Aksh's blog

जैविक खाद और कृषि

जैविक खाद और कृषि

खेत में कीटनाशक दवाओं के प्रयोग का एक दुष्परिणाम यह निकलता है कि खेतों में पौधों और बाग़ों में वृक्षों की जड़ों में मौजूद पानी में इन दवाओं के घुलने से उत्पाद दूषित हो जाते हैं। इस प्रकार नाना प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाषक दवाओं व हारमोनों के प्रयोग के कारण बचे हुए पदार्थ लोगों के भोजन चक्र में प्रविष्ट हो जाते हैं और दीर्घकाल में बहुत से अज्ञात रोगों का कारण बनते हैं। इस चिंता को कम करने का एक मार्ग, जैविक खाद के प्रयोग द्वारा कृषि उत्पादन की शैली में परिवर्तन लाना है।

दूसरी हरित क्रांति एक और भ्रांति!

दूसरी हरित क्रांति एक और भ्रांति!

चाहे जो पार्टी सत्ता में हो, खेती किसी की चिंता नहीं है. बस इतनी चिंता है कि किसान इतना नाराज न हो जाये कि वह वोट न दे. इसीलिए किसान को जुमले सुनाये जाते हैं. ऐसे जुमले, जिसके पीछे कोई सोच नहीं है.

 

हमारे प्रधानमंत्री को जुमलों का शौक है. खासतौर पर उधार के जुमलों का. इस बार उन्होंने ‘दूसरी हरित क्रांति’ का आह्वान किया है. हजारीबाग के निकट बरही में 28 जून को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (हर बूंद से ज्यादा दाने पैदावार) का नारा दिया.

 

फसल उत्पादन के लिये संतुलित पोषक तत्व एवं उनका प्रबंधन

फसल उत्पादन  के लिये संतुलित  पोषक तत्व एवं उनका प्रबंधन

संतुलित पोषक तत्व का अर्थ समझने के लिये पहले पोषक तत्व के बारे में जानना जरूरी है । पौधों के लिए पोषक तत्व उसे कहते हैं जिसकी अनुपस्थिति  में उनका जीवन - चक्र पूरा नहीं होता है, अर्थात बीज बोने से लेकर पुनः बीज प्राप्त करने तक अगर कोई एक भी आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी में अनुपस्थित हो जाय तो पौधों का जीवन-चक्र पूरा नहीं होगा । पौधों के लिये 17 आवश्यक पोषक तत्व हैं । वे है : कार्बन, आक्सीजन,  हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस,  पोटाशियम,  कैल्सियम, मैग्नेशियम, सल्फर, लोहा, जस्ता, मैंगनीज, तांबा, मोलिब्डेनम,  बोरोन, क्लोरीन एवं कोबाल्ट । सभी तत्वों का पौधों के जीवन में अलग-अलग कार्य हैं । अगर जीवित

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