हिन्दुस्तान की मिट्टी में सबसे ज्यादा पैदावार: राधामोहन
देश में दलहन-तिलहन की दर्जनों फसलें हैं, जिनकी काफी पैदावार होती है। लगातार अंडा, मछली और दूध उत्पादन में भी ग्रोथ हो रही है। इससे स्पष्ट है कि हिंदुस्तान की मिट्टी में सबसे ज्यादा पैदावार है। यह कहना है केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का।
सोमवार को इंदिरा गांधी कृषि विवि के आठवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राधामोहन ने कहा कि भारत सरकार ने कृषि शिक्षा का बजट 405 से 570 करोड़ रुपए कर दिया है। 10 नए कृषि विवि की स्थापना की गई है।
आईसीएआर ने उच्च कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए स्टूडेंट्स रेडी जैसे अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं। "मेरा गांव मेरा गौरव" के तहत कृषि विश्वविद्यालयों ने दस हजार गांव को अपनाया है। इससे पहले राधामोहन ने 1997 छात्रों को उपाधि और 15 को गोल्ड मेडल से नवाजा।
उन्होंने सभी छात्रों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। इस अवसर पर कुलाधिपति राज्यपाल बलरामजी दास टंडन, मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, सांसद रमेश बैस और विवि के कुलपति डॉ.एसके पाटील समेत अन्य वरिष्ठ उपस्थित थे।
व्हाइट कॉलर जॉब को छोड़ कृषि में : रमन
दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सभी मेधावी छात्रों को बधाई, जिन्होंने पदक हासिल किया है। आप लोगों को इस बात के लिए विशेषतौर पर बधाई कि जब पूरी दुनिया 'व्हाइट कॉलर जॉब" की ओर दौड़ रही है, तब आपने खेल, खलिहान की राह पकड़ी। निश्चित तौर पर आपके पास ये विकल्प थे कि आप खेती-किसानी के अलावा अपना कैरियर बनाने के लिए कोई भी साफ-सुथरा रास्ता अपना सकते थे, जिसमें न माटी में हाथ सानने पड़ते हैं और न ही खाद-बीज और रसायनों के पचड़े में पड़ना पड़ता। मुख्यमंत्री ने उद्बोधन में कृषि से संबंधित कई योजनाओं का उल्लेख किया।
देश का विकास कृषि क्षेत्र की सफलता पर : राज्यपाल
विवि के कुलाधिपति राज्यपाल बलरामजी दास टंडन ने कहा कि भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा कृषि क्षेत्र की सफलता पर निर्भर करती है। यह चिंतनीय विषय है कि देश में कुल बोए गए क्षेत्र का 65 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा आश्रित है। हाल के कुछ वर्षों में भूजल एवं जमीन का बहुत बड़े पैमाने पर क्षरण हुआ है।
आज इसी बात पर बल दिया जाना चाहिए कि वर्तमान भूमि व जल संसाधन के आधार को बनाए रखना नितांत आवश्यक है। राज्यपाल ने कहा कि कम लागत वाले मशीनरी उपायों को विकसित एवं प्रदर्शित कर भूमि एवं जल सुधारों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।