फसल उत्पादन हेतु सामयिक सलाह

गेहूँ, राई, सरसों की प्रजाति अनुसार समय से कटाई, मड़ाई, सफाई करके अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें।
 देर से बोयी जाने वाली चने की फसल में मार्च के अन्तिम सप्ताह में या अप्रैल के प्रथम सप्ताह में फलीछेदक सूँडी हानि पहुंचाती है। इसकी रोकथाम के लिये डाईमेथोएट 30 ई॰ सी॰ की 600 से 750 मिली मात्रा/है॰ का प्रयोग करें। अंगमारी ग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। चना मटर में दाने पकने पर समय से काटकर, मड़ाई कर, अच्छी प्रकार सुखाकर भंडारण करें।
 ग्रीष्मकालीन मूँग की बुवाई 10 अप्रैल तक की जा सकती है अतः सरसों, मसूर, गन्ना पेड़ी के खाली खेतों में तुरन्त मूँग की बुवाई कर दें।
 समय से बोयी गई मूँग उर्द की फसलों में 25 से 30 दिन बाद सिंचाई करें। पीला चित्रवर्ण रोग थ्रिप्स से बचाव के लिये मिथाइल ओ डिमेटान 25 ई॰सी॰ रसायन की 1.0 लीटर मात्रा का प्रति हैक्टेयर की दर से 10 से 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें। पत्रदाग रोग की रोकथाम के लिये कारबंडाजिम 500 ग्राम/ है॰ का छिड़काव करें।
 सूरजमुखी में यूरिया की टॉपड्रेसिंग के बाद दूसरी निराई-गुड़ाई के समय मिट्टी चढ़ा दें। फूल निकलते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
 खाली खेतों में गन्ने की बुवाई का अन्तिम समय है अतः शीघ्र बुवाई सम्पन्न कर लें।फरवरी –मार्च में बोये गन्ने में समयानुसार सिंचाई व गुड़ाई करते रहें। पूर्ण जमाव होने पर पहले से तैयार गन्ने की पौध से गैप फिलिंग कर लें। नौलख फसल में 85-90 किलोग्राम तथा पेड़ी फसल में 110 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से टॉपड्रेसिंग करें।
 बीज उत्पादन के लिये गेहूँ या बरसीम की फसल में अवांछित पौधे निकाल कर दें, बरसीम में आवश्यकता अनुसार पनि लगायें तथा फसल पकने पर काटकर अच्छी तरह सुखाकर भंडारण करें।
 खेत खाली होने पर खेत में संकर नेपियर घास, मक्का, लोबिया, बहुकटाई वाली ज्वार आदि की हरे चारे के लिये बुवाई करें। पूर्व में बोयी गई चारा फसलों में समयानुसार सिंचाई एवं यूरिया की टॉपड्रेसिंग करें।
 ऐसे खाली खेत जिनमें धान की रोपाई की जानी है या गेहूँ की कटाई के बाद खाली हुये खेतों से मृदा परीक्षण के लिये नमूना लेकर रख लें तथा समय मिलने पर उसे जाँच हेतु प्रयोगशाला में पहुँचा दें। खाली पड़े खेत में गर्मी की गहरी जुताई कर दें या हरी खाद के लिये ढेंचा की बुवाई कर दे।
बागवानी
कृषकों को बागवानी संबंधी सलाह कृषक भाई इस माह निम्नलिखित बागवानी कार्य करें ।
• आम लीची आडू केला नींबू के बागों में नियमित सिंचाई करें सिंचाई थांवला विधि से करें।
आम के पेड़ों पर मटर के दाने के बराबर फल हो चुके हैं। इन फलों पर कीट एवं बीमारी का प्रकोप हो सकता है। इसके लिए कार्बेंडाजिम नामक दवा का 1 ग्राम व प्रोफेनोफॉस नामक दवा का 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें ।
बेल वाली सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीट की रोकथाम के लिए थावलों की नियमित गुड़ाई करें व फसल पर Lambda cyhalothrin नामक रसायन का 1 ml प्रति लीटर घोल बनाकर छिड़काव करें। करेला, तरोई, टिंडा, परवल, खीरा आदि में फल मक्खी की रोकथाम के लिए फल मक्खी प्रपंच का 5 प्रपंच प्रति एकड़ कि दर से खेत में लगाएं।
पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, मेथी, धनिया, मूली, चौलाई आदि की फसलों में नियमित सिंचाई करते रहें।
तैयार फसल को काटकर बाजार भेजने की व्यवस्था करें भिंडी लोबिया ग्वार की फसल में नियम सिंचाई करें।
तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें।
फल छेदक कीट की रोकथाम के लिए कोई नाल पास नामक रसायन का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
मेंथा की फसल में नियमित सिंचाई करें।
पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें। व 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ नाली में प्रयोग करे।

