गेहूं की उपज घटी , किसानों का दर्द छलका

गेहूं की उपज घटी , किसानों का दर्द छलका

प्रकृति की मार का असर रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं पर साफ नजर आने लगा है। थ्रेसिंग के दौरान गेहूं का उत्पादन काफी कम होने से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं। किसान यह सोचकर परेशान नजर आ रहा है कि अब साल भर परिवार का पेट कैसे पलेगा।  समय से पहले भीषण गर्मी पड़ने और तेज धूप निकलने से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल झुलसने लगी है। इससे गेहूं की फसल समय से पहले पक तो गई लेकिन दाना कमजोर और उत्पादन घटने की समस्याएं सामने आने लगी हैं।
kisanhelp के सोनभद्र के प्रतिनिधि  श्री ब्रह्देव प्रसाद कुशवाहा जी के अनुसार किसानों पर पिछले दो वर्षों से कुदरत और शासन की मार पड़ रही है। इसके चलते किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। इस बार भी कमोबेश किसानों के लिए स्थितियां विपरीत हो गई हैं। समय पर नहरों में पानी न मिलने से किसानों ने किसी तरह से कर्ज आदि लेकर सिंचाई करके गेहूं की फसल तैयार की थी लेकिन अब कुदरत के कहर ने फिर से उन्हें रोने पर विवश कर दिया है। तेज धूप के चलते समय से पहले गेहूं की फसल पकने के कारण किसानों ने कटाई और मढ़ाई का काम शुरू कर दिया। जब थ्रेसरिंग हुई तो उत्पादन देख उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। अमूमन प्रति एकड़  15 से 20 क्विंटल होने वाला गेहूं का उत्पादन इस बार घटकर 8 से 10 क्विंटल के बीच ही रह गई। चना की उपज जो कि 8 से 10 कुं. होता है जो इस वर्ष घट कर 3 से 5 कुं. रह गया है  । श्री ब्रह्देव प्रसाद कुशवाहा जी के अनुसार  इस बार फागुन माह में ही गर्मी पड़ने लगी थी। अमूमन चैत्र माह के अंतिम दिनों में गेहूं की कटाई शुरु होती थी लेकिन इस बार समय से पहले तेज धूप से फसल पक जाने से कटाई पहले ही शुरू कर दी गई। इसका परिणाम कम उत्पादन और दाना कमजोर होने के रूप में सामने आ रहा है। कमोबेश यही स्थिति सभी गेहूं वाले किसानों की है  किसान परेशान हैं  किसान गेहूं का कम उत्पादन देख परेशान नजर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि गेहूं की फसल पर ही साल भर परिवार का पेट पालने की व्यवस्था रहती है। इस बार स्थितियां खराब नजर आ रही हैं। अब परिवार का पेट पालने के साथ ही अन्य कार्यक्रम कैसे होंगे