पाला कर सकता है फसलों को बर्बाद

पाला कर सकता है फसलों को बर्बाद

देश के अलग अलग राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल समेत कई राज्य भयंकर ठंडी की चपेट में हैं. पाला अधिक पड़ने से हाथ-पैरों में गलन शुरू हो गई है. देश के कई हिस्सों में रबी सीजन की फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी हैं. ऐसे में पाले से इस फसल की पैदावार पर संकट हो गया है. मौसम और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ने फसल को ठंड से बचाव करने की सलाह दी है. 

पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से बढ़ेगी ठंड

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि उत्तर बिहार में अगले 3 दिन कड़ाके की ठंड पड़ेगी. कोहरा और पाला भी बढ़ेगा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है. इसके अलावा पछाई हवा भी चल रही है. इसकी वजह से मौसम में नमी अधिक रहेगी. ठंडी हवाएं चलेंगी. तीन दिन के बाद मौसम में नरमी देखी जा सकती है. आसमान में बादल भी देखने को मिल सकते हैं. अधिकतम और न्यूनतम तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक गिरेगा. 

झुलसा बीमारी से फसलों को बचाएं

 

 

पाला अधिक पड़ने से फसलें पीली पड़ जाती हैं. इन्हें एक तरह से फसलों का ठंड से झुलसना माना जाता है. इसी कारण झुलसा रोग के नाम से जाना जाता है. पाला से पौधे मुरझाना शुरू हो जाते हैं. समय से पहले पौधों की मौत हो जाती है. 

सिंचाई करने से तापमान नियंत्रित रहता है

विशेषज्ञों का कहना है कि पाले से फसल झुलस जाती है. फसल के लिए की जाने वाली सिंचाई तापमान नियंत्रण का भी काम करती है. पानी से भी तापमान नहीं बढ़ पाता है और पाला उतना असरकारक नहीं रहता. आलू की फसल में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई कर देनी चाहिए. 

प्लास्टिक की चादर से ढककर फसल केा बचाए

इस समय पड़ रही ठंड से फसल का बचाव बेहद जरूरी है. छोटे रकबे में फसल है तो उसे किसी प्लास्टिक से कवर कर दें. इससे फायदा यह होता है कि पाला सीधे तौर पर ही फसल को नुकसान नहीं पहुचा पाता है. प्लास्टिक के कवर करने से अंदर का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है. हवा के लिए दो हिस्सों को खोलकर भी रखना चाहिए.