Organic Farming
नाइट्रोजन प्राकृतिक तरीकें से कैसे काम करता है
Submitted by Aksh on 23 March, 2017 - 09:00विभिन्न परियोजनाओं के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए मिट्टी यानि मृदा विश्लेषण से कम से कम 6 पोषक तत्वों- Nitrogen (नाइट्रोजन) , Phosphorus (फास्फोरस), Potash (पोटाश), Zinc (जिंक) और Boron (बोरॉन) की व्यापक कमी प्रदर्शित हुई। उत्तर-पश्चिमी भारत के चावल-गेहूँ उगाये जाने वाले क्षेत्रों में किए गये कुछ नैदानिक सर्वे से पता लगा कि किसान उपज स्तर को बनाये रखने के लिए, जिन्हें पहले कम उर्वरक उपयोग के जरिए भी हासिल कर लिया जाता था, अक्सर उचित दरों से ज्यादा नाइट्रोजन का उपयोग करते हैं।
नाइट्रोजन यह एक फसल को लगने वाला महत्वपूर्ण पोष्टिक तत्व है |
तरबूज और खरबूज की खेती में लगने वाले रोग
Submitted by Aksh on 25 February, 2017 - 18:17गर्मी बिन तरबूज और खरबूज के अधूरी सी लगाती है. तरबूज को जहाँ लोग उसके लाल रंग और मिठास के कारण तो वहीँ खरबूज को मिठास के आलावा उसके सुगन्ध के कारण भी पसन्द करते हैं और इसके बीजों की गिरी के बिना मिठाई सजी-सजाई नहीं लगती. खरबूज और तरबूज फलों के सेवन से लू दूर भागती हैं वहीँ इसके रस को नमक के साथ प्रयोग करने पर मुत्राशय में होने वाले रोगों से आराम मिलता है. इनकी 80 प्रतिशत खेती नदियों के किनारे होती है और इन्हें मुख्य रुप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है.
गाय की महत्ता कृर्षि प्रधान देश का किसान ही जाने
Submitted by Aksh on 23 February, 2017 - 22:11भारत के परिपेक्ष्य में गाय के महत्व
भारत किसानों का देश है, भारत गावों का देश है | आज भी भारत की करीब ७०% जनता गावों में रहती है और खेती पर निर्भर है | खेती के लिए कुछ चीजें बहुत जरुरी होती हैं जैसे खाद, खेत की जुताई और खाने के लिए सस्ता पर पौष्टिक खाना | पर आज की दिन दुनी रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ रही महंगाई के वजह से खेती करना एवरेस्ट चढ़ने के समान हो गया है |
पिस्ता की खेती
Submitted by Aksh on 20 February, 2017 - 16:40आवश्यक जलवायु
पिस्ता की फसल के लिए मौसम की स्थिति बेहद अहम तत्व है। पिस्ता के बादाम को दिन का तापमान 36 डिग्री सेटीग्रेड से ज्यादा चाहिए। वहीं, ठंड के महीने में 7 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उनके शिथिल अवधि के लिए पर्याप्त है। इसके पेड़ ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर ठंडे तापमान की वजह से अच्छी तरह बढ़ नहीं पाते हैं। भारत में पिस्ता के नट्स यानी बादाम को बढ़ने के लिए जम्मू-कश्मीर प्राकृतिक जगह है। पिस्ता के लिए आवश्यक
मिट्टी
आम की उन्नत काश्त
Submitted by Aksh on 18 February, 2017 - 19:54भारतवर्ष का सर्वसुलभ एवं लगभग प्रत्येक प्रान्त में सरलता से उगाया जा सकने वाला फल आम है। इसके स्वाद, सुगन्ध एवं रंग-रूप के कारण इसे फलों का राजा कहा जाता है। आम के पके हुये फल स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। ताजे़ पके फल के उपयोग के अतिरिक्त आम के फलों से अनेक परिरक्षित पदार्थ बनाये जाते हैं, जैसे - कच्चे फलों से अचार, अमचूर तथा पके फलो से स्क्वैश, जूस, शर्बत, जैम, अमावट आदि। अधिकतम आय के लिये आम के बागीचे वैज्ञानिक तकनीकी के प्रयोग से करें.
मृदा एवं जलवायु:
रोजगार और समृद्धि के लिए कारगर है रामबांस की खेती
Submitted by Aksh on 15 February, 2017 - 11:33अमेरिकन मूल का पौधा सिसल (अगेव) जिसे भारत में खेतकी तथा रामबांस कहते है। आमतौर पर सिसल को शुष्क क्षेत्रों में पशुओं और जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु खेत की मेड़ों पर लगाया जाता रहा है। अनेक स्थानों पर इसे शोभाकारी पौधे के रूप में भी लगाया जाता है। परन्तु अब यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक रेशा प्रदान करने वाली फसल के रूप में उभर रही है। इसकी पत्तियों से उच्च गुणवत्ता युक्त मजबूत और चमकीला प्राकृतिक रेशा प्राप्त होता है। विश्व में रेशा प्रदान करने वाली प्रमुख फसलों में सिसल का छटवाँ स्थान है और पौध रेशा उत्पादन में दो प्रतिशत की हिस्सेदारी है। वर्त्तमान में हमारे देश में लगभग 12000 टन सिसल रेशे क
गन्ना उत्पादन की एस.एस.आई. तकनीक
Submitted by Aksh on 11 February, 2017 - 15:55गन्ना फसल की भारी जल मांग, गिरते भूजल स्तर तथा रासायनिको के बढ़ते उपयोग को देखते हुए पारस्थितिक समस्यायें भी बढ़ रही है । अब समय आ गया है कि हमें प्रकृति मित्रवत खेती में कम लागत के उन्नत तौर तरीके अपनाने की आवश्यकता है जिससे प्राकृतिक संसाधनो का कुशल प्रबन्धन करते हुए गन्ना फसल से अधिकतम लाभ अर्जित किया जा सके । इस परिपेक्ष्य में धान का उत्पादन बढाने में हाल ही में अपनाई गई "श्री विधि" कारगर साबित हो रही है। इसी तारतम्य में हैदराबाद स्थित इक्रीसेट व डब्लू.डब्लू.एफ. प्रोजेक्ट ने गन्ना उत्पादन की एस.एस.आई.
आकश बेल या अमर बेल एवं इसका नियंत्रण
Submitted by Aksh on 8 February, 2017 - 13:30अमरबेल एक प्रकार की लता है जो बबूल, कीकर, बेर पर एक पीले जाल के रूप में लिपटी रहती है। इसको आकाशबेल, अमरबेल, अमरबल्लरी भी कहते हैं। प्राय: यह खेतों में भी मिलती है, पौधा एकशाकीय परजीवी है जिसमें पत्तियों और पर्णहरिम का पूर्णत: अभाव होता है। इसीलिए इसका रंग पीतमिश्रित सुनहरा या हल्का लाल होता है। इसका तना लंबा, पतला, शाखायुक्त और चिकना होता है। तने से अनेक मजबूत पतली-पतली और मांसल शाखाएँ निकलती हैं जो आश्रयी पौधे (होस्ट) को अपने भार से झुका देती हैं।
लीची कीउन्नत आर्गनिक खेती
Submitted by Aksh on 1 February, 2017 - 11:08लीची एक फल के रूप में जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिक नाम से बुलाते हैं, जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊष्णकटिबन्धीय फ़ल है, जिसका मूल निवास चीन है। यह सामान्यतः मैडागास्कर, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है।
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