Aksh's blog

रंगों से पहचानें कीटनाशक की तेजी

 खेती में अधिक उत्पादन के लिए किसान अधिक रसायनों का प्रयोग करते हैं। फसलों के कम पैदावार के कई कारणों में से कीट, बीमारियां एवं खरपतवार प्रमुख हैं। अधिक उत्पादन लेने हेतु बुवाई से पूर्व बीजोपचार तथा बुवाई के बाद कीट नियन्त्रण एवं समय-समय पर बीमारियों से बचाव हेतु विभिन्न रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है, जिनमें से अधिकतर रसायन बहुत जहरीले होते हैं।

बदल रहे हैं अनाज के कटोरे

 deष के अनाज के कटोरे

करीब 50 साल पहले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को देशवासियों से यह अपील करनी पड़ी थी कि वे दिन में एक वक्त खाना न खाएं. 1965 के सूखे के बाद देश में अनाज की आपूर्ति काफी तंग हो गई थी और देशभक्ति की भावना के तहत अनाज के अतिशय उपभोग के खिलाफ चेताया जा रहा था. लोगों से कहा जा रहा था: आप खाने के बाद जितना छोड़ देते हैं, बाकी लोगों के पास उतना भी नहीं है.

ताकि कृषि उत्पादन में कमी न आए

ताकि कृषि उत्पादन में कमी न आए

पृथ्वी का बढ़ता तापमान और जलवायु परिवर्तन के आगाज ने विषम परिस्थितियाॅं उत्पन्न कर दी हैं। औसत तापमान, औसत वर्षा और वायु प्रकृति में बदलाव से मौसम में बदलाव का असर अब कृषि में दिखने लगा है। ऐसी स्थितियों के चलते फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए कुछ उपाय अपनाए जा रहे हैं। फसल चक्र में परिवर्तन किया जाकर खाद्यान्न उत्पादन को बरकरार रखा जा रहा है। फिर भी मौसम परिवर्तन की चुनौतियाॅं विकराल होती जा रही हैं।  पिछले 10 वर्षों में पृथ्वी का तापमान 1 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संस्था ने ऐसा आंकलन कर कहा है कि बदली स्थिति में म

भारत में कृषि की बढती चुनौतियाँ एवं समस्याएँ

भारत में कृषि की बढती चुनौतियाँ एवं समस्याएँ

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की केन्द्रबिन्दु व भारतीय जीवन की धुरी है। आर्थिक जीवन का आधार, रोजगार का प्रमुख स्रोत तथा विदेशी मुद्रा अर्जन का माध्यम होने के कारण कृषि को देश की आधारशिला कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। देश की कुल श्रमशक्ति का लगभग 52 प्रतिशत भाग कृषि एवं कृषि से सम्बन्धित क्षेत्रों से ही अपना जीविकोपार्जन कर रही हैं। अतः यह कहना समीचीन होगा कि कृषि के विकास, समृद्धि व उत्पादकता पर ही देश का विकास व सम्पन्नता निर्भर है।

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