मछली

मछली शल्कों वाला एक जलचर है जो कि कम से कम एक जोडा़ पंखों से युक्त होती है। मछलियाँ मीठे पानी के स्त्रोतों और समुद्र मे बहुतायत मे पाई जाती हैं। समुद्र तट के आसपास के इलाकों में मछलियाँ खाने और पोषण का एक प्रमुख स्त्रोत हैं। कई सभ्यताओं के साहित्य, इतिहास एवं उनकी संस्कृति में मछलियों का विशेष स्थान है। इस दुनिया में मछलियों की कम से कम 28,500 प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें अलग अलग स्थानों पर कोई 2,18,000 भिन्न नामों से जाना जाता है। इसकी परिभाषा कई मछलियों को अन्य जलीय प्रणी से अलग करती है, यथा ह्वेल एक मछली नहीं है। परिभाषा के मुताबिक़, मछली एक ऐसी जलीय प्राणी है जिसकी रीढ़ की हड्डी होती है (कशेरुकी जन्तु), तथा आजीवन गलफड़े (गिल्स) से युक्त होती हैं तथा अगर कोई डालीनुमा अंग होते हैं (लिंब) तो वे फ़िन के रूप में होते हैं।

 

हिन्दुस्तान की मिट्टी में सबसे ज्यादा पैदावार: राधामोहन

हिन्दुस्तान की मिट्टी में सबसे ज्यादा पैदावार: राधामोहन

देश में दलहन-तिलहन की दर्जनों फसलें हैं, जिनकी काफी पैदावार होती है। लगातार अंडा, मछली और दूध उत्पादन में भी ग्रोथ हो रही है। इससे स्पष्ट है कि हिंदुस्तान की मिट्टी में सबसे ज्यादा पैदावार है। यह कहना है केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का।

सोमवार को इंदिरा गांधी कृषि विवि के आठवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राधामोहन ने कहा कि भारत सरकार ने कृषि शिक्षा का बजट 405 से 570 करोड़ रुपए कर दिया है। 10 नए कृषि विवि की स्थापना की गई है।

पशु खरीदी पर अनुदान देने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य

पशु खरीदी पर अनुदान

छत्तीसगढ़ राज्य देश का पहला राज्य है, जो 12 लाख का पशु खरीदने पर 6 लाख की सब्सिडी दे रहा है। समय के साथ किसानों को अपनी अतिरिक्त आय बढ़ानी चाहिए। छोटे व मंझोल किसानों की आय दोगुनी करनी है। कृषि क्षेत्र में सरकार अनुदान दे रही है। पशुपालन, उद्यानिकी से जुड़कर अपनी आय बढ़ाए। यह बातें कृषि, पशुपालन, मछली पालन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शनिवार को राज्यस्तरीय पशु प्रदर्शनी, कृषक सम्मेलन, पशुपालक सह चरवाहा प्रशिक्षण कार्यक्रम में कही।

सिंघाड़े की खेती में अधिक फायदा

सिंघाड़े की खेती

गर आपके घर के पास कोई तालाब हो तो ये सही समय है सिंघाड़े की बुवाई का। जून, जुलाई और अगस्त महीने तक किसान बुवाई कर सकते हैं। सितम्बर महीने से सिघाड़े के पौधों में सिघाड़े उगने शुरू हो जाते हैं और अक्टूबर से लेकर जनवरी तक पौधे से सिघाड़े निकलते रहते हैं।