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जैविक खेती : एक विकल्प (समस्याएं एवं संभानाएं )

जैविक खेती : एक विकल्प (समस्याएं एवं संभानाएं ) राधा कान्त

 एक अरब 20 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या वाले देश में कृषि प्रणाली में बदलाव एक सुविचारित प्रक्रिया द्वारा होनी चाहिए, जिसके लिए काफी सावधानी और सतर्कता बरतने की जरूरत है। खाद्य, रेशा, ईन्धन, चारा और बढ़ती जनसंख्या के लिए अन्य जरूरतों की पूर्ति के लिए कृषि भूमि की उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाना जरूरी है। स्वतन्त्रता पश्चात युग में हरित क्रान्ति ने खाद्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए विकासशील देशों को रास्ता दिखाया है, किन्तु सीमित प्राकृतिक संसाधन के बल पर कृषि पैदावार कायम रखने के लिए रासायनिक कृषि के स्थान पर जैविक कृषि पर विशेष जोर दिया जा रहा है, क्योंकि रासायनिक कृषि से जह

किसान व अर्थव्यवस्था पर सघन बागवानी का असर

सघन बागवानी

कृषि में बागवानी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें किसान अपनी जमीन से अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। बागवानी को अधिक लाभप्रद बनाने के लिए किसानों को सघन बागवानी को अपनाना चाहिए।बागवानी में खेती की इस तकनीक का उपयोग सबसे पहले आड़ू में यूरोपीय देशों में किया गया। बाद में अन्य शीतोष्ण फलों जैसे सेब, नाशपाती, खुबानी जैसे फलों में भी सघन खेती द्वारा बहुत अधिक उत्पादन दर्ज किया गया। इस तरह के सफल परीक्षणों के कारण ही आज अमेरिका, आस्ट्रेलिया, चीन, 

चक्रव्यूह में किसान

चक्रव्यूह में किसान

यह देश वीर जवानों और मेहनतकश किसानों का है। सिर्फ एक मुहावरा भर नहीं है, आबादी का 65.7 फीसद हिस्सा खेती-किसानी से परोक्ष या प्रत्यक्ष जुड़ा हुआ है। इन्हीं किसान परिवारों के बांके जवान फौज में जाते हैं। यानी एक तरफ वे देश का पेट भरते हैं तो दूसरी तरफ दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं। पर इन किसानों पर कहर टूटे, तो कौन सुने? इनका पेट कौन भरे और इन्हें उस वक्त मरने से कौन बचाए, जब ये अपनी तबाह फसल देखकर सदमे से या फिर भारी कर्ज का बोझ लिये आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। 

जैविक खेती करने के तरीके

परिक्रमण :-

एक ही क्षेत्र में वर्ष दर वर्ष एक ही प्रकार की फसल उगाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और मिट्टी में कीट, रोग और घास-फूस की पैदावार को बढ़ावा देता है. फसल को हर साल अलग-अलग जगह पर ले जाना चाहिए और वापिस से मूल क्षेत्र में कई सालों तक वापिस नही ले जाना चाहिए. सब्जियों के लिए कम से कम ३-४ साल का परिक्रमण की सिफारिश की गयी है. 

फसल परिक्रमण का मतलब है जहा मिट्टी की उर्वरता बढाई जाती है. विभिन्न प्राकृतिक शिकारियों को भी यह मदद करता है, उनके लिए विविध निवास और भोजन स्त्रोत उपलब्ध कराके ताकि वो खेत पर जीवित रह सके. 

खाद :-

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