Solar Fence (सौर विद्युत बाड़)

इलेक्ट्रिक फेंस
वन्यजीवों द्वारा खेतों, बागानों की क्षति बहुत ही पुरानी और विकराल समस्याओं में से एक है। हिरण, राइनो, हाथी, सुअरों, घरेलू पशुओं आदि द्वारा नुकसान किसानों के लिए एक बड़ी समस्याहै। इन से बचाव तथा खेत की रक्षा के लिए कई तरह की तकनीकों का उपयोग किया जाता है जैसे खेत के चारों ओर खुदाई करके खाइयों और गड्डों का निर्माण, खेत की मेड पर झाड़ियाँ लगाना, पत्थर की बाड या ईट सीमेंट की मजबूत चारदीवारी बनाना, खेत में कंटीली तार की बाड़ लगाना, जालीदार बाड़ लगाना आदि। हालांकि, इन उपायों से आंशिक तौर पर राहत तो मिलती है पर ये उपाय पूरी तरह से फसल सुरक्षा करने में कारगर नहीं हैं। इनमे से कुछ उपाय तो अत्यंत ही महंगे हैं।

वर्तमान समय में बिजली की बाड़ (शक्ति बाड़) या सोलर बाड़ लगाने का चलन बढ़ा है। बिजली की बाड़ लगाना फसल सुरक्षा का सबसे सुगम, सस्ता और सबसे प्रभावी तरीका है। जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा में यह तरीका अत्यंत ही कारगर है और पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक बाड अन्य प्रचलित तरीकों की तुलना में अत्यंत सस्ता है और इसकी जीवन अवधि भी अधिक है। हालांकि, उचित जानकारी के अभाव में भारत में कई किसान इलेक्ट्रिक बाड़ का उपयोग नहीं कर रहे हैं।

कभी कभी किसान 220V या 440V की घरेलु विद्युत् को ही खेत के चारों ओर नंगे तारों में प्रवाहित करके बाड की तरह उपयोग करते हैं। इस तरह की अवैज्ञानिक और अवैध रूप से लगाईं हुई अमानक स्तर की बिजली की बाड़ से जानवरों या कभी कभी व्यक्तियों की मृत्यु के समाचार पढने में आते रहते हैं। इसलिए किसान दंड के भय से इलेक्ट्रिक बाड़ उपयोग नही करते हैं।
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पारंपरिक बाड़ की तुलना में इलेक्ट्रिक फेंस के लाभ
* इलेक्ट्रिक पावर फेंसिंग स्थापित करने में आसान है। * किसान स्वयं इसको इनस्टॉल कर सकता है।
* पारंपरिक बाड़ की तुलना में स्थापना लागत कम है।
* इसकी रखरखाव की लागत कम है।
* इस प्रणाली का जीवनकाल अधिक है।
* यह पोर्टेबल है और इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है।
* यह अधिक विश्वसनीय, सुरक्षित प्रणाली है और अधिक कारगर है।
* इसे किसी विशेष प्रजाति के जानवर के लिए तैयार कर सकते हैं।
* यह प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार मान्यता प्राप्त है।
* प्रणाली पर्यावरण हितैषी है।
* इसमें जानवरों पर नियंत्रण मनोवैज्ञानिक आधार पर हासिल किया जाता है।
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एलेक्ट्रिक बाड़ प्रणाली का कार्य सिद्धांत
कंटीली बाड़ की तरह इलेक्ट्रिक बाड़ में भी खेत के चारों तरह खम्भे लगाकर तार लगाईं जाती है। सामान्यतः ये तारें स्टील की गैलेवेनाइज्ड तारे होती हैं। फिर इन तारों से उच्च कर्षण (voltage) की विद्युत की सूक्ष्म धारा प्रवाहित की जाती है। यह बिद्युत धारा निरंतर न होकर पल्स के रूप में अर्थात थोड़े थोड़े समय अन्तराल में प्रवाहित की जाती है। इन तारों को छूने से किसी भी जानवर या इंसान को एक तेज, छोटा, कम दर्दनाक लेकिन सुरक्षित झटका लगता है जोकि इनको बाड़ से अन्दर आने से रोकता है। जानवरों को यह झटका याद रहता है और पुनः वे इस तार के संपर्क में आने से बचते है। यह बाड़ जानवरों के लिए एक तरह से मनोवैज्ञानिक अवरोध रूप से कार्य करती है।

