फसलों की मासिक जानकारी
Submitted by Aksh on 30 May, 2015 - 15:37
मौसम के अनुसार तथा मास के अनुसार हम किसान भाइयो को तैयारिया करनी चाहिए अपने अनुभव के आधार पर कुछ निम्न तथ्य दे रहा हूँ
जनवरी
- आम, चीकू, आँवला, नींबू वर्गीय, कटहल आदि नये बगीचों को पाले से बचाने के लिये सिंचाई करें एवं एक वर्ष तक के छोटे पौधो को घास का घेरा बनाकर छाया करें ताकि पाले से बचाया जा सके।
- आम के पेड की आयु के अनुसार 100 ग्राम नत्रजन प्र्रतिवर्ष प्र्रति पेड के हिसाब से 10 वर्ष तक बडाते रहें। 10 वर्ष के पश्चात एक किलो वाम नत्रजन प्र्रति पेड दें।
- आम की फसल को भुनगा आदि कीटों की रोकथाम के लिये 1.5 मिली लीटर नुबाकृान प्र्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- केला की कांदा बहार की कटाई करें तथा मृगवहार में नत्रजन एवं पोटाश की शेष मात्रा डाले। नये सकर काटकर पृथक करें।
- अमरूद, आंवला, चीकू, कटहल, आम आदि फलों के तना छेदकर के नियंत्रण हेतु नुवाक्रान को रूई के फावे में भिगोकर छेद में डालकर बंद करें।
- अंगूर के नये रोपण की कार्यवाई करें तथा फलने वाले बगीचों में इउोल हार्मोन का छिडकाव तथा चुर्णी, फफूंद,मिलीवग नियंत्रण की कार्यवाई करें।
- पान बरेजों की तैयारी करें। पद सृजन, पत्ती के धब्बे वाली बीमारी या चूर्णी, फफूंद की रोकथाम हेतु इण्डोफिल-45, बाबस्िटन 0.1 प्र्रतिशत, गंधक 0.25 प्र्रतिशत का छिडकाव करें।
- सभी फलदार बगीचों में बोर्े पेस्ट 100 ग्राम, कापर सल्फेट 100 ग्राम, बुझा चूना एवं 500 मिली लीटर पानी में तैयार कर एक मीटर तक तनों पर लगायें
- पाले से बचत के लिये सिंचाई करें अथवा धुंआर्ैं की व्यवस्था करें।
- टमाटर, मिर्च, बैगन, गोभी, पत्ती वाली फसलों पर बीमारियों एवं कीटों के नियंत्रण हेतु दवा का छिडकाव करें।
- आलू की फसल पर पिछला झुलसा, माहू, विषाणु रोग नियंत्रण हेतु दवा का छिडकाव करें। तने की कटाई बीज के लिये करें। विषाणु एवं ब्राउनराट रोग से पृथक करें। टी.पी.एस. की क्रसचाई एवं मिटटी चाने का कार्य करें।
- तरबूज, खरबूज, लौकी, करेला, बरवटी, ककडी, कद्दू लगाने हेतु खेत को तैयार करें तथा बीज प्लास्िटक की थैली में उगायें।
- जीरा में वायराइट पर 1 प्र्रतिशत बोर्े मिक्चर का छिडकाव करें।
- धनियाँ, मैथी की फसल पर चूणाद्द, फफूंद नियंत्रण हेतु गंधक 3 ग्राम प्र्रति लीटर में घोलकर छिडकाव करें।
- अदरक, हल्दी के राइजोम को 3 ग्राम डायथेन एम-45 प्रति लीटर पानी में घोलकर 30 मिनिट तक दवा में उपचारित करें।
- प्याज, लहसुन में क्रसचाई तथा क्रनदाई की जाये। लीफ ब्लाइट नियंत्रण हेतु ब्लाइटौंक्स या डाइथेन एम-45 का छिडकाव रोगर दवा के साथ करें ' प्याज के ओनियन लेट हेतु रोपणी डालें।
- गुलाब की कटिंग व बडिंग की जाये।
- ग्रीष्म कालीन गेंदा, ग्लाडिया की नर्सरी डालें।
- मिर्च में फल सडन एवं डाईवेक नियंत्रण हेतु इण्डोफिल 45 एवं 2.50 वाम 1 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। माइट नियंत्रण हेतु डाइकोफाल 18 ई.सी. का छिड
फरवरी
