गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप
इन दिनों रबी सीजन की गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप लगने से किसान परेशान हैं। किसानों द्वारा बताये जाने पर kisanhelp की टीम ने उत्तर प्रदेश के बरेली , पीलीभीत ,शाहजहांपुर आगरा मध्य प्रदेश के रतलाम ,हरदा ,अशोक नगर के गांवों में जाकर रोग की जानकारी दी । जहां पर गेहूं फसल में जड़माहू का प्रकोप मिला। जड़ माहू के प्रकोपित पौधों को उखाड़कर सफेद पेपर पर रखकर देखने पर भूरे रंग के बारिक-बारिक माहू दिखाई दिए, जो कि पौधों की तने जड़ से रस चूसते हैं, जिसके कारण पौधे पीले पडऩे लगते हैं।
जड़ माहू रोग
यह छोटे आकार के कीट होते हैं जो पौधों का रस (sap) चूसते हैं। समशीतोष्ण क्षेत्रों में कृषि में उगायी जाने वाली फललों के सर्वाधिक विनाशकारी शत्रु हैं (जैसे सरसो पर लगने वाली माहू या चेपा या 'तेले' या 'लाही' कीट)। किन्तु प्राणिशात्र की दृष्टि से वे सबसे सफल 'जीव' (organisms) समूह हैं। यह प्रायः कपास की फसल में लगने वाला रोग है यह चना मटर और सोयाबीन की फसल में भी कभी कभी सक्रिय हो जाता है
जैविक उपचार
तंबाकू की 2.5 किलोग्राम पत्तियां ढार्इ किलो आक या आँकड़ा तथा 5 किलोग्राम धतूरे की पत्तियों को 10 लीटर गोमूत्र में उबालें और 5 लीटर मात्रा शेष रहने पर छान लें फिर फसल में तर-बतर कर छिड़काव करें |
लिएनीम तेल 1500 पीपीएम दो मिली प्रति लीटर पानी में हिसाब से छिड़काव करें। इसके अलावा इसकी रोकथाम के लिए येल्लो स्टिकी ट्रैप का प्रयोग कर सकते हैं या लाल मिर्च पाउडर के घोल का भी छिड़काव लाभकारी रहेगा।
रासायनिक उपचार
क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी दवाई 2 लीटर प्रति एकड़ बालू रेत में मिलाकर खेत में नमी होने पर भुरकाव करें। जड़माहू का प्रकोप गेहूं फसल में उपरी भाग पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 100 मिली प्रति एकड़ की दर से हाथ पंप 200-250 लीटर या पॉवर स्प्रे पंप से 60-70 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।