भारतीय कृषि - समस्या और समाधान
"भारत एक कृषि प्रधान देश है " अक्सर कृषि लेखों (Essays on Agriculture) की शुरुआत इसी वाक्य से होती है. ग्रंथों में कहा गया है "अन्नम वै प्राणिनां प्राणः "( अन्न प्राणियों का जीवन है अर्थात प्राण है। प्राण ही जीवन एवं जीवन ही प्राण होता है। प्राण नहीं तो जीवन नहीं। ) और हमसब इस तथ्य से भली भांति परिचित हैं। अन्न को उगाने की कला का नाम ही कृषि है. कृषि एक विज्ञान है जिसमे फसल को उगाने से लेकर उसके बाज़ारीकरण तक का सूक्ष्म ज्ञान निहित है. इसी विज्ञानं को जानने, समझने और उसके व्यवहारिक प्रयोग का अनवरत साधना का काम करने वाले किसान कहलाते हैं। रोज़मर्रे की झंझावातों के साथ प्राकृतिक आपदाओं-विपदाओं से दो हाथ कर हमारे लिए दो वक़्त के निवाले का जुगाड़ करने वाले ये किसान हमारे समाज का अतिमहत्वपूर्ण अंग है। यूँ कहे की, हमारे जीवन की प्राणवायु शक्ति को चलायमान रखने के एक महत्वपूर्ण कारक को निष्ठापूर्वक पालन करनेवाले ये किसान है.
भारती किसान के ख़राब हालत होने के कारण और निवारण
भारत में किसानो के ख़राब हालत होने के कई कारण हैं जिसके बारे में समाज, राजनेता और हर व्यकित को सोचना चाहिए जो सक्षम हैं उनकी मदत करने के लिए आगे आये यदि समस्या बड़ी हैं तो हमको मिलकर इसके लिए कोई हल निकालना चाहिए.
भारत की राजनीति
भारत की राजनीति इतनी ख़राब हैं कि इसमें अच्छे लोग बहुत कम आते हैं या आते ही नही. इसमें जो लोग गरीबो और किसानो के नाम पर वोट लेकर जीत जाते हैं फिर उन्ही को भूल जाते हैं. किसानो और गरीबो को लगता हैं इस बार कुछ अच्छा होगा. भारतीय राजनीति में सुधार होना चाहिए. कोई ऐसी पार्टी होनी चाहिए जिसमें एक ग़रीब भी चुनाव लड़ सके. यदि कोई नेता या राजनेता चुनाव प्रचार के समय कोई वादा करता हैं तो उसे पूरा करने की लिए कोर्ट आदेश दे क्योकि गलत वादों से चुनाव जीतना अपराध की श्रेणी में आनी चाहिए.
नेता वही वादा करे जो वह 5 बर्ष में पूरा कर सके. नेताओं के कार्यो और उनकी आमदनी की जानकारी किसी वेबसाइट पर होनी चाहिए. इन सबके बाद लोगो को जागरूक होना चाहिए यदि वो वोट देकर नेता बनाते हैं तो उनसे काम लेना भी सीखे.
भारतीय सोच
भारत के लोगो ने यह मान लिया हैं कि खेती से हम लाभ पा ही नही सकते हैं. यह एक घाटे का काम हैं. इस सोच को बदलने की जरूरत हैं. किसानो को कृषि के बारे में जागरूक करे कि कैसे खेती से लाभ पा सकते हैं. परिवार के सभी सदस्यों को कृषि पर ही निर्भर नही होना चाहिए. आमदनी का कोई और सोर्से होना चाहिए. भारतीय सरकार को ऐसे लघु उद्योग के बताना चाहिए जो किसान अपने घर से कर सके और खेती भी कर सके. अतिरिक्त आमदनी के लिए उसे शहर में पलायन न करना पड़े.
भारतीय शिक्षा
भारत में ऐसे विषयों के बारे में पढाया जाता हैं जिनका हमारे जीवन में कम या कोई प्रयोग ही नही हैं जबकि कृषि जैसे विषयों को अनिवार्य करना चाहिए. कृषि से सम्बंधित टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ाना चाहिए. कृषि से व्यवसाय को कैसे जोड़ा जाय इस बात को बताना चाहिए. गाँवों में खेती करने के बाद किसानो के पास इतना समय होता हैं जिसका प्रयोग करके अतरिक्त धन कमा सकते हैं. भारत के ज्यादातर किसानो और मजदूरों के अशिक्षित होने के कारण उन्हें उचित प्रकार से शिक्षा और स्वास्थ सम्बन्धी सुबिधाएं नही मिल पाती हैं. सरकारी स्कूलों के आध्यापक को शिक्षा देने में कोई रुचि ही नही होती हैं उन्हें मोटीवेट किया जाय ताकि आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार के बच्चो को भी अच्छी शिक्षा मिल सके.
उन्हें इतनी शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे वे अपने व्यवहारिक जीवन में उसका प्रयोग कर सके और उसके लाभ को समझे और अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिला सके.
कृषि से संबंधति सरकारी केन्द्रों की निष्क्रियता
भारत में सरकार काफ़ी पैसा कृषि से संबंधति सरकारी केन्द्रों के संचालन में लगाती हैं. इन केन्द्रों के अफ़सर, किसानो की समस्या का कोई समाधान नही देते हैं. ऐसे अफ़सर उलटे उन किसानो से फर्जी तरीके से धन प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. ये सरकारी अफ़सर हम और आप में से ही लोग होते हैं हमें इतना सोचना चाहिए कि कोई किसान हमारी इक गलत निर्णय से आत्महत्या न कर ले. सरकार को जागरूक करने के साथ-साथ हमें खुद को भी जागरूक करना होंगा.
किसानो का लिया हुआ कर्ज
भारत में अधिकत्तर किसान आज भी अशिक्षित हैं जिसके कारण वो अपने आस-पास के साहूकारों से कर्ज उधार लेते हैं जो कि 70% से 120% तक का इंटरेस्ट (सूद) लेते हैं जबकि यही बैंको से लेने पर 12% से 17% तक देना होता हैं. सरकार को इन समस्याओ पर कड़ा क़दम उठाना चाहिए. बैंको के लेन-देन की प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश करे और किसानो को बैंक सम्बंधित कार्यो की जानकारी देनी चाहिए. बैंको से लोन या कर्ज लेने पर किसानो को बैंक मेनेजर को भी पैसे देने पड़ते हैं.
लघु उद्योग के बारे में
भारत में बहुत से ऐसे लघु उद्योग हैं जो किसान आसानी से अपने घर से कर सकते हैं. इसके लिए सरकार को जागरूक होना चाहिए. किसानो को लघु उद्योगो के बारे में उचित जानकारी दे ताकि वे अच्छे तरीके से कर सके.
दूसरो से उम्मीद रखना
भारतीय किसान को यह लगता हैं कि यह सरकार नही तो अगली सरकार उनके लिए कुछ अच्छा करेगी. ऐसी सोच का त्याग करे . आपके किस्मत को केवल आप और आपका बेटा बदल सकता हैं. हर समस्या का समाधान होता हैं बस सोच बदलने की जरूरत होती हैं. बच्चो को उचित शिक्षा दिलए. कम-से-कम एक बच्चे को इतना जरूर पढाएँ जो पूरे घर, गाँव और समाज की सोच बदल दे. शिक्षा में बहुत शक्ति होती हैं, यह हर किसान को समझना होगा.