- आम और बेर में गुच्छा रोग के निदान हेतु पोटेशियम मेटाबाई सल्फाइड का एक वाम प्र्रति लीटर पानी के हिसाब से छिडकाव करें।
- आम के भुनगा, पावडरी मिल्डयू की रोकथाम हेतु नुबाकृान 1.5 मि.ली., 2 गाम सल्फैक्स प्र्रति लीटर की दर से छिडकाव करें।
- पाले से बचाव हेतु क्रसचाई करें।
- अंगूर रोपण पूर्ण कर लें।
- नींबू वर्गीय फलों में केकर, स्केव एवं एन्उाोक्नोन की रोकथाम हेतु उपाय करें।
- गमोसिस की रोकथाम हेतु बोर्े पेस्ट लगाएँ तथा पौधे के चारों ओर मिटटी चायें जिससे पानी तने के सम्पर्क में न आये।
- पान की रोपाई प्र्रारम्भ करें।
- रंगपुरलाइम, रफलेमन के फल से बीज निकालकर रूट स्टाक तैयार करने हेतु बोबाई करें।
- एयर लेयक्ररग वाले अमरूद, नींबू, चीकू, आदि के पौधे पृथक कर क्यारी में लगायें।
- काली पीपल की नर्सरी तैयार करें।
- काजू के बगीचों में टी-मसक्विटों का नियंत्रण तथा थाले आदि बनाकर क्रसचाई की व्यवस्था करें।
- केला पपीता लगाने की तैयारी प्र्रारम्भ करें।
- कद्दध् कुम्हडा, तुरई, लौकी, परवल, तरबूज, खरबूज, मिर्च, अरबी, चौलाई, बैगन, बरवटी की बोनी करें।
- आलू की फसल में इन्डोफिल-45 रोगर का छिडकाव करें । जल्दी पकने वाली आलू फसल की खुदाई करें।
- अदरक, हल्दी एवं रतालू की खुदाई शीफा करें तथा रोग गृसित सकर को पृथक करें।
- टमाटर की फसल को ब्लाइट, स्पाटेड विल्ट वाइरस के नियंत्रण का उपाय करें।
- धनियार्ैं की फसल की कटाई प्र्रारंभ करें।
- धनियार्ैं, सौंफ, जीरा एवं अन्य फसलों को चूणाद्द, फफूंद से बचाने हेतु सल्फेल्स या कोसान का छिडकाव करें।
- फूलों की क्रसचाई, लीफ स्पार्ैंट बीमारी, माइट्स, लीफ माइनर के नियंत्रण हेतु उपचार करें।
- नदियों की तलहटी में तरबूज, खरबूज लगाने हेतु थाले 5 फिट की दूरी पर तैयार कर 10 क्विंटल गोबर की खाद एवं 5 ग्राम बी.एच.सी. प्र्रति थाले में डालें।
मार्च
- आम के भुनगा कीट, खर् रोग एवं बौर की गुच्छा व्याधि के लिए 20 ग्राम कीटनेक या नुवाकृान-10 मि.ली. कैरेथान तथा 10 ग्राम पोटेशियम मेटाबाई सल्फाइड दवा को एक साथ 10 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- पपीता की नर्सरी डालें।
- नारियल का रोपण प्र्रारंभ करें।
- केला की मृगबहार लगाना प्र्रारंभ करें।
- नींबूवर्गीय फलों में थाले बनाएँ तथा क्रसचाई प्र्रारंभ करें।
- फ्रूट फ्लाई, शूटबोर, ट्रंक बोरर, फ्रूट सेक्रकग माथ, स्केल इन्सेक्ट, गमोसिस स्केल, कैकर के नियंत्रण हेतु दवाओं का छिडकाव करें।
- कद्दध्वर्गीय सब्जियों, बरबटी, भिण्डी, चौलाई लगायें।
- चूर्णी फफूंद रोग नियंत्रण हेतु सल्फेल्स का छिडकाव करें।
- अदरक,हल्दी, कसावा, रतालू, परवल लगाएँ।
- कद्दध्वर्गीय फसलों को पेन्टेड बग, जैसिड, एफिड, लीफ माइनर से रोकथाम करें।
- धनियार्ैं, सौंफ, अजवाइन, मैथी की कटाई कर समुचित ंग से सुखाएँ।
- आलू की खुदायी कर शीतगृह में भण्डारण करें।
- प्याज की खुदाई प्र्रारंभ कर भण्डारण की व्यवस्था करें।
- प्याज बीज की समुचित देखरेख करें तथा पकने पर गुच्छे तोडकर सुखाएँ।
- पान लगाने का कार्य प्र्रारंभ करें।
अप्रैल
