छोटे और मध्यमवर्गीय किसानों के लिए लाभकारी है मल्टीलेयर फार्मिंग

छोटे और मध्यमवर्गीय किसानों के लिए लाभकारी है मल्टीलेयर फार्मिंग

 भारत की अधिकांश जनंसख्या के लिए जीविका का स्त्रोत है. सरकार लगातार अपने अन्नदाताओं (Farmers) को फायदा पहुंचाने के लिए तरह तरह की योजनाओं को लांच करती रहती है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह के जागरूकता प्रोग्राम भी चलाए जाते हैं. कृषि की ऐसी कई तकनीकहैं जिनसे किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता. आज हम आपको ऐसी ही एक तकनीक के बारे में बताएंगे जिससे किसानों की आय (Income) में वृद्धि होगी. इस तकनीक को मल्टीलेयर फार्मिंग (Multilayer Farming) कहते हैं.

 

मल्टीलेयर फार्मिंग को जानिए
मल्टीलेयर फार्मिंग के नाम से ही पता चल रहा है कि ऐसी खेती जिमसें एक ही स्थान पर एक ही समय में कई तरह की खेती (Farming) करना. इस तरह की कृषि में 3-4 फसलों की खेती एक साथ की जाती है. इसके लिए किसान पहले ऐसी फसल को बोएं जो जमीन के अंदर उगती हो, उसके बाद उसी खेत मे सब्जी (Vegetables) या अन्य कृषि कर सकते हैं.

इस तरह की खेती में पहले वो फसल बोई जाती है जो जमीन के नीचे रहे, उसके बाद ऐसी फसलें (Crops) बोई जाती हैं जो जमीन के कम ऊपर तक आएं, फिर और अधिक ऊंची फसलें बोई जाती हैं. इस कृषि में फसलों का चयन बेहद आवश्यक है. इसके लिए संभव हो तो प्रशिक्षण अवश्य लें, साथ ही जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.

छोटे किसानों के लिए फायदेमंद
यह कृषि छोटे और मध्यमवर्गीय किसानों के लिए बहुत लाभकारी है. जिन किसानों (Farmers) के पास जमीन कम होती है वो कम जगह पर भी एक साथ अलग-अलग फसलों की पैदावार कर सकते हैं. इस खेती में लागत बहुत कम होती है. अन्य फसलों के मुकाबले खर्च भी कम आता है. इस खेती से फायदा लागत से पांच गुना तक है. विशेषज्ञों के अनुसार अगर इस कृषि में किसी जमीन पर लागत एक लाख आती है तो किसान आराम से 5 लाख तक लाभ कमा सकता है.

पानी की बचत
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस खेती में पानी (Water) की बचत भी होती है. बताया गया कि इस कृषि से 70 फीसदी तक पानी की बचत होती है. इस कृषि में उतनी ही खाद डालनी पड़ती है जितनी एक फसल के लिए जरूरी होती है. अन्य फसलों को पोषक तत्व फसलों से एक-दूसरे को आपस में ही मिल जाते हैं.