इलेक्ट्रिक बाड़ में प्रवाहित धारा को नियंत्रित करने के लिए एक छोटे इलेक्ट्रोनिक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। सामान्य भाषा में इसे झटका मशीन कहा जाता है। यह झटका मशीन हर 1.2 सेकंड में एक बार विद्युत् धारा को तारों में छोड़ती है। यह धारा लगभग 8 केवी से 15 केवी तक का उच्च वोल्टेज वाली होती है तथा बहुत ही कम समय (लगभग 300 मिलिसेकंड) के लिए प्रवाहित होती है। बाड़ की लम्बाई के अनुसार अलग अलग क्षमता की मशीन उपलब्ध हैं।
(इसे ऐसे समझ सकते हैं कि मशीन हर 1.2 सेकंड के पश्यात लगभग 300 मिलिसेकंड के लिए तारों में 8-15 KV का करंट छोडती है। यह करंट जानलेवा नहीं होता क्यूंकि प्रवाहित धारा की मात्र कम होती है और यह रुकरुक कर प्रवाहित होता है। परन्तु voltage ज्यादा होने के कारण बहुत ही तेज झटका देता है।)
मशीन को विद्युत् आपूर्ति 12V की बैटरी से करते हैं। इस बैटरी को चार्ज करने के लिए सामान्यतः सोलर पैनल का उपयोग किया जाता है। इसे बैटरी चार्जर के द्वारा बिजली या जेनरेटर से भी चार्ज किया जा सकता है।
इस प्रणाली के प्रभावी रूप से कार्य करने के लिए तारों में प्रत्येक स्थान पर झटका देने की एकसमान क्षमता बनाये रखना आवश्यक है.. इस हेतु निम्न बातों का ध्यान रखना जरुरी है।
१. किसी विशेष प्रजाति के जानवर (जैसे नीलगाय या हाथी) के लिए बाड़ तैयार करने के लिए उसके अनुसार बाड़ की डिजाईन और निर्माण करना जरुरी है
२. बाड़ की लम्बाई और मिटटी के प्रकार, खेत की स्थिति, जानवरों के अनुसार सही झटका मशीन का चयन करें
३. लगने वाली अन्य सामग्री जैसे इंसुलेटर, तार का प्रकार और उसकी गुणवत्ता आदि अच्छी हो..
४. कहीं से भी करंट लीक ना हो रहा हो
५. समय समय पर मरम्मत आदि
६. इलेक्ट्रानों के प्रवाह के लिए सही तरीके से अर्थिंग की गई हो.
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इलेक्ट्रिक बाड़ के अवयव
1. कंट्रोलर यूनिट या झटका मशीन- यह बाड़ का मुख्य अवयव है। बाड़ की लंबाई, तारों की संख्या, तार के प्रकार, जमीन की स्थिति आदि बातों का ध्यान रखकर उचित क्षमता की मशीन लगानी चाहिए।
2. अर्थ वायर - तारों के बीच में प्रतिरोध को कम करने के लिए तथा वोल्टेज 200V के नीचे बनाये रखने के लिए समुचित प्रकार से अर्थिंग करना चाहिए।
3. खम्भे- किसी भी प्रकार के खम्भे का प्रयोग किया जा सकता है। ध्यान रहे की किनारे के खम्भे मजबूत हों क्योंकि इनके ऊपर की तारों का पूरा खिंचाव रहता है। बीच के खम्भे केवल तारों को सपोर्ट देने के लिए होते हैं। सामान्यतः लोहे के खम्भे होने पर इनके बीच की दूरी 30-45 फ़ीट तक रख सकते हैं। लकड़ी के या बांस के खम्भे की दूरी 20-25 फ़ीट रखना ठीक है। उपलब्धता के आधार पर दूरी में थोडा बहुत फेरबदल भी किया जा सकता है।
4. तारें- 12 या 14 गेज की गैलवनाईज्ड स्टील की तारें प्रयुक्त की जाती हैं। तारों को खीचकर रखने के लिए किनारों पर खिंचाव कमानी (tifhtener) का उपयोग किया जाता है। ये तारें जीवित या अर्थिंग के लिए हो सकती हैं।
5. जॉइंट क्लैंप- मशीन से तारों को आपस में जोड़ने के लिए, कोने में घुमाव के स्थान पर, अर्थ के जोड़ पर आदि जगह पर उपयुक्त प्रकार के क्लैम्प का प्रयोग किया जाता है।
6. इंसुलेटर - करंट के लीकेज को रोकने के लिए खंभों पर अच्छी गुणवत्ता के इंसुलेटर बांधकर उनके बीच से ही तारों को जाने देना चाहिए।
7. आसमानी बिजली से बचाव हेतु उचित प्रकार के परिवर्तक (diverter) का प्रयोग करना चाहिए।
8. बैटरी- अच्छी गुणवत्ता की 12V की बैटरी का उपयोग किया जाता है। सोलर से बैटरी चार्ज करने की दशा में कुहरे के समय या फिर अगर बिजली से चार्ज किया जाता है तो पॉवरकट होने पर मशीन का बैकअप समय बैटरी की क्षमता पर निर्भर करता है। सामान्यतः 20 amp से लेकर 42 amp तक की बैटरी का उपयोग किया जाता है। जिनके द्वारा 24 घंटे से लेकर एक हफ्ते का बैकअप समय प्राप्त हो जाता है। जहाँ पर बिजली का समुचित प्रदाय किया जाता है वहाँ कम क्षमता की बैटरी से भी काम चलाया जा सकता है।
9. चार्जर और पॉवर सप्लाई- बैटरी को चार्ज करने के लिए सोलर चार्जर या फिर एलेक्ट्रिक चार्जर। बाजार में मिलने वाले अधिकांश मशीनों में चार्जर अलग से लगाने की जरुरत नहीं होती। मॉडल के अनुसार इनमे सोलर या फिर एलेक्ट्रिक चार्जिंग की सुविधा दी गई होती है।

