश्चिमी देशो द्वारा दिया गया त्थ्थों को क्यों दोहराते है 
अमेरिका ने कहा है तो सत्य ही होगा ऐसी अबधारना हमारे ऊपर हाबी हो चुकी है 

जैविक कीटनाशक का प्रयोग उत्तम भविष्य की शुरुआत

 जैविक कीटनाशक

हमारी देश की ७०% जनसंख्या आज भी खेती पर निर्भर है हमारे किसान बंधू   फसल पैदावार बढ़ाने के लिए किसान उन्नत बीज, संतुलित खाद व ¨सचाई आदि सभी संभव प्रयास करते हैं, फिर भीकई बार उन्हें निराशा हाथ  लगती है कारण  फसल में रोग व कीटों का प्रकोप। उनकी रोकथाम के लिए किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, जो फसल और भूमि के साथ-साथ किसानों के लिए भी हानिकारक है। कीटनाशकों से जहां फसल के जरिए कुछ विषैले तत्व मनुष्य के शरीर में पहुंचते हैं, वहीं कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान कई किसान अपनी जान भी गंवा बैठते हैं । कीटनाशकों के विषैले तत्व हमारे पर्यावरण को भी प्रभवित करते है  नतीजा ........

किसानों के सुनहरे भविष्य के लिए लाभकारी टिकाऊ खेती

 किसानों के सुनहरे भविष्य के लिए लाभकारी टिकाऊ खेती

आज देश में बढ़ती हुयी जनसंख्या को पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. वही बिगत साठ वर्षो से प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से हमने बहुत कुछ खो दिया है. दिन प्रतिदिन नई तकनीकों का प्रयोग करके अधिक उत्पादन की चाह में हमने पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण को मिट्टी प्रदूषण को बढ़ावा दिया है. एक ही खेत में लगातार धान्य फसलों के सघन खेती करने से तथा असंतुलित उर्वरकों एवं रसायनिक कीटनाशी के प्रयोग से मृदा संरचनाए, वायु संचार की दशा तथा मिट्टी जैविक पदार्थ में लगातार गिरावट आयी है. कृषि में रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से जहां खेती की लागत में वृद्धि हुयी है.

सहिजन और अजवाइन सस्ते-सुलभ वाटर प्यूरीफायर

सहिजन और अजवाइन सस्ते-सुलभ वाटर प्यूरीफायर

देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं। यहां आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताई जा रही हैं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी। यह पानी जो जीवन देता है यही जब प्रदूषित हो जाता है तो जीवन ले भी लेता है। बरसात के मौसम में उफनती हुई नदियां, तालाब, पोखरे न जाने कहां-कहां की और कैसी-कैसी गंदगियां बहाए लिए आ रहे हैं, हम नहीं जान पाते। नल और बोरिंग से आने वाला पानी कितना शुद्ध है, यह भी आम आदमी को ज्ञात नहीं। वाटर प्यूरीफायर तो शायद देश की पूरी आबादी का एक प्रतिशत भी प्रयोग नहीं करता

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