Organic Farming

मूंग की आर्गेनिक खेती

भूमि
 चुनाव -
 इसकी खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं जैसे हल्की से भारी मिट्टी पर की जाती है , उत्तरी भारत में गहरी उचित जल निकास वाली दोमट व दक्षिणी भारत की लाल मृदाऐ उपयुक्त हैं जिनमे दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है लेकिन सिंचाई का अच्छा प्रबंध होना आवश्यक है .
 तैयारी - रबी की फसल काटने के तुरंत बाद पलेवा करना चाहिए , खेत में ओट आने पर एक जुताई तथा बाद की जुताई मिट्टी पलटने वाले तवेदार हैरो तथा दूसरी जुताई देशी हल अथवा कल्टीवेटर से करके भली - भाँती पाटा लगाना चाहिए ताकि खेत समतल हो जाए और अधिक नमी बनी रहे .

फसलों की मासिक जानकारी

मौसम के अनुसार तथा मास के अनुसार हम किसान भाइयो को तैयारिया करनी चाहिए अपने अनुभव के आधार पर कुछ निम्न तथ्य दे रहा हूँ  

जनवरी 

टमाटर सबसे महत्वपूर्ण फ़सल

जलवायु और मिट्टी

टमाटर गर्मी के मौसम की फ़सल है और पाला नहीं सहन कर सकती है. 12 डिग्री से०ग्रे० से 26 डिग्री से०ग्रे० के तापमान के बीच इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. रात का आदर्श तापमान 25 डिग्री से०ग्रे० से 20 डिग्री से०ग्रे० है. टमाटर की फ़सल पोषक तत्वों से युक्त दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है. लेकिन इसकी अगेती क़िस्मों के लिए बलुई तथा दोमट बलुई मिट्टी अधिक उपयुक्त है. इसके अलावा यदि जल निकास की व्यवस्था अच्छी हो तो इसे मटियार तथा तलहटी दोमट में भी उगाया जा सकता है.

टमाटर की क़िस्में

टमाटर की खेती आय का उत्तम विकल्प

सब्जियों में टमाटर का प्रमुख स्थान है। इसके फलों को विभिन्न प्रकार से उपयोग में लिया जाता है। इसकी खेती वर्ष भर की जा सकती है। टमाटर में विटामिन 'ए' 'सी' की मात्रा अधिक होती है। इसका उपयोग ताजा फल के रूप में तथा उन्हें पकाकर डिब्बाबंदी करके, अचार, चटनी, सूप, केचप सॉस आदि बनाकर भी किया जाता है। टमाटर में लाल रंग लाइकोपीन नामक पदार्थ से होता है जिसे दुनिया का प्रमुख एन्टिऑक्सीडेन्ट माना गया है।

जलवायु एवं भूमि (Climate & Soil for tomato cultivation) :

फलों का उत्पादन होता है लाभप्रद

साधारणतया लोगों का यह विचार है कि फलों का उत्पादन लाभप्रद नहीं होता. इस धारणा के कई कारण हैं :

(१) बाग लगाने से पूर्व प्राय: लोग इस बात का सोच विचार नहीं करते कि स्थानविशेष में, वहाँ की भूमि और जलवायु के अनुसार, फल की कौन सी किस्म के पेड़ लगाने चाहिए;

(२) फलों के पौधों के लगाने की विधि भी उचित नहीं होती, बिना भूमि को सुधारे प्राय: फलों के पेड़ लगा दिए जाते हैं तथा पेड़ों का आपस का फासला भी आवश्यकता से कम रखा जाता है और

(३) एक बार बाग लगा देने के उपरांत बाद में उसकी देखभाल पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. खाद और पानी की प्राय: कमी रहती है.

थोड़ी देख-भाल, अच्छी पैदावार, अमरुद की खेती

अमरुद भारत के उष्ण कटिबंधीय तथा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के सभी भागों में उगाया जाता है. यह फल बहुत थोड़ी देख भाल करने पर भी अच्छी पैदावार देता है.  अमरुद का फल विटामिन सी से भरपूर होता है.

जलवायु और मिट्टी सम्बन्धी आवश्यकताएं

यह 4.5 - 8.5 पी.एच. वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है.  इसके अलावा उष्ण कटिबंधीय दोनों क्षेत्रों की विविध जलवायु वाली परिस्थितियों में इसकी पैदावार अच्छी रहती है.  अमरुद के वृक्ष अपनी प्रारंभिक अवस्था में पाले के प्रति संवेदनशील होते हैं.

क़िस्में

अमरुद की खेती

अमरुद की बागवानी पूरे देश में की जाती है देश के सभी लोग इस फल को बड़ी रूची के साथ खाते है पोषक गुणों में अमरुद बहुत ही अच्छा होता है बल्कि यह फल सेव से भी पोषक गुणों में अधिक अच्छा माना जाता है अमरुद में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता हैI

कैसे मिले सोयाबीन से अधिक उपज

 किसानों को सोयाबीन उगाने का लगभग 40-50 साल का अनुभव तो हो ही गया है। फिर भी इसकी उपज के हिसाब से मध्यप्रदेश का प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन लगभग एक टन (दस क्विंटल) प्रति हैक्टेयर के आसपास ही झूल रहा है। कारण कुछ किसान यदि इसकी उपज 6 क्विंटल प्रति बीघा ले रहे हैं, तो ऐसे किसान भी हैं जो प्रति बीघा डेढ़ से दो क्विंटल से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। उत्पादन क्षमता में यह फसल कमजोर नहीं है।

लीची की बागवानी

लीची के फल अपने आकर्षक रंग, स्वाद और गुणवत्ता के कारण भारत ही नहीं बलिक विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाये हुये हैं इसमें प्रचुर मात्राा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावे प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फास्फोरस, विटामिन-सी इत्यादि पाये जाते हैं। इसका उपयोग डिब्बा बंद, स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., रस, लीची नट इत्यादि बनाने में किया जाता है। Laychee Cropलीची को भी सघन बागवानी के रूप में सफलतापूर्वक लगाया जा सकता है, परन्तु इसकी खेती के लिए विशिष्ट जलवायु की आवश्यकता होती है, जो देश के कुछ ही क्षेत्रों में है। अत: इसकी खेती बहुत ही सीमित भू-भाग में की जा रही है। देश में लीची की बागवानी सबसे

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