माहू

द्रुमयूका, माहू या ऐफिड (Aphids) छोटे आकार के कीट हैं जो पौधों का रस (sap) चूसते हैं। ये एफिडोडिया (Aphidoidea) कुल में आते हैं। माहू समशीतोष्ण क्षेत्रों में कृषि में उगायी जाने वाली फललों के सर्वाधिक विनाशकारी शत्रु हैं (जैसे सरसो पर लगने वाली माहू या चेपा या 'तेले' या 'लाही' कीट)। किन्तु प्राणिशात्र की दृष्टि से वे सबसे सफल 'जीव' (organisms) समूह हैं। यह 'सफलता' इनकी कुछ प्रजातियों में अलैंगिक प्रजनन (asexual reproduction) की क्षमता के कारण है।

इनकी लगभग 4,400 प्रजातियाँ और 10 कुल ज्ञात हैं। इनकी लम्बाई 1 मिमी से लेकर 10 मिमी तक होती है।

गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप

गेहूं में जड़ माहू का प्रकोप

इन दिनों रबी सीजन की गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप लगने से किसान परेशान हैं। किसानों द्वारा बताये जाने पर kisanhelp की टीम ने उत्तर प्रदेश के बरेली , पीलीभीत ,शाहजहांपुर आगरा मध्य प्रदेश के रतलाम ,हरदा ,अशोक नगर के गांवों में जाकर रोग की जानकारी दी । जहां पर गेहूं फसल में जड़माहू का प्रकोप मिला। जड़ माहू के प्रकोपित पौधों को उखाड़कर सफेद पेपर पर रखकर देखने पर भूरे रंग के बारिक-बारिक माहू दिखाई दिए, जो कि पौधों की तने जड़ से रस चूसते हैं, जिसके कारण पौधे पीले पडऩे लगते हैं।

जड़ माहू रोग