भारत और इजरायल संबंधों से कृषि क्षेत्र में भारत को मिलेगी एक नयी ऊंचाई : राधा मोहन

भारत और इजरायल संबंधों से कृषि क्षेत्र में भारत को मिलेगी एक नयी ऊंचाई

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह और इजरायल के कृषि एंव ग्रामीण विकास मंत्री एम. के. यूरी एरियल के बीच आज नयी दिल्ली में हुई जिससे बातचीत से भारत और इजरायल संबंधों को एक नयी ऊंचाई मिली है। कृषि मंत्री ने कहा कि इजरायल के कृषि विशेषज्ञों के अनुभव से भारत को काफी लाभ हुआ है। मई, 2006 में इजरायल में दोनों देशों के बीच भारत. इजरायल कार्य योजना पर हस्ताक्षर हुआ था। इसके बाद फिर 2008 में भारत में कार्य- योजना पर सहमति बनी थी और पहली बार 2008-10 कार्य दृ योजना के तहत महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान में संयुक्त प्रयास शुरू किए गये थे।

कृषि मंत्री ने कहा कि भारत कृषि के अनेक क्षेत्र में इजरायल की विशेषज्ञता का लाभ उठा रहा है। कार्य योजना के तहत पौधशाला प्रबंधनध्संरक्षण कृषि, फसल कटाई के बाद का प्रबंधन, बागवानी, कार्यतंत्र, कैनोपी प्रबंधनध्संरक्षण, संरक्षित कृषि, फसल कटाई के उपरांत प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई के लिए कम गुणवत्ता वाले जल के उपयोग, सूक्ष्म सिंचाई की प्रीसिजन फार्मिंग, मधुमक्खी पालन, पशुपालन और डेरी में इजरायल में भारत के अधिकारियों को दिए गये प्रशिक्षण से उत्पादन बढ़ा है और प्रोद्योगिकी संचालित कृषि का रूप लोगों के सामने आया है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने यह जानकारी भी दी कि इजरायली विशेषज्ञ लगातार अभिप्रदर्शनों, प्रशिक्षण और उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना के लिए संबंधित राज्यों का दौरा कर रहे हैं जससे यह पता लगता है कि कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था में
कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन को सुनिश्चत करने के लिए दोनों पक्ष प्रतिबद्ध हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और इजरायली सरकार के बीच 2016 -20 के लिए एक कार्य योजना भी बनायी गयी है और उम्मीद है कि इजरायल इसे मंजूर कर लेगा। इसके अलावा बैठक में अनुसंधान और विस्तार शिक्षा कार्यक्रम के लिए संयुक्त निधि की स्थपना पर भी बात हुई। इससे कार्य योजना के क्रियाकलापों को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी।

दोनों देशों के कृषि मंत्रियों और प्रतिनिधि मंडलों के बीच हुई बातचीत में अनुसंधान और इससे जुड़ी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इजरायल में पढ़ रहे छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने पर भी चर्चा हुई । छात्रवृत्ति का खर्च दोनों देश मिलकर उठाएंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पहले से ही हर वर्ष पीएचडी के लिए अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप दे रहा है।