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जैव उर्वरक खेती के लिए एक अनिवार्य अदान-प्रदान

जैव उर्वरक  खेती के लिए एक अनिवार्य अदान-प्रदान

परिचय- पोषण भोजन सजीवों की प्राथमिक आवश्‍यकता है जो पौधों की वृद्धि एवं विकास में सहायक है, जिसमें सभी तत्‍वों का आवश्‍यक एवं संतुलित मात्रा में होना अति आवश्‍यक है, पौधो के लिए मुख्‍यत: हवा पानी भूमि तथा उर्वरकों से प्राप्‍त होते है। पोषक तत्‍वों को पौधों की प्राय अवस्‍था में बदलने का कार्य सूक्ष्‍म जीवों द्वारा किया जाता है। ये सूक्ष्‍म जीव ही जैव उर्वरकों के नाम से जाने जाते है, जो भोजन की पूर्ति के साथ-साथ फसल को कई प्रकार से लाभान्वित करते है जैसे पादप क्रियाओं में वृद्धि पौधों के लिए विटामिन्‍स तथा हारमोन्‍स का निर्माण तथा उनका क्रियान्‍वयन, एन्‍टीबायोटिक व रोग निरोधक क्षमता का निर्मा

बिना पानी का कल ! कितना विकट है जल संकट?

पानी के बिना जीवन की कल्पना बेमानी है। जल जीवन की मूलभूत जरूरतों में से एक है, जिसका उपयोग पीने, भोजन बनाने, सिंचाई, पशु-पक्षियों के साथ औद्योगिक इकाइयों के लिए बेहद जरूरी है। बहुत ज्यादा वक्त नहीं बीता है, जब मालदीव में जल संकट उत्पन्न हो गया था। जिसमें भारत की तरफ से 12 सौ टन से ज्यादा ताजा जल भेजा गया। जल संकट का यह तो केवल संकेत मात्र है। पूरे विश्व में हालात कितने विकराल होंगे, यह कह पाना बेहद मुश्किल है। 

कृषि में करियर के हैं अवसर

कृषि में करियर के हैं अवसर

पशु वैज्ञानिक मांस, मछली तथा डेयरी उत्पादों के उत्पादन तथा प्रसंस्करण में सुधार लाने के अनुसंधान कार्य करते हैं। वे पालतू बनाए गए फार्म पशुओं, आनुवंशिक, पोषण, पुनर्जनन, वर्धन तथा विकास का अध्ययन करने के लिए जैवप्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हैं। कुछ पशुवैज्ञानिक पशुधन खाद्य उत्पादों का निरीक्षण तथा श्रेणीकरण करते हैं, पशुधन खरीदते हैं या तकनीकी बिव्री अथवा विपणन में कार्यरत हैं। विस्तार एजेंटों वैतनिक या सलाहकार के रूप में पशु वैज्ञानिक कृषि-उत्पादकों को पशु आवासन सुविधाओं को उपयुक्त रूप से बढ़ाने, अपने पशुओं की मृत्यु-दर कम करने, अपशिष्ट पदार्थों के उपयुक्त रूप से हस्तन या दूध या अंडों जैसे प

मानसून की मोहताज अर्थव्यवस्था

मानसून की मोहताज अर्थव्यवस्था

अलनीनो के कारण वैश्विक वर्षा क्षेत्र अस्त-व्यस्त होने से भारत के मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस समय जहाँ एक ओर देश के किसान लगातार मौसम की खराबी का ख़ामियाज़ा भुगतते-भुगतते हताश दिखाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हाल ही में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडीओ) के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियन वेदर ब्यूरो (एडबल्यूबी) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि अलनीनो के भारत आने की आशंका सामान्य से तीन गुना ज्यादा है। अलनीनो के कारण दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान भारत में होने वाली बारिश सामान्य की तुलना में 93 फीसद रह सकती है। वस्तुत: अलनीनो उस समुद्री घटना का नाम है जब प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के अत्यधिक गर

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