15500 करोड़ की हो सकती है पीएम फसल बीमा योजना
इस साल बाढ़, बारिश और सूखे ने किसानों को जमकर रुलाया. किसानों की करोड़ों रुपये की फसल बर्बाद हो गई. किसानो ने केंद्र और स्टेट गवर्नमेंट से राहत मांगी. केंद्र सरकार ने भी दो कदम आगे बढ़कर किसानों को आर्थिक कंपनसेशन दिया. नया साल आने वाला है. आगामी बजट वर्ष 2023-24 की तैयारियां शुरू हो गई है. एग्रीकल्चर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. ऐसे में किसान भी उम्मीद भरी नजरों से आम बजट की ओर से देख रहा है. वहीं केंद्र सरकार भी किसानों को निराश नहीं करेगी. इसी क्रम में बजट को लेकर केंद्र सरकार के स्तर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.
15500 करोड़ की हो सकती है पीएम फसल बीमा योजना
केंद्र सरकार की पीएम फसल बीमा योजना किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजना है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 के आम बजट में फसल बीमा योजना को और बेहतर करने के प्रयास जारी हैं. इस योजना के संचालन के लिए 15500 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रॉविजन किया जा सकता है. योजना में अन्य राज्यों को शामिल किए जाने पर अतिरिक्त बजट की जरूरत होगी. केंद्र सरकार के पास फसल बीमा योजना के कार्पस में 6000 करोड़ रुपए का फंड पड़ा हुआ है. इस धनराशि का प्रयोग केंद्र सरकार अतिरिक्त जरूरत पूरा करने के लिए करेगी.
योजना में होंगे बदलाव
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएम फसल बीमा योजना को ढांचागत तरीके से बड़ा किया जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, योजना में अब कई बदलाव किए जाएंगे. इससे जो किसान अभी तक योजना से नहीं जुड़े हैं. वह भी जुड़ जाएंगे. PMFBY में गैर ऋणी किसानों की संख्या में पिछले कुछ सालों में पौने तीन सौ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. लेकिन केंद्र सरकार की कोशिश है कि देश का हर किसान योजना से जुड़े और इस योजना का लाभ लें.
6 राज्य हो गए थे योजना से अलग
पीएम फसल बीमा योजना में देश के हर राज्य को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. लेकिन कई राज्य योजना से असंतुष्ट भी हैं. इसी को देखते हुए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गुजरात योजना में कमियां बताते हुए खुद को अलग कर लिया था. राज्य का तर्क था कि इसमें नुकसान की इकाई का निर्धारण और पेमेंट में देरी होना बड़ी चुनौती है. इससे किसान परेशान रहता है. इसमें बदलाव कर योजना की लागत में कटौती की जा सकती है. हालांकि खरीफ सीजन वर्ष 2022 में आंध्र प्रदेश ने कुछ संसोधनों पर सहमति जताते हुए योजना में खुद को शामिल कर लिया था. योजना में पिफलहाल 21 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं. इसके फंड की बात करें तो पूर्वाेत्तर राज्यों की बात करें तो केंद्र और राज्यों के बीच 90 और 10 प्रतिशत का अन्य अनुपात है. जबकि शेष राज्यों के लिए 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.