Aksh's blog

केवल अच्छा मानसून ही कृषि और विकास दर का सूचक नही

केवल अच्छा मानसून ही कृषि और विकास दर का सूचक नही

भारत के मौसम विभाग ने जबसे इस साल सामान्य से ज्यादा मानसून की भविष्यवाणी की तब सेलोगों में मानसून चर्चा का विषय बन गया है। अधिकतर लोग यही बात कर रहे हैं कि अच्छी बारिश से न सिर्फ कृषि को बहुत ज्यादा फायदा होगा लेकिन पूरी इकोनॉमी और शेयर बाजार को भी फायदा होगा। जिसके लिए मानसून जरूरी है। अगर आप गहराई में जाएंगे तो पाएंगे कि ये तर्क गलत साबित होते हैं।

 

मौसम विभाग पर भरोसा नहीं

 

गरीबी, भुखमरी, कुपोषण की जड़

गरीबी, भुखमरी, कुपोषण की जड़

गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, असमान विकास की उपर्युक्त स्थितियां एक दिन में पैदा नहीं हुई हैं। इसकी जड़ स्वायत्तशासी आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थतंत्र के क्रमिक पतन में निहित हैं। आजादी के बाद पूंजी प्रधान विकास रणनीति अपनाने से विकास क्रम में मानव शक्ति का महत्व गौण हो गया। इसके परिणामस्वरूप भारत के अपने शिल्प, लघु व कुटीर उद्योग, कला और पारंपरिक रूप से चलते आ रहे अन्य धंधे धीरे-धीरे खत्म होने लगे। इन धंधों से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश जनता को आय होती थी, लोगों की जरूरतें स्थानीय स्तर पर पूरी होती थी और गरीबों का पेट पलता था। इन धंधों के उजड़ने से गरीबों का सहारा छिनता रहा। इससे धीरे-धीर

हरित क्रांति की आग में झुलसते पंजाबी पुत्तर

हरित क्रांति की आग में झुलसते पंजाबी पुत्तर

क्या आपको पता है कि हमारे देश में एक ट्रेन ऐसी भी चलती है, जिसका नाम ‘कैंसर एक्सप्रेस’ है? सुनने में यह बात हतप्रभ करने वाली है, पर यह सच है, भले ही इस ट्रेन का नाम कुछ और हो, पर लोग उसे इसी नाम से जानते हैं। यह ट्रेन कैंसर बेल्ट से होकर गुजरती है। यह ट्रेन भटिंडा से बीकानेर तक चलती है। इसमें हर रोज कैंसर के करीब 70 यात्री सफर करते हैं। जानते हैं यह यात्री कहाँ के होते हैं? पंजाब का नाम तो सुना ही होगा आपने?

भारतीय देसी गौ वंश देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार

भारतीय देसी गौ वंश

गिरती अर्थव्यवस्था. (आयात बिल पेट्रोल डीजल रसोई गैस दवाई उर्वरक सब विदेशो से आता है, घर की जगह विदेशी उत्पादों से मोह किसी भी वजह से) किसानों की आत्महत्या. (कारण हर चीज बाहर से खरीदना रासायनिक खेती में, जैसे बीज, खाद, कीट नाशक, ट्रैक्टर, डीजल और उपज के समय मंडी में भाव न मिलना.)

बढ़ती महंगाई और बढती गरीबी (मूल कारण अत्यधिक टैक्स, पेट्रोल, डीज़ल की बढ़ती कीमत, रुपये की गिरावट, भ्रस्टाचार और अंग्रेजी व्यवस्था)

बिजली की कमी (प्राकृतिक संसाधन की कमी और उसपर होने वाला खर्च)

पानी की कमी. (ग्लोबल वार्मिंग)

शुद्ध भोजन की कमी (केमिकल FARMING)

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