फसलों में यैलो मोसिक वायरस लाने की सबसे बडा कारण सफेद मक्खी

फसलों पर वायरस अटैक कर रहा है। इससे पैदावार कम हो रही है और 3-4 दिन के अन्दर पूरे खेत में फैल जाता है और सम्पूर्ण फसल पीली पड़ जाती है। । 90 प्रतिशत से ज्यादा मिर्च की फसल में वायरस को फैलाने में सफेद मक्खी की भूमिका रही है। बीजों का उचित उपचार नहीं किया जाना, साथ ही जानकारी का अभाव, विलंब से मानसून आना। लंबे समय तक पड़ने वाला सूखा भी वायरस को फैलाने में सहयोगी रहा। किसानों द्वारा अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग, बिना जानकारी के कीटनाशकों के मिश्रण का छिड़काव। किसानों द्वारा लगातार एक ही फसल का लिए जाना। फसल चक्र में बदलाव नहीं करना आदि कारण है। सब्जी की फसलों पर कीटाणु और वायरस अटैक से  उड़द, सोयाबीन, मूंग, मूंगफली, चांवल, मक्का, संतरा टमाटर, भटा, मिर्च, गिल्की, लौकी, भिंडी आदि को नुकसान हो रहा है। अल्प वर्षा के कारण उनकी बाढ़ भी रूक गई है। कीटाणुओं के प्रकोप से कुकरा, मुल्था सहित अनेक रोग लग गए हैं। जिससे सब्जी उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। सब्जी की फसलों में वायरस अटैक, फंगस एवं कीटों के प्रकोप से गुणवत्ता प्रभावित हुई है। वायरस अटैक पर स्टेपेसाइकलिन का स्प्रे फंगस पर वाविस्टीन और जीवाणु विषाणु पर कीटनाशक दवाओं के छिड़काव एवं अन्य साधनों से सिंचाई कर सब्जियों को प्रतिकूल प्रभाव से बचाया जा सकता है।

दवा कारगर नहीं हो रही है 

सफेद मच्छर (व्हाइट फ्लाय) फ्यूजेरियन वायरस से बीमारी फैल रही है। इसमें फ्लाई पौधों के पत्ते पर बैठकर रस चूस लेते हैं। लार वही छोड़ देने से बीमारी का प्रकोप बढ़ता है। इस पर दवा कारगर साबित नहीं हो रही है। मच्छर पीले रंग की आेर आकर्षित होने से पीले रंग के परपंच खेतों में लगाने चाहिए। वायरस का प्रकोप मिर्च फसलों पर अधिक होता है। 

ऐसे करें बचाव 

 किसानों को  खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधे को उखाड़कर गड्डे में डालकर मिट्टी से ढंक दे।

खेत में सफेद मक्खी को आकर्षित करने के एिल प्रति हैक्टेयर 5-6 पीले प्रपंच चिपचिपे टेग लगाये।

मिर्च की फसल के आस-पास या जाल के रूप में गेंदे को रोपे। मिर्च की 15 लाईन के बाद एक लाईन गेंदे की लगाये।

परभक्षी पक्षियो को आकर्षित करने के लिए टी आकार के बास के डंडे 15 नग प्रति एकड़ गाडे़। 

जैविक उपचार 
 

20 लीटर गौमूत्र में 5 किलो नीम की पत्ती , 3 किलो धतुरा की पत्ती और 500 ग्राम तम्बाकू की पत्ती, 1 किलो बेशर्म की पत्ती  2 किलो अकौआ  की पत्ती  200 ग्राम अदरक की पत्ती (यदि  नही मिले तो 50ग्राम अदरक) 250ग्राम लहसुन 1 किलो गुड 25 ग्राम हींग  150 ग्राम  लाल मिर्च डाल कर तीन दिनों के लिए छाया में रख दें  यह घोले 1 एकड़ के लिए तैयार है इसे दो बार में 7-10 दिनों के अन्तेर से छिद्काब करना है प्रति 15 लीटर पानी में 3 लीटर घोल मिलाना है छिद्काब पूरी तरह से तर करके करना होगा  नाइट्रोजन का प्रयोग बिल्कल ही नही करें  यह  जहर  का कार्य करती है 

 

सफेद मक्खी थ्रिप्स माईट को कन्ट्रोल करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्लू एस 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार करे। सफेद मक्खी के लिए ट्राईजोफास 40 ईसी की दर से छिड़काव करे। एक ही रसायन कीटनाशक का बार बार उपयोग नही करे। दो या दो से अधिक कीटनाशक एवं हार्मोन्स, खरपतवार नाशक को मिलाकर नही छिड़कना चाहिए। मिर्च के खेत के आसपास चारो ओर ज्वार-मक्का की दो कतारे लगाना भी लाभदायक होता है।

organic farming: 
जैविक खेती: