Organic Farming

भिंडी में कीट और बीमारियों के लक्षण, बचाव

भिंडी गर्मी और बारिश के मौसम में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल है. बाजार में भिंडी की ज्यादातर मांग होने से किसानों को अच्छा-खासा भाव मिल जाता है, जिससे उनकी बहुत अच्छी आमदनी होती है, लेकिन कई बार भिंडी की फसल में कुछ कीड़े और बीमारियां लग जाती हैं, जिससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है. अगर भिंडी की खेती से अच्छी उपज लेनी है, तो फसल को कीटों और बीमारियों से बचाना बहुत ज़रूरी है. आइए आपको भिंडी की फसल की प्रमुख बीमारियां और उनके रोकथाम की जानकारी देते हैं.

प्रमुख बीमारियां और उनकी रोकथाम

मक्का की उन्नत खेती

मक्का खरीफ ऋतु की फसल है, परन्तु जहां सिचाई के साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप मे ली जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहपयोगी फसल है व मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा औद्योगिक दृष्टिकोण से इसका महत्वपूर्ण स्थान भी है। चपाती के रूप मे, भुट्टे सेंककर, मधु मक्का को उबालकर कॉर्नफलेक्स पॉपकार्न लइया के रूप मे आदि के साथ-साथ अब मक्का का उपयोग कार्ड आइल, बायोफयूल के लिए भी होने लगा है। लगभग 65 प्रतिशत मक्का का उपयोग मुर्गी एवं पशु आहार के रूप मे किया जाता है। साथ ही साथ इससे पौष्टिक रूचिकर चारा प्राप्त होता है। भुट्टे काटने के ब

मेंथा की नई तकनीक से मिलेगा कम समय में अधिक उत्पादन

कुछ कारक मेंथा की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। जैसे- फसल उत्पादन के लिए समय का आभाव, दूसरी कटाई की कम सम्भावनाएं और कम उत्पादकता, फसल की अधिक पानी की आवश्यकता, खरपतवार की समस्या और नियंत्रण पर अधिक खर्च।
इन कारकों को दूर करने के लिए सीमैप (केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) ने अगेती मिंट का विकास किया है, जिससे किसानों को कम समय में अधिक उत्पादन मिलता है।

लीची के पेड़ों में इस समय लग सकते हैं ये कीट

लीची एक फल के रूप में जाना जाता है। जिसे वैज्ञानिक नाम लीची चाइनेन्सिस से बुलाते है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावा प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फास्फोरस, चूना, लोहा, रिबोफ्लेविन तथा विटामिन-सी इत्यादि पाये जाते हैं। इसका उपयोग डिब्बा बंद, स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., लीची नट इत्यादि बनाने में किया जाता है।

 

पत्ती भेदक कीट (सूंडी)

यह कीट चांदी के रंग की तरह चमकदार दिखता है. यह देखने में बड़े आकर का भी होता है. यह कीट पत्तियों के बाहरी किनारे को खाता है, जिससे पत्तियां दोनों किनारे से कटी हुई दिखाई देती हैं.

आम के पेड़ों में लगता है यह रोग, ऐसे करें बचाव

जनवरी महीने में आम के पेड़ों में बौर आना शुरू हो जाता है। इस लिए किसानों को अच्छा उत्पादन पाने के लिए अभी से देखभाल करनी इसकी देखभाल करनी होगी। क्योंकि अगर ज़रा सी चूक हुई तो रोग और कीट पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं।

फलों का राजा आम हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण फल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, उडीसा, महाराष्ट्र, और गुजरात में व्यापक स्तर पर की जाती है।

शंखपुष्पी की खेती

पुष्पभेद से शंखपुष्पी की तीन जातियाँ बताई गई हैं। श्वेत, रक्त, नील पुष्पी। इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है।मासिक धर्म मे सहायक है। शंखपुष्पी के क्षुप प्रसरणशील, छोटे-छोटे घास के समान होते हैं। इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं। जड़ उंगली जैसी मोटी 1-1 इंच लंबी होती है। सिरे पर चौड़ी व नीचे सकरी होती है। अंदर की छाल और लकड़ी के बीच से दूध जैसा रस निकलता है, जिसकी गंध ताजे तेल जैसी दाहक व चरपरी होती है। तना और शाखाएँ सुतली के समान पतली सफेद रोमों से भरी होती हैं। पत्तियाँ 1 से 4 सेण्

मार्च माह में कौन सा कृषि कार्य करें ?

 मौसम फसलों को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो रबी, खरीफ और जायद तीनों ही सीजन में अलग- अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते है कि मार्च माह के कृषि एवं बागवानी कार्य 

गेहूं

  • बुवाई के समय के अनुसार गेहूं में दाने की दुधियावस्था में 5वीं सिंचाई बुवाई के 100-105 दिन की अवस्था पर और छठीं व अन्तिम सिंचाई बुवाई के 115-120 दिन बाद दाने भरते समय करें.

    • गेहूं में इस समय हल्की सिंचाई (5 सेंमी) ही करें. तेज हवा चलने की स्थिति में सिंचाई न करें, अन्यथा फसल गिरने का डर रहता है.

मार्च में किसान करें इन सब्जियों की बुवाई कमाएं मुनाफा

भिंडी

किसान भिंडी (okra) की अगेती किस्म की बुवाई फ़रवरी से मार्च के बीच कर सकते हैं. यह खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है. खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए. बुवाई कतार में करनी चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है.

उन्नत किस्में- हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच.

करेला

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