किसान कर रहे हैदराबादी और जोगिंदर जिमीकंद की खेती
कृषि महाविद्यालय में प्रयोग के बाद पहली बार बिलासपुर जिले के ग्राम गोदइयां के किसान बड़े पैमाने पर हैदराबादी और गजेंदर जिमीकंद की खेती कर रहे हैं। इस जिमीकंद की खेती छत्तीसगढ़ के सिर्फ बस्तर में होती है। बाजार में अन्य जिमीकंद से इसका भाव अधिक होता है।
पूरे देश में हैदराबादी और गजेंदर जिमीकंद दो ऐसे वेराइटी हैं, जिसमें अम्ल की मात्रा अधिक और क्षार नहीं के बराबर होती है। इसलिए इसमें खुजलाहट जरा भी नहीं होती। लोग सब्जियों के अलावा सामान्य खाने में भी इसका उपयोग कर सकते हैं। औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।
इसलिए बाजार में इसकी मांग भी अधिक होती है। अन्य जिमीकंद की अपेक्षा यह महंगे होते हैं। बस्तर को छोड़कर जहां भी जिमीकंद की खेती होती है, उस जिमीकंद में अम्ल कम और क्षार अधिक होता है। इसलिए उसमें खुजलाहट रहती है। ऐसे जिमीकंद में खुजलाहट को कम करने के लिए उसमें खट्टा पदार्थ डाला जाता है।
खेती करने के बाजार में इसका कंद आसानी से नहीं मिलता। कृषि महाविद्यालय ने प्रयोग के लिए बस्तर से इसका कंद मंगाया था और प्रयोग के तौर पर खेती किया और किसानों को इसकी जानकारी दी। अब सफल प्रयोग के बाद गोदइयां के किसान इस जिमीकंद की खेती कर रहे हैं।
9 महीने में होता है तैयार
अप्रैल-मई में इस जिमीकंद की खेती होती है। इसके लिए हल्की मिट्टी की आवश्यकता होती है। बरसात के पानी के अलावा इस फसल को और पानी की जरूरत नहीं पड़ती। इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 500 क्विंटल और प्रति एकड़ 200 क्विंटल होता है। लागत और मेहनत भी इसमें नहीं के बराबर होती है। 9 महीने में यह तैयार होता है।
5 किलो तक होता है कंद
इसमें एक कंद से एक पौधा तैयार होता है, जिसका कंद 5 किलोग्राम होता है। बाजार में इस प्रकार के जिमीकंद 70-80 रुपए किलो से भी अधिक मिलता है। सामान्य जिमीकंद 40-50 रुपए किलो में मिलता है। भाव अधिक होने के कारण किसाना इसकी खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं।
प्रोटीन और विटामीन से होता है भरपूर
जिमीकंद में पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा पाई जाती है। इसमें फाइबर, विटामीन सी, विटामीन बी 6, विटामीन बी1, फोलिक एसिड और नियोसिन होता है। इसके अलवा मिनरल जैसे पोटेशियम, आयरन, मैग्नेशियम, कैल्सियम और फास्फोरस भी पाया जाता है। खासकर सब्जी के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।
औषधि गुणों से भी भरपूर
- अल्सर, फोड़े, फुंसी या चर्म रोग के लिए रामबाण।
- यह गठिया और अस्थमा रोगियों के लिए अच्छा है
- नियमित खाने से कब्ज और कोलेस्ट्राल की समस्या दूर होती है।
- यह शरीर में अल्जाइमर रोग होने से बचाता है।
- ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है।
हैदराबादी और गजेंदर जिमीकंद की खेती पूरे छत्तीसगढ़ में सिर्फ बस्तर में ही होती है। अब जिले के किसान भी इसकी खेती कर रहे हैं।
डॉ. सीआर गुप्ता, डीन,
ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय
- साभार नई दुनिया