गन्ना

गन्ना (Sugarcane) एक प्रमुख फसल है, जिससे चीनी, गुड़ आदि का निर्माण होता हैं। गन्ना सारे विश्व में पैदा होने वाली एक पुमुख फ़सल है। भारत को गन्ने का 'जन्म स्थान' माना जाता है, जहाँ आज भी विश्व में गन्ने के अन्तर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल 35 प्रतिशत क्षेत्र पाया जाता है। वर्तमान में गन्ना उत्पादन में 'भारत का विश्व में प्रथम स्थान' है। यद्यपि ब्राजील एवं क्यूबा भी भारत के लगभग बराबर ही गन्ना पैदा करते हैं। देश में र्निमित सभी मुख्य मीठाकारकों के लिए गन्ना एक मुख्य कच्चा माल है। इसका उपयोग दो प्रमुख कुटीर उद्योगों मुख्यत: गुड़ तथा खंडसारी उद्योगों में भी किया जाता है। इन दोनों उद्योगों से लगभग 10 मिलियन टन मीठाकारकों का उत्पादन होता है, जिसमें देश में हुए गन्ने के उत्पादन का लगभग 28-35% गन्ने का उपयोग होता है।

गन्ने के उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक उत्पादक कटिबन्ध - उष्ष-आद्र कटिबन्ध तापमान - २१ से २७ सें. ग्रे. वर्षा - ७५ से १२० सें. मी. मिट्टी - गहरी दोमट।

गन्ने में पेड़ी प्रबन्धन

गन्ने की फसल से अधिक आर्थिक लाभ के लिए यह आवश्यक है कि उसकी पेड़ी भी ली जाये। पेड़ी फसल का प्रबन्धन यदि बेहतर ढंग से किया जाये तो इससे बावग फसल के बराबर ही उपज प्राप्त की जा सकती है।पेड़ी को अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे रैतून, मुड़ आदि

Ø पेड़ी फसल में खेत की तैयारी, बीज तथा बीज की बुवाई का व्यय बचता है।

Ø बावग फसल से कम समय में तैयार होने के कारण इसमें सिंचाई पर कम व्यय होता है तथा नत्रजन का बेहतर उपयोग होता है।

Ø पेड़ी बावग फसल की अपेक्षा कम समय में तैयार हो जाती है अतः फसल चक्र में कम समय लगता है।

गन्ने की फसल में सम-सामयिक (अप्रैल व मई माह के) कार्य

गन्ना पच्छिमी उत्तर प्रदेश  की एक प्रमुख फसल है, जिसकी बुआई दिसम्बर से अप्रैल मध्य तक होती है। फरवरी माह में बोयी गई फसल में इस माह (60 दिन की अवस्था पर) सिंचाई के बाद 50 किलोग्राम नत्रजन/ हेक्टेयर (110 किलोग्राम यूरिया) की टॉपड्रेसिंग कर खुदाई करें। शरदकालीन गन्ने में यदि नत्रजन की टॉपड्रेसिंग न की गई हो तो 60 किलोग्राम नत्रजन (132 किलोग्राम यूरिया) की टॉपड्रेसिंग का गुड़ाई कर दें। शरदकालीन गन्ने में यदि अन्तःफसल ली गई हो तो उसकी कटाई के तुरन्त बाद सिंचाई करके यूरिया की टॉपड्रेसिंग करके गुड़ाई करें। 
 

गन्ना उत्पादन की एस.एस.आई. तकनीक

गन्ना फसल की भारी जल मांग, गिरते भूजल स्तर तथा रासायनिको के  बढ़ते उपयोग को  देखते हुए पारस्थितिक समस्यायें भी बढ़ रही है । अब समय आ गया है कि हमें प्रकृति मित्रवत खेती में कम लागत के  उन्नत तौर तरीके  अपनाने की आवश्यकता है जिससे प्राकृतिक संसाधनो का कुशल प्रबन्धन करते हुए गन्ना फसल से अधिकतम लाभ अर्जित किया जा सके । इस परिपेक्ष्य में धान का उत्पादन बढाने में हाल ही में अपनाई गई "श्री विधि" कारगर साबित हो  रही है। इसी तारतम्य में हैदराबाद स्थित इक्रीसेट व डब्लू.डब्लू.एफ. प्रोजेक्ट ने गन्ना उत्पादन की एस.एस.आई.

गन्ना उत्पादन की नवोन्वेषी तकनीक

 गन्ना विश्व की सबसे महत्वपूर्ण औऱ  औधोयोगिक-नकदी  फसल है । भारत को  गन्ने का जन्म स्थान माना जाता है, जहां विश्व में गन्ने के  अन्तर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल पाया जाता है । विश्व में सर्वाधिक चीनी मिलें (660)  भारत में स्थापित है जिनसे 30 मिलियन टन चीनी उत्पादित (विश्व में दूसरा स्थान) होती है । देश में निर्मित सभी मीठाकारको  (चीनी,गुड़ व खाण्डसारी) के  लिए गन्ना ही मुख्य कच्चा माल है । गन्ना खेती की बढती लागत और  प्रति इकाई कम उत्पादन के  कारण किसानों  को बहुत सी समस्याओं  का सामना करना पड़ रहा है । भारत में गन्ने की  औसत उपज 70-85 टन प्रति हैक्टर के  इर्द-गिर्द ही आ पाती है जबकि ब्राजील  और थ

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