जैविक खेती को बढ़ावा दे रही वनसर्ट एशिया
कृषि विभाग प्रयास कर रहा है. कोई भी किसान यदि जैविक खेती अपनाता है तो इसे रसायनिक से जैविक में तब्दील करने के लिए तीन वर्ष का समय लगता है. तीन वर्ष तक बिना रसायनों के जैविक खादों से फसलें उगाने के बाद किसान को इसका प्रमाण पत्र व लोगो दिया जाता है. इसका निरीक्षण वनसर्ट एशिया नामक एजेंसी करती है. किसान अभी ग्रुप बनाकर बाहरी राज्यों में उत्पादों की मार्केटिंग कर रहे हैं. आने वाले दिनों में किसानों को यहीं पर नीलामी की सुविधा मिलेगी.
भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों में से एक है, जहां व्यवस्थित खेती हजारों सालों से अपनाई जा रही है. प्राचीन समय में कृषि केवल अन्न उत्पादन व्यवसाय न होकर हमारे जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा था. सभी कृषि पद्धतियां भी मौसम के अनुरूप थी और फसलों का चयन भी. अब इसी क्रम को फिर से बढ़ाने के लिए जिला सोलन में विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. सोलन जिला में कुल 64 हजार 984 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जा रही है, इसमें से अभी 1400 हेक्टेयर भूमि जैविक खेती के तहत लाई गई है. इसके लिए 1730 किसानों का पंजीकरण कर 990 हेक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के तहत लाया गया है व वर्ष 2013-14 में 410 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र जैविक खेती के लिए चयनित किया गया.
जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है और इसके अधीन अधिक से अधिक भूमि को लाने के भी प्रयास चल रहे हैं. जिला सोलन में अभी तक 1400 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के तहत लाया गया है. खेती में प्रयोग हो रहे रासायनिक खादों व कीटनाशकों के खर्च और दुष्प्रभावों को देखते हुए अब किसान जैविक खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं.