Aksh's blog

जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. 

चलें खेत की ओर

चलें खेत की ओर

अब हम ग्रामीण युवाओं की बात करते हैं। यदि इन्हें बुद्धि व विज्ञान से कृषि कार्य सिखाया जाए तो यह अपनी 2-3 एकड़ जमीन से भी सम्मान पूर्वक जीवन जीने योग्य अपने को बना सकते हैं और हम सारी दुनिया का पेट भर सकते हैं। हम अपने देश को कृषि प्रधान देश कहते हैं, परन्तु इसका वास्तविक मतलब हमें मालूम ही नहीं है। विश्व में केवल 20 प्रतिशत जमीन पर खेती होती है। हमारे यहां 60 प्रतिशत भूमि पर खेती होती, जिसे आसानी से 78 प्रतिशत तक किया जा सकता है। दुनिया का वार्षिक वर्षा आंकड़ा 63 से. मी. है। चीन में 61 से. मी. और अमेरिका में 48 से. मी. वर्षा होती है। भारत में वर्षभर में 104 से. मी.

खेती में देशी गाय की उपयोगिता

खेती में देशी गाय की उपयोगिता

 कृषि पर जलवायु परिवर्तन के संभावित दुष्प्रभावों पर विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए बताया है कि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्वि का खामियाजा दक्षिण एशियाई देशों में भारत को सर्वाधिक भुगतना पड़ सकता है यहाँ की कृषि पर इसका बुरा असर पड़ेगा। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से आंधा्रप्रदेश के किसानों की आय बीस फीसदी तक घट जाएगी, महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन में पच्चीस से तीस फीसदी की गिरावट संभव है तथा उड़ीसा में चावल उत्पादन में बारह फीसदी की गिरावट आएगी।फसल उत्पादन में गिरावट का सीधा असर निश्चित रूप से हमारी अर्थ व्यवस्था

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