कृषि क्षेत्र के तीन घटकों में महत्वपूर्ण है ‘पशुधन’

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पिछले एक दशक के दौरान अनेक विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए पशुधन व्यवसाय ने भारतीय कृषि व अर्थ व्यवस्था में व्यापक योगदान दिया है। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन भी हुआ है । इसमें निहित संभावनाओं के पूर्ण दोहन के लिए आवश्यक है कि इसे प्राथमिकता वाले क्षेत्र में सम्मिलित किया जाए ।

मत्स्य पालन तकनीक

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मत्स्य पालन

जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि के परिणाम स्वरूप रोजी-रोटी की समस्या के समाधान के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि आज के विकास-शील युग में ऐसी योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाय जिनके माध्यम से खाद्य पदार्थों के उत्पादन के साथ-साथ भूमिहीनों, निर्धनों, बेरोजगारों, मछुआरों आदि के लिये रोजगार के साधनों का सृजन भी हो सके। उत्तर प्रदेश एक अर्न्तस्थलीय प्रदेश है जहाँ मत्स्य पालन और मत्स्य पालन और मत्स्य उत्पादन की दृष्टि से सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में तालाबों व पोखरों के रूप में तमाम मूल्यवान जल सम्पदा उपलब्ध है। मछली पालन का व्यवसाय नि:सन्देह उत्तम भोजन और आय का उत्तम साधन समझा जाने लगा है तथा इस

मत्स्य पालन है बेहतर कमाई

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मत्स्य पालन

वर्तमान में मत्स्य पालन क्षेत्र में युवाओं के लिए तेजी से करियर के अवसर हैं। मत्स्य पालन ने अब संगठित इंडस्ट्री का रूप ले लिया है। बड़ी-बड़ी कंपनियां लाभ ‍की संभावनाओं को देखते हुए इस ओर कदम बढ़ा रही हैं। इस क्षेत्र में करियर की अच्छी संभावनाएं हैं। 

मत्स्य पालन में करियर बनाने लिए बैचलर ऑफ साइंस इन फिशरीज (बीएफएससी) करना होता है। इसके लिए शैक्षणिक योग्यता 12वीं कक्षा बायोलॉजी विषय के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके मस्त्य पालन से संबंधित छोटी अवधि के कुछ कोर्स भी हैं।

बकरी पालन :आय का उत्तम स्रोत

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बकरी पालन

खेती और पशु दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। उत्तर प्रदेश की आजीविका इन्हीं दो के इर्द-गिर्द अधिकांशतः घूमती रहती है। खेती कम होने की दशा में लोगों की आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन हो जाता है। गरीब की गाय के नाम से मशहूर बकरी हमेशा ही आजीविका के सुरक्षित स्रोत के रूप में पहचानी जाती रही है। बकरी छोटा जानवर होने के कारण इसके रख-रखाव का खर्च भी न्यूनतम होता है। सूखे के दौरान भी इसके खाने का इंतज़ाम आसानी से हो सकता है, इसके साज-संभाल का कार्य महिलाएं एवं बच्चे भी कर सकते हैं और साथ ही आवश्यकता पड़ने पर इसे आसानी से बेचकर अपनी जरूरत भी पूरी की जा सकती है। बुंदेलखंड क्षेत्र में अधिकतर लघु एवं सीमा

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