सिंघाड़े की खेती में अधिक फायदा
गर आपके घर के पास कोई तालाब हो तो ये सही समय है सिंघाड़े की बुवाई का। जून, जुलाई और अगस्त महीने तक किसान बुवाई कर सकते हैं। सितम्बर महीने से सिघाड़े के पौधों में सिघाड़े उगने शुरू हो जाते हैं और अक्टूबर से लेकर जनवरी तक पौधे से सिघाड़े निकलते रहते हैं।
सिघाड़े की खेती पूरे साल होती है उसके बाद पानी से निकालकर इसे बाजार तक पहुंचाया जाता है। सिघाड़े की खेती में तमाम तरह की बिमारियां भी लगती हैं जिन्हें अगर समय रहते न पहचाना जाए तो पूरी फसल खराब हो जाती है। इसमें कीड़ें भी बहुत लगते हैं, जो पौधें को धीरे धीरे खा-खा कर खोखला कर देते हैं। कुछ कीड़े बेलनाकार होते हैं, जिन्हें सूड़िया कहते हैं, ये पत्ते खाते रहते हैं और पौधे को खोखला कर देते हैं।
बरसात के इन दिनों में सिघाड़े की बुवाई तालाबों में तेजी से की जा रही है। हैदरगढ़ तहसील के थाना लोनीकटरा के तहत शिवनाम गाँव के कहार बिरादरी के लोग बड़े पैमाने पर ये खेती करते हैं। यहां सैकड़ो लोगों की मुख्य जीविका इसी पर निर्भर करती है।
सिघाड़े की खेती खासकर अब अधिक मुनाफे की खेती होती जा रही है क्योंकि इसकी मांग बढ़ रही है। सिघाड़े का आटा व्रत में खाया जाता है और उसके दाम भी बढ़िया मिलते हैं। सूखे सिघाड़े की कीमत 100 रूपए प्रति किग्रा से लेकर 120 रूपए तक भी पहुंच जाती है। इस बार तो सिघाड़ा मार्केट मे 150 रूपए तक बिका है
एक तरफ किसान जहां मछली का पालन कर रहे हैं वहीं सिघाड़े की खेती भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। किसान मछली पालन से कहीं ज्यादा सिघाड़े की खेती पर निर्भर हैं। मछुवा समुदाय जिनका मुख्य व्यवसाय तालाबों और झीलों में सिघाड़े की खेती करना है।