खाद्य के नए स्त्रोत भी तलाशने होंगे : कृषि मंत्री

खाद्य के नए स्त्रोत भी तलाशने होंगे : कृषि मंत्री

हरित क्रांति के बाद भारतीय खेती चुनौतियों के नए चौराहे पर खड़ी है। छोटी जोत, भूमि की घटती उर्वरता, सीमित होते प्राकृतिक संसाधनों के बीच खाद्यान्न की पैदावार बढ़ाना एक गंभीर चुनौती है। उससे भी बड़ी मुश्किल कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाना और खेती को लाभ का कारोबार बनाना है।

खेती से मुंह मोड़ रहे युवाओं के लिए इस क्षेत्र को आकर्षक बनाना है, ताकि विकास की निरंतरता कायम रह सके। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हरित क्रांति के स्वर्ण जयंती पर शुक्रवार को आयोजित समारोह में शामिल वैज्ञानिकों के समक्ष चिंताओं से उन्हें अवगत कराया।

किसानों को राहत राशि का इंतजार

 किसानों को राहत राशि का इंतजार

पटवारियों को हड़ताल पर चले जाने से सूखा राहत राशि अभी अस्सी फीसदी किसानों के खाते में राशि नहीं पहुंची। नवंबर माह बीतने को दो दिन शेष है। लंबा समय बीतने के बाद भी राहत राशि वितरण नहीं की जा सकी।

जिला प्रशासन का दावा है कि साठ फीसदी किसानों का घोषणा-पत्र भरा जा चुका है। दस करोड़ रुपए से अधिक राशि भी किसानों के खातें भेजने का दावा किया जा रहा है, लेकिन अभी अस्सी फीसदी किसानों के खाते में राहत राशि नहीं पहुंची है। जिले में कुल 2.21 लाख किसान प्रभावित हुए हैं। जिन्हें वितरण करने के लिए 98.62 करोड़ रुपए तय की गई है। लेकिन अभी दस करोड़ रुपए राशि वितरण की गई है। 

हरितक्रांति की होड़ में उपेक्षित हो गई पीत क्रांति

हरितक्रांति की होड़ में उपेक्षित हो गई पीत क्रांति

 हरितक्रांति से खाद्यान्न क्षेत्र में देश भले ही आत्मनिर्भर हो गया हो, लेकिन दलहन व तिलहन की खेती का दिवाला निकल गया। हरितक्रांति को सफल बनाने की होड़ में पीत क्रांति उपेक्षा की शिकार हो गई। लिहाजा घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए दाल व खाद्य तेलों के आयात पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ रहा है।

जैविक खेती ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए सटीक विकल्प है

जैविक खेती ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए सटीक विकल्प है

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या आज  सुरसा राक्षसी का रूप लेकर सम्पूर्ण विश्व पर हावी है आज विश्व का प्रत्येक देश इस समस्या का समाधान ढूढ़ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि दुनिया ने जिस तरह कृत्रिम विकास किया, वैसे ही समस्या से निपटने के कृत्रिम उपाय ढूंढे जा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने भारतीय जीवनशैली की ओर लौटना ही अंतिम विकल्प है।

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के तरीकों पर विचार के लिए 'ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज" विषयक हुई संगोष्ठी में किसानों की आत्महत्या पर चिंता सामने आई। ऐसी अकाल मौतें रोकने सही रणनीति की जरूरत महसूस की गई।

Pages