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शिकंजे में जैविक खेती

 शिकंजे में जैविक खेती

जरा सोचिए, देश के किसी दूर-दराज इलाके का छोटा किसान जिसकी रोजी-रोटी एक एकड़ से भी कम खेती पर टिकी है और जो ज्यादा महंगे उरर्वक डालने के बजाए परंपरात खेती के भरोसे है, उसे जैविक खेती करने वाला किसान कहलाने के लिए क्या करना पड़ेगा?

जैविक खेती ............नाडेप

जैविक खेती ............नाडेप

मै सोचता था की कैसे चरक ने कई सौ साल पहले कहा था की हर वनस्पती एक औषधी है। तब मेने ये भी जाना की हर वनस्पती भूमि को उपजाऊ बनाती है, पर कैसे...............

एक बात मेने जानने की कोशिश की क्या हर वनस्पती कुछ खास तत्व के अधिकता के कारण कुछ लक्षण दिखाती है.

 

क्या ये भी होता है कि तत्व पौधो को मिलते वो जमीन मे भी आते है

हाँ होता है.

कुछ पौधो और वनस्पतियाँ और उनमे पाये जाने वाले तत्व जिनसे हम नाडेप बनाते है तो कुछ हद तक जमीन मे तत्वो की कमी खत्म कर सकते है .

ये कुछ पौध निम्न सूची मे

भारतीय कृषि से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य और जानकारी

भारतीय कृषि से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य और जानकारी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है. 1960 के बाद देश में कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया. भारत की खेती से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्‍य इस प्रकार हैं:

(1) भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 51 फीसदी भाग पर कृषि, 4 फ़ीसदी पर पर चरागाह, लगभग 21 फीसदी पर वन और 24 फीसदी बंजर और बिना उपयोग की हैI 

(2) देश की कुल श्रम शक्ति का लगभग 52 फीसदी भाग कृषि और इससे सम्बंधित उद्योग और धंधों से अपनी आजीविका चलता है I 

एक गाय, पांच एकड़ खेती

एक गाय, पांच एकड़  खेती

हींग लगे न फिटकरी, रंग चढ़े चोखा। शून्य लागत पर प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए यह कहावत सच साबित हो रही है। बिना रासायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग के सिर्फ गोबर व गोमूत्र के प्रयोग से अनाज व सब्जी का अधिक उत्पादन मिलने लगा है। अपने पास अगर एक गाय है, तो पांच एकड़ तक खेती के लिए खाद की चिंता नहीं रहेगी। बस गोबर और गुड़ से ही फसल लहलहाएगी। गुणवत्तापूर्ण अधिक उत्पादन भी मिलेगा।

 

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