बड़ते तापमान पर करते रहे सूक्ष्म सिंचाई
देश भर में बड़ते तापमान के कारण किसान बहुत चिंतित हैं फसलों का बुरा हाल है खेत सुख रहे है I उत्तर भारत में धान ,गन्ना , सब्जियां ,सोयाबीन जो की प्रमुख फसलें हैं सभी लगी हुई फसलें सूख रही है I जिनकी अभी बोबानी होनी हैं किसान उनकी बोनानी करने में कतरा रहे है उधर देश के सभी राज्यों में सिंचाई की सभी ब्यवस्था लगभग ठप पड़ी हैं तालाब व पोखरों में पानी नही है नहरों में भी पानी पूरी तरह से पर्याप्त नही है I
ऐसे में किसानों में किसान की स्तिथि दयनीय है kisanhelp के संरक्षक श्री सिंह नें एक कार्यक्रम में किसानों को लघु या सूक्ष्म सिंचाई की सलाह दी है I मानसून का समय अब निकट ही है ऐसे में फसलों और किसान दोनो का बचने का एक विकल्प है I उन्होंने बताया की सूक्ष्म सिंचाई से किसानों की फसल सूखे की मार से बच जाएगी और किसानों पर सिंचाई का अतिरिक्त भर भी नही पड़ेगा राजकीय प्रबंधनों से सभी किसानों को सिंचाई का मौका मिल जायेगा I दुनिया की आबादी बढ़ रही है और खाद्यान्न को अधिक से अधिक बढ़ाना भी जरूरती है। हमारे खेतों में पारंपरिक खेती के तरीकों के माध्यम से अधिकतम उपज प्राप्त की जा रही है। इसके अलावा बढ़ती जनसंख्या के लिए अधिक पानी की आवश्यक होगी और दूसरी तरफ अधिक फसल उगाने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होगी। क्योंकि पानी की सीमित है इसलिए हमें इसके उपयोग का उपयुक्त तरीके खोजने होंगे साथ ही साथ बढ़ती जनसंख्या के भोजन हेतु फसलों के उत्पादन को भी अधिक से अधिक बढ़ाना होगा। मानसून का समय अब निकट ही है ऐसे में फसलों और किसान दोनो का बचने का एक विकल्प है I सूक्ष्म सिंचाई के कुछ लाभ लाभ गिनाते हुए उन्होंने कहा कि
जल उपयोग कार्यक्षमता में वृद्धि किया जाना संभव है।
पानी के कम से कम उपयोग से अधिक से अधिक उत्पादन।
सस्ती लागत में उत्पादन।
बंजर और परती भूमि में भी खेती की जा सकती है।
फसल उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
खराब गुणवत्ता और खारा पानी का उपयोग किया जा सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण में कमी आती है और मिट्टी के उपजाऊपन में सुधार होगा।
कुल मिलाकर खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना।उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई मिशन का मुख्य उद्देश्य बताते हुए कहा कि इससे पानी की बचत के साथ-साथ पैदावार में भी वृद्धि करना है। जल कृषि के लिए महत्वपूर्ण निवेश है। जल की पर्याप्त मात्रा व गुणवत्ता उच्च उत्पादकता के लिए आवश्यक है। अधिकतर क्षेत्रों की सिंचाई किसानों द्वारा पारंपरिक पद्धतियों से की जाती रही। जिससे सिंचाई दक्षता काफी कम होती गई। इस कारण से जल लग्नता तथा मृदा लवणता जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई। जिनके कारण फसल पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ा। ऐसी स्थिति में सिंचाई के आधुनिक तरीके जैसे टपका एवं छिड़काव विधियां काफी लाभदायक सिद्ध हुई हैं।उन्होंने कहा कि बूंद बूंद सिंचाई फव्वारा सिंचाई के साथ साथ उर्वरीकरण के अंगीकरण में व्यापक निवेश को बल देती है। सूक्ष्म सिंचाई तकनीक से 30 से 65 प्रतिशत की बचत होती है। इसके अलावा 20 से 85 प्रतिशत उपज और गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। सूक्ष्म सिंचाई जल उपयोग कार्यक्षमता को बढ़ाता है और उत्पादकता को भी। इसका यह अर्थ है कि एक तरफ तो हम पानी के उपयोग को बढ़ायेंगे और दूसरी तरफ हम उत्पादन बढ़ाने में भी सक्षम होंगे।