नोट:
1.ध्यान रहे की एलेक्ट्रिक बाड़ की तारों के संपर्क में अगर खरपतवार आ जाती है तो करंट लीक होने लगता है और बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है। अतः समय समय पर बाड़ के नीचे से खरपतवार को काटना जरुरी है।
2. मशीन से बाड़ के तारो को जोड़ने वाली तारें, बाड़ में प्रयुक्त तारें आदि सभी कुछ ना कुछ प्रतिरोध उत्पन्न करती हैं जिसको की जितना कम हो सके होना चाहिए। सामान्यतः पतले तार की बजाय मोटे तार में प्रतिरोध कम होता है। बाड़ के लिए 12 – 16 गेज के तार का प्रयोग अनुशंसित है।
3. बाड़ में सामान्यतः तीन तारें होती हैं। एक भूमि के 15 सेमी ऊपर फिर 30-40 cm पर दूसरी और फिर तीसरी तार। बीच की तार अर्थिंग की होती है। ऊपर और नीचे की तार जीवित तार होती हैं जिनमे करंट प्रवाहित किया जाता है। तारों की संख्या आवश्यकता के अनुसार अधिक भी हो सकती है जोकि रोके जाने वाले जानवर पर निर्भर करती है।
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एलेक्ट्रिक बाड़ लगाने का खर्च-
इसे हम दो वर्गों में विभाजित कर सकते हैं।
1. स्थाई (फिक्स्ड) अवयवों पर खर्च: जैसे झटका मशीन(energizer), बैटरी, सोलर/एलेक्ट्रिक चार्जर, सायरन आदि।
2. चर (variable) अवयवों पर खर्च- जैसे बाड़ की लंबाई के अनुसार खम्भे, इंसुलेटर, टाइटनर, तारें आदि।
सामान्यतया अच्छी कंपनी की 12 गेज की तार 80-100 ₹/kg आती है। एक किग्रा में लगभग 100 फुट तार आता है।
बैटरी चार्जर के साथ अलग अलग ब्रांड की मशीन 9000-25000 तक आती हैं। सबसे कम क्षमता की मशीन से लगभग 10 -12 एकड़ खेत की बाड़ लगाई जा सकती है।
इंसुलेटर ₹6 -10 तक आते हैं।
ध्यान रहे की खम्भे चाहे लकड़ी के हों या धातु के इनसे छूकर तार नहीं जाना चाहिए। अन्यथा करंट लीक होगा और बाड़ काम करना बंद कर देगी।
खम्भे लकड़ी, लोहे या सीमेंट के हो सकते हैं। खंभों की ऊँचाई बाड़ की ऊँचाई के बराबर होती है। इनको जमीन में 1 से 2 फुट गाड़ा जाता है। खंभों का मूल्य स्थानीय बाजार से पता किया जा सकता है।

लेखक (डॉ0 जितेंद्र सिंह, दे.अ.वि.वि., इंदौर- 9893359141)