कृषकों के लिए आवश्यक सलाह। किसान साथियों आज 7 अप्रैल हो गई है और दिन में तेज गर्मी होने लगी है ,साथ ही पछुआ हवा भी चल रही है।
* ऐसे में आम के बागों में नियमित सिंचाई करते रहे ।
*इस समय आम मटर के दाने के बराबर है इस समय एंथ्रेक्नोज रोग व कड़ी कीड़ा एवं मैंगो हापर का प्रकोप हो रहा है ।
इसके लिए बागों में 1.0 ग्राम कार्बेंडाजिम + डेढ़ मिलीलीटर प्रोफेनोफॉस नामक दवा , प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें *पेड़ों के ऊपर गुम्मा अथवा बंधा रोग के कोई गुच्छे दिखाई दे तो उनको तत्काल काटकर बाग से दूर नष्ट कर दे। *बागों में यदि खरपतवार अधिक हो तो उनको हंसिया या तलवार से काटकर, बाग से बाहर निकाल दें।
*बागों में पशुओं को ना चरने दें ।पशुओं के चरने व उनके द्वारा शरीर रगड़ने से पौधों को नुकसान होता है। *उनके गोबर से दीमक पैदा होती है जो बागों के पौधों को बहुत नुकसान पहुंचाती है ।
*आम में छोटे फल गिरने की बहुत समस्या पाई जाती है। इसके लिए नेप्थलीन एसिटिक एसिड (NAA)नामक हार्मोन, जो बाजार में वर्धक अथवा प्लेनोफिक्स आदि के नाम से आता है ।इसका 100 मिलीलीटर 450 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें ।
*हार्मोन के घोल में अन्य किसी दवा को ना मिलाएं।
*बागों में कोई भी कृषि कार्य करते व कोई भी दवा का स्प्रे करते समय अपने मुंह पर मास्क लगाएं वह हाथों में दस्ताने पहनकर कार्य करें ।
*कार्य करने के उपरांत स्नान करें अथवा हाथों को साबुन से भली प्रकार धोएं।
*बागों में स्प्रे करते समय छोटे बच्चों को साथ ना रखें ।
*तेज हवा चल रही हो तो स्प्रे ना करें।
*जिस टैंक में स्प्रे की दवा बनाई है ,उसको पहले सादे पानी से भली प्रकार धो लें ।उसके बाद घोल बनाएं।
कृषकों को सलाह:- किसान साथियों आप अपनी खेती में विविधीकरण करना चाहते हैं ,ताकि आपको कम खर्च में अधिक आय प्राप्त हो सके साथ ही आप ऐसी फसलें करना चाहते हैं, जो वर्ष में जब भी खेत खाली हो आप उसकी बवाई कर सके और उसकी बिक्री की कोई समस्या ना हो।
ऐसे में आप लोग अक्सर पूछते हैं कि बरेली क्षेत्र में पपीता की खेती कैसी रहेगी। इसके बारे में मैंने इस ग्रुप में पूर्व में ही बता दिया है कि, पपीता बरेली क्षेत्र के लिए अभी उपयुक्त फसल नहीं है ।
*मैं आपको यह सलाह देता हूं कि तरबूज की ऐसी अनेक प्रजातियां बाजार में उपलब्ध है जिनको आप साल भर बुवाई कर सकते हैं ।
* तरबूज की फसल 3 महीने में पूरी तरह से तैयार होकर समाप्त हो जाती है ।
* उत्पादन भी 600 से 800 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है। *वर्तमान में तरबूज की मांग पूरे वर्ष बाजार में रहती है ।
* तरबूज की नवीन प्रजातियां बाजार में उपलब्ध हैं। उनकी विशेषता यह है कि वह अंदर पूरी तरह से लाल होती हैं ।
* उनका टीएसएस बहुत ज्यादा होता है। यानी कि वह मीठी होती हैं
*इसलिए बाजार में मांग अधिक रहती है और दाम भी अधिक मिलते हैं
* इसलिए मेरे आप लोगों को सलाह है कि आप तरबूज की खेती करें ,विशेष रूप से आइस बॉक्स प्रजातियां। जिनकी बाजार में मांग ज्यादा है।
पशुपालन
1. पशुओं के लिए बदलते हुए मौसम के अनुसार सुपाच्य तथा पौष्टिक चारा की व्यवस्था करें
2. अगर आपने नेपियर घास नही लगाया है तो लगा ले इससे आपको वर्ष भर हर चारा मिलता रहेगा।
3. सूडान घास, MP चरी, मक्का आदि हरे चारे के लिए बुआई करे।
4. खुरपका मुंहपका के लिए टीकाकरण करवाएं।
5. गाय तथा भैंस के बछड़ों को कृमिनाशक दवा का पान कराएं
मुर्गी पालन:-
1. मुर्गियों को कीड़ो के लिए दवा समय से देना सुनिश्चित करें।
2. जो मुर्गियां कम अंडे दे रही हो उनकी छंटनी कर दें
3. बदलते मौसम में मुर्गियों को प्रकाश स्वच्छ जल तथा संतुलित आहार की व्यवस्था कराएं
4. आरडी तथा फाउल पाक्स का टीकाकरण समय-समय पर करा लें।

मत्स्य पालन
मत्स्य पालक अपना कार्य करते रहे आप सभी को चाहिए कि अपना कार्य करते समय Covid 19 विषाणु के बारे में आपको जानना अति आवश्यक है आप सभी किसान भाई सामाजिक दूरिया बनाये नही किसी के यह जाए न किसी को अपने यहां आने दे मुह में मास्क का प्रयोग करे अपने आस पास सफाई का विशेष ध्यान रखे अपने घरों में सेनोटिसर का प्रयोग करे आप अपने घरों में सोडियम हाइपो ककोलोरिएड का स्प्रे एवं छिड़काव कर सकते हो तालाबो में चुना एवं पोटेशियम पेरमरगनेन्ट का गोल बनाकर डाल सकते है आप सामाजिक दूरिया बनाये रखे आप स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा आप अभी किसान भाई अपने तालाबो का पानी को चेक करते रहे कि कितना है पानी का लेवल देखते रहे जिन किसान भाइयों ने मछली के सीड स्टॉक कर दिए है वे भी पानी को चेक कर तथा बीच बीच मे प्रतिपूरक आहार देते रहे अप्रैल से मछलियों की बढ़वार शुरू होती है तथा जाल भी डालते रहे कि कोई वीमारी तो नही है

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