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कार्बनिक खेती को किसानों को करें जागरूक

कार्बनिक खेती

वर्तमान में करीब 12.5% भूमि बंजर पड़ी हुई है। रासायनिकों कीटनाशक व उर्वरकों से इस बेकार होती भूमि का क्षेत्रफल लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कृषकों को लाभ के बजाय लगातार हानि उठानी पड़ रही है। स्थिति यह है कि बीते एक दशक से देश भर के लाखों किसान मौत को गले लगा चुके हैं। देश की कृषि व्यवस्था को दीर्घकाल के लिए बेहतर बनाए रखने के लिए जैविक खेती का मार्ग ही सही रहेगा। जैविक कृषि प्राचीन एवं नवीन कृषि तकनीकों का समागम है, जिसके अंतर्गत कृषि व प्रकृति के बीच संतुलन बना रहता है और कृषि बिना पर्यावरणीय विनाश के फल-फूल सकती है। मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यंत लाभदायक है, इसलिए आवश्यकता

जैविक कृषि का अर्थ है पंचतत्वों से संतुलन बनाकर चलना

जैविक कृषि का अर्थ है पंचतत्वों से संतुलन बनाकर चलना

विद्वानों का मानना है कि सम्पूर्ण सृष्टि पंचतत्वों से बनी है। पंचतत्व यानि धरती, जल, अग्नि, वायु और आकाश। मानव हो या पशु−पक्षी या फिर पेड़−पौधे, सबमें इन पंचतत्वों का वास है। किसी में कोई एक तत्व प्रधान है, तो किसी में कोई दूसरा। जैसे मछली के लिए जल तत्व प्रधान है, तो पेड़−पौधों के लिए धरती। इसके बिना वे जीवित नहीं रह सकते। मानव भी वायु के बिना कुछ मिनट, जल के बिना कुछ दिन, अन्न के बिना कुछ महीने, अग्नि अर्थात ऊर्जा और आकाश अर्थात खालीपन के बिना भी कुछ दिन ही चल सकता है, पर इसके बाद उसे भी यह संसार छोड़ना पड़ता है।

ब्रोकोली

ब्रोकोली

ब्रोकोली की खेती ठीक फूलगोभी की तरह की जाती है. इसके बीज व पौधे देखने में लगभग फूल गोभी की तरह ही होते हैं| ब्रोकोली का खाने वाला भाग छोटी छोटी बहुत सारी हरे फूल कलिकाओं का गुच्छा होता है जो फूल खिलने से पहले पौधों से काट लिया जाता है और यह खाने के काम आता है.

कैसे करें सूखे का सामना

कैसे करें सूखे का सामना

पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। सबसे ज्यादा असर चावल, दलहन और मोटे अनाजों की पैदावार पर पड़ा है। सबसे बुरी हालत महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में है। मध्यप्रदेश में सोयाबीन और मूंग की फसल को काफी नुकसान हो चुका है। धान की फसल भी काफी हद तक मार खा ग

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