पेठे की खेती से कम समय में पाएं ज्यादा मुनाफा

पेठा कद्दू सब्जी के रूप बहुत कम प्रयोग किया जाता है. लेकिन इसके उलट मिठाई के रूप में बहुत अधिक मांग है. किसानों के जागरूक न होने के कारण मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं हो पाता है. क्योंकि इसका अंतिम उत्पाद सुखे मिठाई के रूप में होता है, अतः यह लंबे समय तक संग्रहित किया जा सकता है.

उन्नत प्रजाति :- पूसा हाइब्रिड 1, हरका चंदन, नरेंद्र अमृत, सीएस- 19, सी ओ 1, कल्याणपुर पंपकिंग 1 आदि प्रमुख प्रजातियाँ हैं.

बुवाई का समय- जुन-जुलाई व नदियों के किनारे नवंबर-दिसबंर माह में बोया जाता है.

औषधीय फसल अफीम की खेती

पोस्त फूल देने वाला एक पौधा है जो पॉपी कुल का है। पोस्त भूमध्यसागर प्रदेश का देशज माना जाता है। यहाँ से इसका प्रचार सब ओर हुआ। इसकी खेती भारत, चीन, एशिया माइनर, तुर्की आदि देशों में मुख्यत: होती है। भारत में पोस्ते की फसल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में बोई जाती है। पोस्त की खेती एवं व्यापार करने के लिये सरकार के आबकारी विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। पोस्ते के पौधे से अहिफेन यानि अफीम निकलती है, जो नशीली होती है।

गेहूँ में पीलापन कारण व निराकरण

 पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पत्तियों पर दिखाई देते हैं. हर एक तत्व की कमी के लक्षण अलग-अलग होते हैं. अधिकतर अवस्थाओं में पत्तियां पीली हो जाती हैं. अगर इस पीलेपन की समय पर पहचान हो जाए तो उपयुक्त खाद या पर्णीय स्प्रे के द्वारा इसको दूर किया जा सकता है.

क्यों होता है पीलापन

गेहूं की खड़ी फसल में पीलेपन के कई कारण हो सकते हैं. इस पीलेपन की समस्या का समाधान पीलेपन के कारण में ही निहित है इसलिए पहले पीलेपन के कारण को जानना अति आवश्यक है.

कार्बन नत्रजन अनुपात का महत्व

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