पूरे देश की आधारशिला है किसान :- डॉ.आर.के.सिंह
किसान हेल्प और लाईवा फाउंडेशन ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस 23 दिसम्बर को किसान दिवस के रुप में मनाया । 23 दिसम्बर को पूरे देश में किसान दिवस के अवसर पर किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष व लाईवा फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ आर.के .सिंह कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में 70% भागीदारी रखने वाला किसान आज़ादी से लेकर आजतक उपेक्षित रहा है किसानों को दुवारा मान सम्मान पाने के लिए एक वार संगठित होना होगा
डॉ आर.के .सिंह की पहल पर पूरे देश में 23 दिसम्बर को किसान दिवस के रूप में मनाया गया यह पहला अवसर था जिसमें नें माननीय चौधरी चरण सिंह जी के जन्म दिवस को राष्ट्रव्यापी रूप से मनाया देश के उत्तर प्रदेश ,राजस्थान ,उत्तराखंड ,गुजरात,महाराष्ट्र पूना ,मध्य प्रदेश ,पंजाब आदि राज्यों के कई जिलों में किसान दिवस मनाया जिसमें हजारों किसानों ने भाग लिया बरेलीउत्तर प्रदेश में किसान दिवस का संचालन स्वम् डॉ राधा कान्त जी नें किया जिसमे बिभिन्न जिलों एवं राज्यों के हज़ारों लोगो ने भाग लिया
उन्होंने बताया कि लाईवा एग्रो ने किसानों को ट्रेनिंग व प्रशिक्षण हेतु लाईवा फाउंडेशन की स्थापना की गई है जो किसानों को तत्वों का महत्व उन्हें कब और कितना लगाना चाहिए यह जानकारी भी दी जाएगी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाईवा हर सम्भव प्रयास करेगी।फर्जी तरह से मार्केट में चल रहे अनावश्यक तत्व या उत्पाद उनका भी किसानों को बताना किसान ऐसी कम्पनियों के झांसे में आ कर अपनी लागत बड़ा देते हैं, ऐसे आसामाजिक तत्वों का भी बहिष्कार किया जाएगा।
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि पूरे देश की आधारशिला है । किसान देश के प्रधानमंत्री रहने के बाद भी श्री चौधरी अपने देश के गरीब किसानो को नही भूले उन्होंने किसानो के हित बहुत कार्य किये जिन्हें भुलाया नही जा सकता है इसीलिए उन्हें किसानो का मसीहा कहा जाता है
साथ ही उन्होंने सभी राज्य सरकारों एवं केन्द्र सरकार से विनती की कि श्री चौधरी के सपनो को पूरा करे किसानों को उनका अधिकार दें ताकि किसान अपना अनाज एवं अन्य उत्पादन अपनी लागत के अनुपात में बेंच सके ।
डॉ आर.के .सिंह ने कहा कि "भारत के अधिकाश क्षेत्रफल पर खेती की जाती है। एवम प्रमुख आय का साधन है। आजादी के बाद हर क्षेत्र में काफी सुधार हुए है। लेकिन किसानो की स्थिति में कोई विशेष सुधार नही हुए है। यदि हम आंकड़े देखे तो किसानो की आत्महत्या दर में लगातार बढ़ोतरी हुई है। कहने को तो किसान अन्नदाता और जिमीदार है। लेकिन दिनरात मेहनत कर के भी मजबूर और असहाय है। क्यों की कृषि पृक्रति पर आधारित है। और प्रकति किसी के वश में नही हे अतः कड़ी मेहनत करने के बाद भी किसान लाचार हो जाता है। लेकिन हिम्मत कभी नही छोड़ता है। वो देश के सच्चे सिपाई की तरह फिर से अपने कर्म में लग जाता है। क्यों की कहा गया हे जय जवान -जय किसान।
किसान देश की नीव है और जब नीव पर संकट आता है तो पूरा देश की आधारशिला हिल जाती हे सारी अर्थव्यवस्ता गड़बड़ा जाती है।
इसलिए आज सरकार को कृषि और किसानो के लिए ऐसी योजनाए बनानी चाहिए जिस से किसान आत्महत्या जैसा कृत्य ना करे और खेती छोड़कर ना जाए। जिस तरीके से सरकारी कर्मचारियों, नोकरी ,व्यापर में लगातार जीवन स्थर को उठाया जा रहा है वेसे ही किसान के जीवन स्थर को उठाने में कठोर कदम उठाना चाहिए।