बहु फसल लगाने से खेती में लागत कम होगी और मुनाफ़ा बढेगा

बहु फसल लगाने से खेती में लागत कम होगी और मुनाफ़ा बढेगा

किसानों को बदलते जलवायु परिवर्तन से फसल रक्षा करनी है, तो उन्हें कई फसलें लगानी चाहिए। केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान में 11 मई को राष्ट्रीय  तकनीक दिवस के मौके पर किसानों को जलवायु में आ रहे परिर्वतनों से अवगत करना और उसके मुताबिक खेती के तरीकों और किस्मों परिवर्तन लाना विषय पर एक बैठक का आयोजन किया गया।।

ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत के खरपतवार, कीड़े व बीमारी से निजात

ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत के खरपतवार, कीड़े व बीमारी से निजात

अच्छे उत्पादन के लिए मानसून से पहले खेती की तैयारी जरूरी है। हल्की बारिश होने से खेतों में नमी है। ऐसे में खेतों में ग्रीष्मकालीन जुताई कर खरपतवार, कीड़े व बीमारी वाले कीटों को एक साथ नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही खेतों की मिट्टी परीक्षण के लिए यह उपयुक्त समय है। कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सहयोग से किसान अपने खेतों की मिट्टी का जांच करा सकते हैं, इससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व की कमी व अधिकता के बारे में जाना जा सकता है। यह कहना है कृषि वैज्ञानिकों का। मानसून पूर्व खेती की तैयारियों को लेकर नईदुनिया ने कृषि विज्ञानियों से चर्चा की। उनके म

एक जून को दस्तक देगा मानसून, कम बारिश का अनुमान

एक जून को दस्तक देगा मानसून, कम बारिश का अनुमान

मानूसन इस बार समय से केरल में 1 जून को दस्तक देगा, लेकिन सामान्य से कम बारिश की आशंका ने सरकार के लिए चिंता पैदा कर दी है. इसके मद्देनजर सरकार आपात योजना की तैयारी कर रही है और किसान बीमा का लाभ अधिकाधिक किसानों को देने पर विचार कर रही है.

इस आपात योजना में 580 जिलों को शामिल किया जाएगा. भारतीय मौसम विभाग ने हाल ही में 2015 में सामान्य से कम बारिश का अनुमान जाहिर किया है.

गर्मी की फसलों का रकबा घटा

 कृषि मंत्रालय ने देश में गर्मियों में बोए जाने वाले चावल व अन्य फसलों का रकबा जारी कर दिया है। इस साल इन फसलों का आंकड़ा 40.66 लाख हेक्टेयर रहा जो पिछले साल के मुकाबले कम है। पिछले साल यह रकबा 44.88 लाख हेक्टेयर था।

जबकि कुल रबी फसलों का रकबा इस साल 64.20 लाख हेक्टेयर रहा जो पिछले साल 66.23 हेक्टेयर था। मंत्रालय ने इसमें दलहन का रकबा अलग से जारी किया जो पिछले साल की तुलना में कुछ ज्यादा रहा। पिछले साल 5.68 लाख हेक्टेयर में बोई गई दलहन इस साल बढ़कर 7.56 लाख हेक्टेयर पहुंच गई।

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