करीब सात फीसद घट सकता है चीनी उत्पादन: इस्मा
महाराष्ट्र और कर्नाटक में कमजोर बरसात से वहां गन्ना उत्पादन में गिरावट की के अनुमान के बीच देश में अक्तूबर से शुरू होने वाले अगले चीनी विपणन सत्र में चीनी उत्पादन करीब सात फीसद घटकर दो करोड़ 32.6 लाख टन रह सकता है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में कमजोर बरसात से वहां गन्ना उत्पादन में गिरावट की के अनुमान के बीच देश में अक्तूबर से शुरू होने वाले अगले चीनी विपणन सत्र में चीनी उत्पादन करीब सात फीसद घटकर दो करोड़ 32.6 लाख टन रह सकता है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में सूखे की वजह से विपणन वर्ष 2016-17(अक्तूबर से सितंबर) में लगातार दूसरे वर्ष चीनी उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। दुनिया में ब्राजील के बाद दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश, भारत में चीनी उत्पादन चालू विपणन वर्ष 2015-16 में घटकर दो करोड़ 51 लाख टन रह जाने का अनुमान है। इससे पिछले विपणन वर्ष में उत्पादन 2.83 करोड़ टन था। प्राथमिक अनुमान जारी करते हुए भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा)ने शुक्रवार को कहा कि साल 2016-17 में चीनी उत्पादन दो करोड़ 32.6 लाख टन होने का अनुमान है। यह मौजूदा 2015-16 के करीब 2.51 करोड़ टन के उत्पादन से करीब 18 से 19 लाख टन कम है। इसी के अनुरूप सरकार अगले साल 2.3 से 2.35 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान कर रही है। इस्मा ने चीनी उत्पादन में 5.5 फीसद की गिरावट के अनुमान का कारण गन्ने के रकबे में कमी बताया है। यह 2016-17 में घटकर 49.9 लाख हेक्टेयर रह गया है जो पिछले साल 52.8 लाख हेक्टेयर था। इस्मा ने सबसे बड़े चीनी उत्पादक महाराष्ट्र में 2016-17 में 61.5 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है। चालू विपणन वर्ष में वहां 84 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। इस्मा ने एक बयान में कहा- महाराष्ट्र में गन्ने का रकबा घटा है। जिसका मुख्य कारण पिछले साल सूखे जैसी स्थिति का होना, कमजोर बरसात का होना और सिंचाई के लिए कम पानी की उपलब्धता होना है। प्रदेश में गन्ने का रकबा इस बार 7,80,000 हेक्टेयर है जो 2015-16 में 10.5 लाख हेक्टेयर था। देश में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन विपणन वर्ष 2016-17 में बढ़कर 75.4 लाख टन होने का अनुमान है जो चालू वर्ष में 68.2 लाख टन है।अगले साल के चीनी उत्पादन में अनुमानित गिरावट के बावजूद इस्मा ने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक मौजूद होगा। इस साल के 71 लाख टन के बचे हुए 71 लाख टन के अनुमानित स्टॉक और दो करोड़ 32.6 लाख टन के अनुमानित उत्पादन के साथ अगले सत्र के 12 महीनों में चीनी की उपलब्धता तीन करोड़ 3.6 लाख टन की होगी जो साल 2016-17 के घरेलू चीनी खपत के लिए 2.6 करोड़ टन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 40 रुपए किलो होने और अगले साल चीनी उत्पादन में गिरावट के अनुमान के साथ सरकार ने चीनी के निर्यात पर 20 फीसद कर शुल्क लगा दिया है। सरकार ने चीनी की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए व्यापारियों पर इसका स्टॉक रखने की सीमा को भी लागू किया है। कर्नाटक में चीनी उत्पादन वर्ष 2016-17 में घटकर 32.2 लाख टन रहने का अनुमान है जो चालू विपणन वर्ष में 40.7 लाख टन का हुआ है। इस्मा ने कहा है- बारिश की कमी से कर्नाटक में भी गन्ने का रकबा 2016-17 में घटा है। वर्ष 2016-17 के सत्र में वहां करीब 4.15 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुवाई होने अनुमान है जो 2015-16 में 5.10 लाख हेक्टेयर था। तमिलनाडु में चीनी उत्पादन वर्ष 2016-17 में बढ़कर 15.6 लाख टन होने का अनुमान है जो चालू वर्ष में 13.9 लाख टन है। बयान में कहा गया है- वर्ष 2016-17 में गन्ना खेती का रकबा बढ़कर 2.65 लाख हेक्टेयर हो गया जो वर्ष 2015-16 के सत्र में 2.50 लाख हेक्टेयर था। बेहतर बरसात और ऊपज में अनुमानित सुधार के कारण गन्ना उत्पादन भी बढ़ेगा। इस्मा ने कहा कि चीनी विपणन वर्ष 2017-18 में एक अक्तूबर 2017 को पहले का बचा हुआ स्टॉक करीब 43 लाख टन का होगा जो अक्तूबर नवंबर 2017 की दो महीनों की देश की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। उस समय तक नए सत्र का चीनी उत्पादन बाजार में आ जाएगा।