जैविक खेती एक विकल्प -
जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों तथा खरपतवारनाशियों के स्थान पर जीवांश खाद पोषक तत्वों (गोबर की खाद कम्पोस्ट, हरी खाद, जीवणु कल्चर, जैविक खाद आदि) जैव नाशियों (बायो-पैस्टीसाईड) व बायो एजैन्ट जैसे क्राईसोपा आदि का उपयोग किया जाता है, जिससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है, बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता तथा कृषि लागत घटने व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक लाभ भी मिलता है ।
जैविक खेती वह सदाबहार कृषि पद्धति है, जो पर्यावरण की शुद्धता, जल व वायु की शुद्धता, भूमि का प्राकृतिक स्वरूप बनाने वाली, जल धारण क्षमता बढ़ाने वाली, धैर्यशील कृत संकल्पित होते हुए रसायनों का उपयोग आवश्यकता अनुसार कम से कम करते हुए कृषक को कम लागत से दीर्घकालीन स्थिर व अच्छी गुणवत्ता वाली पारम्परिक पद्धति है।
जैविक खेती के सिद्धांत:-
1. प्रकृति की धरोहर है ।
2. प्रत्येक जीव के लिए मृदा ही स्त्रोत है ।
3. हमें मृदा को पोषण देना है न कि पौधे को जिसे हम उगाना चाहते है ।
4. उर्जा प्राप्त करने वाली लागत में पूर्ण स्वतंत्रता ।
5. परिस्थितिकी का पुनरूद्धार ।
जैविक खेती का उद्देश्य:-
इस प्रकार की खेती करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि रासायनों उर्वरकों का उपयोग न हो तथा इसके स्थान पर जैविक उत्पाद का उपयोग अधिक से अधिक हो लेकिन वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए तुरंत उत्पादन में कमी न हो अत: इसे (रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को) वर्ष प्रति वर्ष चरणों में कम करते हुए जैविक उत्पादों को ही प्रोत्साहित करना है। जैविक खेती का प्रारूप निम्नलिखित प्रमुख क्रियाओं के क्रियान्वित करने से प्राप्त किया जा सकता है ।
1. कार्वनिक खादों का उपयोग ।
2. जीवाणु खादों का प्रयोग ।
3. फसल अवशेषों का उचित उपयोग
4. जैविक तरीकों द्वारा कीट व रोग नियंत्रण
5. फसल चक्र में दलहनी फसलों को अपनाना ।
6. मृदा संरक्षण क्रियाएं अपनाना ।
जैविक खेती के महत्व:-
1. भूमि की उर्वरा शक्ति में टिकाउपन
2. जैविक खेती प्रदुषण रहित
3. कम पानी की आवश्यकता
4. पशुओं का अधिक महत्व
5. फसल अवशेषों को खपाने की समस्या नहीं ।
6. अच्छी गुणवत्ता की पैदावार ।
7. कृषि मित्रजीव सुरक्षित एवं संख्या में बढोतरी ।
8. स्वास्थ्य में सुधार
9. कम लागत
10. अधिक लाभ
जैविक खेती के मार्ग में बाधाएं:-
1. भूमि संसाधनों को जैविक खेती से रासायनिक में बदलने में अधिक समय नहीं लगता लेकिन रासायनिक से जैविक में जाने में समय लगता है ।
2. शुरूआती समय में उत्पादन में कुछ गिरावट आ सकती है, जो कि किसान सहन नहीं करते है । अत: इस हेतु उन्हें अलग से प्रोत्साहन देना जरूरी है।
3. आधुनिक रासायनिक खेती ने मृदा में उपस्थिति सूक्ष्म जीवाणुओं का नष्ट कर दिया, अत: उनके पुन: निमार्ण में 3-4 वर्ष लग सकते हैं ।
साभार ग्रामीण सूचना एवं ज्ञान केन्द्र