मटर

मटर एक फूल धारण करने वाला द्विबीजपत्री पौधा है। इसकी जड़ में गांठे मिलती हैं। इसकी संयुक्त पत्ती के अगल कुछ पत्रक प्रतान में बदल जाते हैं। यह शाकीय पौधा है जिसका तना खोखला होता है। इसकी पत्ती सेयुक्त होती है। इसके फूल पूर्ण एवं तितली के आकार के होते हैं। इसकी फली लम्बी, चपटी एवं अनेक बीजों वाली होती है। मटर के एक बीज का वजन ०.१ से ०.३६ ग्राम होता है।

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली
मौसम में नमी की मार चना और मटर पर पड़ रही है। 11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70 फीसदी तक नमी ने दोनों फसलों को बीमार कर दिया है। चना पर इल्ली तो मटर पर फलीछेदक और झुलसा का असर दिखने लगा है। फसलों पर फलियां लगती देख किसान कीटनाशक के प्रयोग को लेकर दुविधा में हैं। 

 किसानों को  खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधे को उखाड़कर गड्डे में डालकर मिट्टी से ढंक दे।

चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए विशेषज्ञों की राय

चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए विशेषज्ञों की राय

देश में रबी सीजन की फसलों की बुवाई लगभग खत्म हो गई है. इक्का दुक्का किसान ही खेतों में बुवाई में लगे हुए हैं. देश में चना, मटर की बुवाई भी लगभग पूरी हो चुकी है. चना और मटर सब्जियों में प्रमुख आहार हैं. सर्दी के मौसम में चना, मटर होने पर किसानों को अधिक रखवाली करनी होती है. इस मौसम में फसलें कीट, रोगों की चपेट में आ जाती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि फसल को कीट, रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि समय रहते ही फसल के लक्षणों की पहचान कर ली जाए. कीट को भी देखते, परखते रहें. यदि कीट लग गया है तो तुरंत कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर दें. 

चने में लग जाता है फलीभेदक कीड़ा

सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला

सरसों, टमाटर और बैंगन के लिए बहुत खतरनाक है यह पाला

कड़ाके की ठंड और कोहरे का असर दिख रहा है. लगभग पूरे उत्तर भारत में इसका प्रकोप जारी है. आसमान साफ रहने, तापमान अधिक गिरने और हवा नहीं चलने से पाला का खतरा बढ़ जाता है. अभी यह खतरा कुछ फसलों के लिए बहुत बड़ा है जिनमें सरसों, टमाटर और बैंगन के नाम है. इनकी फसल चल रही है, इसलिए पाले से बचाना बहुत जरूरी है. पाले से बचाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक सलाहों पर गौर करना चाहिए. इन सलाहों की मदद से किसान अपनी फसल को आसानी से बचा सकते हैं.

किसानों ने दिखाया गेहूँ और दलहनी फसलों पर भरोसा, तिलहनी फसलों की बुबाई की कम

मौसम की बदलती करवट के चलते किसानों ने रवि फसल में गेहूं चना मटर दलहन पर भरोसा जताया है जबकि तिलहन ऊपर किसानों का भरोसा इस वर्ष कम देखने को मिल रहा है जिसके चलते तिलहन फसलों का एरिया लगातार घटता जा रहा है
चालू सीजन में गेहूं की बुआई बढ़कर 277.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 250.02 लाख हेक्टेयर में हुई थी. वहीं दलहन की बुआई बढ़कर 131.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 131.38 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हुई थी. रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 86.70 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 89.28 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है.

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