मटर की बुवाई का सही समय
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शीतकालीन सब्जियों में मटर की सबसे ज्यादा मांग होती है। आजकल मटर की डिब्बा बंदी भी काफी लोकप्रिय है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, रेशा, पोटेशियम एवं विटामिन्स पाया जाता है। देश भर मे इसकी खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है।
खेत की तैयारी
सब्जी मटर के लिए बलुई दोमट सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह भी ध्यान रहे कि खेत में जल निकास का अच्छा प्रबन्ध हो और भूमि का पीएच मान 6-7 के बीच हो। पहले मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में देसी हल से खेत की जोताई कर पाटा चलाए।
बुवाई का समय
अगेती हरी फलियों के लिए मटर की बुवाई सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से मध्य अक्टूबर तक करनी चाहिए। अधिक तापमान में बुवाई करने से उकठा रोग लग जाता है।
बुवाई की विधि
सब्जी मटर के लिए प्रति हेक्टयर 100 किग्रा बीज की जरूरत पड़ती है। बुवाई से 24 घंटे पहले विषेशकर सिकुड़नदार बीज को पानी में भिगो लें फिर छाया में सुखाकर थीरम कैप्टान आदि दवा से 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित कर लें। राइजोबियम से बीज को उपचारित करने के लिए 50 ग्राम गुड़ दो लीटर पानी में घोलकर 10 मिनट उबालें, फिर ठंडा होने पर कल्चर मिलाकर लेप तैयार कर लें।
उर्वरक का उपयोग
उर्वरक का उपयोग हमेशा मिट्टी की जांच के बाद जरूरत के मुताबिक करना चाहिए। जांच संभव न होने पर प्रति हेक्टेयर 20 किग्रा नत्रजन, 60-70 किग्रा फास्फोरस, 30-40 किग्रा पोटाश एवं 20 किग्रा सल्फर का उपयोग करना चाहिए। गोबर की सड़ी खाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टर प्रयोग की जाए तो उत्पादन और बढ़ जाएगा।
निराई-गुड़ाई
फसल बोने के 40 दिन तक खरपतवारों पर नियन्त्रण रखना अति आवश्यक है। पेंडीमेथलीन 4.0 लीटर प्रति हेक्टेयर को 600 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 72 घण्टे के अन्दर छिड़काव कर देने से चौड़ी पत्ती वाले खतपतवार समाप्त हो जाते है।
सिंचाई
बुवाई के पहले खेत को पलेवा करके भली-भांति तैयार कर लेना चाहिए, जिससे मिट्टी में पर्याप्त नमी रहे। खेत में उचित नमी न होने पर उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत कम हो जाता है।