आलू

आलू एक सब्जी है। वनस्पति विज्ञान की दृष्टि से यह एक तना है। इसकी उद्गम स्थान दक्षिण अमेरिका का पेरू (संदर्भ) है। यह गेहूं, धान तथा मक्का के बाद सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। भारत में यह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। यह जमीन के नीचे पैदा होता है। आलू के उत्पादन में चीन और रूस के बाद भारत तीसरे स्थान पर है।
इतिहास
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकाला कि पेरू के किसान आज से लगभग 7000 साल पहले से आलू उगा रहे हैं। सोलहवीं सदी में स्पेन ने अपने दक्षिण अमेरिकी उपनिवेशों से आलू को यूरोप पहुंचाया उसके बाद ब्रिटेन जैसे देशों ने आलू को दुनिया भर मे लोकप्रिय बना दिया। आज भी आयरलैंड तथा रूस की अधिकांश जनता आलू पर निर्भर है। भारत में यह सब से लोकप्रिय सब्जी है।
गुण
वैसे तो आलू भारत में ज़्यादातर लोगों की पसंदीदा सब्जी है लेकिन कई लोग इसे अधिक चर्बी वाला समझकर खाने से परहेज करते हैं। परंतु आलू में कुछ उपयोगी गुण भी हैं। आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। इसके अलावा आलू में कई औषधीय गुण होने के साथ सौंदर्यवर्धक गुण भी है जैसे यदि त्वचा का कोई भाग जल जाता है उस पर कच्चा आलू कुचलकर तुरंत लगा देने से आराम मिलता है।

पाला कर सकता है फसलों को बर्बाद

पाला कर सकता है फसलों को बर्बाद

देश के अलग अलग राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल समेत कई राज्य भयंकर ठंडी की चपेट में हैं. पाला अधिक पड़ने से हाथ-पैरों में गलन शुरू हो गई है. देश के कई हिस्सों में रबी सीजन की फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी हैं. ऐसे में पाले से इस फसल की पैदावार पर संकट हो गया है. मौसम और एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ने फसल को ठंड से बचाव करने की सलाह दी है. 

पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से बढ़ेगी ठंड

सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला

सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला

कड़ाके की ठंड और कोहरे का असर दिख रहा है. लगभग पूरे उत्तर भारत में इसका प्रकोप जारी है. आसमान साफ रहने, तापमान अधिक गिरने और हवा नहीं चलने से पाला का खतरा बढ़ जाता है. अभी यह खतरा कुछ फसलों के लिए बहुत बड़ा है जिनमें सरसों, टमाटर और बैंगन के नाम है. इनकी फसल चल रही है, इसलिए पाले से बचाना बहुत जरूरी है. पाले से बचाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक सलाहों पर गौर करना चाहिए. इन सलाहों की मदद से किसान अपनी फसल को आसानी से बचा सकते हैं.

गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए बायो फर्टिलाइजर और कंपोस्ट खाद की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान

गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए बायो फर्टिलाइजर और कंपोस्ट खाद की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान

बिहार गन्ना उद्योग विभाग की ओर से गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए बायो फर्टिलाइजर और कंपोस्ट खाद की खरीद पर 50 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है. गन्ना की खेती करने वाले किसानों को जैव उर्वरक और कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट खाद की खरीद पर 150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान राशि देने का प्रावधान किया है. एक हेक्टेयर के लिए 25 क्विंटल तक खपत होती है. इस स्कीम का फायदा अधिकतम 2.5 एकड़ यानी 1 हेक्टेयर जमीन पर मिलेगा. इस हिसाब से गन्ना की खेती करने वाला हर किसान अधिकतम 3,750 रुपये का अनुदान ले सकता है. 

आलू की फसल में लग सकते हैं झुलसा जैसे रोग, करे बचाव

आलू की फसल में लग सकते हैं झुलसा जैसे रोग, करे बचाव

आलू में कई तरह की बीमारियां और कीटों के लगने का खतरा रहता है,लगातार तापमान गिरने और बदलते मौसम के साथ ही आलू में कई तरह के रोग और कीट लगने लगते हैं, समय रहते इनका प्रबंधन करके किसान नुकसान से बच सकते हैं। "आलू में पछेती अंगमारी या पछेती झुलसा बीमारी बहुत खतरनाक होती है। दो बीमारियों का हमें खास ध्यान रखना होता है, एक अगेती झुलसा और दूसरा पछेती झुलसा रोग। इनसे बचाव के लिए जब एक महीने की फसल हो जाती है तो मैंकोजेब 75 प्रतिशत फंफूदीनाशक की लगभग आठ सौ ग्राम मात्रा प्रति एकड़ खेत के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। इसी के साथ ही आलू की फसल में एक और भी बीमारी देखने को मिलती है, जिसे बैक्टीरियल रॉट य

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