- आम में भुनगा तथा रिकनेस कीट की रोकथाम के लिए कीलेक्स काबोरिल 2 ग्राम/प्रतिलीटर या इण्डोसल्फान 1.5 मि.ली. तथा खर् रोग एवं एन्उाोक्नोज की रोकथाम हेतु 2 ग्राम ब्लाइटाक्स 50 एवं 40 पी.पी.एम.एन.ए.ए. का मिलाकर छिडकाव करें।
- आम फल के उपलक्षय रोग की रोकथाम के लिए 8 गाम बोरेक्स प्र्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- दीमक की रोकथाम के लिए 300 ग्राम एल्ड्रेक्स 5 प्रतिशत धूल मिट्टी में मिलाएँ।
- केला रोपण करें।
- कटहल में क्रपकरोग की रोकथाम हेतु प्र्रभावित शाखा को डेढ फीट नीचे से काटकर पृथक करें तथा बोर्े मिक्चर का छिडकाव करें।
- पपीता की फसल पर लालमकडी एवं पावडरी मिल्डय्यू की रोकथाम हेतु मेटासिस्टाक एवं केरेथार्ैंन 0.02 प्र्रतिशत का छिडकाव करें।
- अरबी, परवल, कुंदरू, चौलाई की बौनी करें।
- भिण्डी, कद्दध्वर्गीय सब्जियों पर चूर्ण फफूंद की रोकथाम हेतु साल्फेक्स 2 वाम/लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें । रेड पम्पकिन विटल की रोकथाम हेतु कीटनाशक दवा का छिडकाव करें।
- हल्दी, अदरक, शलजम तथा अरबी का रोपण करें।
- नर्सरी के लिए मिट्टी का सोलोराइजेशन करें
- नियोजित रूप से सिंचाई करें तथा मल्चिंग की व्यवस्था करें।
मई
- आम के उत्तक क्षयरोग की रोकथाम हेतु 8 ग्राम बोरेक्स प्र्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- आम के फल सडने से रोकने हेतु 2-4 डी.या एन.ए.ए. का छिडकाव करें।
- केला के मृगबहार का रोपण करें।
- सीताफल में नत्रजन की शेष मात्रा दें तथा सिंचाई करें।
- नींबूवर्गीय फलों में नीम की खली 1/2 किलो प्र्रति पौधे की दर से दीमक नियंत्रण हेतु डालें।
- नींबूवर्गीय फलों में व्हाइट फ्लाई की रोकथाम हेतु 0.1 प्र्रतिशत मोनोकृोटोफास का छिडकाव करें।
- नये पौधों की सुरक्षा धूप आदि से करें।
- केला एवं पपीता फलों को पत्तियों से या बोरी से ढँक दें।
- अरबी, अदरक, हल्दी की रोपाई करें तथा पत्तियों से ढँक दें।
- फूलगोभी की रोपणी तैयार करें।
- खडी फसल में प्लास्िटक मल्चिंग करें।
- पान बरेजों की मिट्टी तथा नर्सरी क्षेत्र का सोलोराइजेशन करें।
- मोगरा के पौधे में सिंचाई करें।
जून
- नये फलों के बगीचों के गढढो की खुदायी करबी.एच.सी. 10 ग्राम प्र्रति ग े में डाले।
- नींबू वर्गीय आम आदि फलों में क्रसचाई करें।
- दीमक की रोकथाम हेतु 300 ग्राम एल्ड्रेक्स 5 प्र्रतिशत या क्लोरोपाइरीफास डस्ट 10 से 15 किलो प्र्रति हेक्टर डालें।
- आम की शीफा पकने वाली जातियों की तुडाई करें।
- बेर, आर्ैंवला में बक्रडग करें
- बगीचों में गर्म हवा से सुरक्षा हेतु बागड लगाएँ तथा नियमित क्रसचाई करें।
- कददू वर्गीय फसलों को चूणाद्द, फफूंद एवं कीट से सुरक्षा करें।
- तरबूज, खरबूज, ककडी की तुडाई करें।
- मिर्च, बरबटी, गोभी, अदरक, चौलाई का रोपण करें
जुलाई
- आम के फलों की तुडाई करें।
- फल पौधों में 50 ग्राम नत्रजन प्रति पौध आयु के हिसाब से दें। इस प्र्रकार 500 ग्राम नत्रजन इस वर्ष तक या इसके पश्चात एक किलो यूरिया प्र्रति पौध दें।
- जल निकास की व्यवस्था करें।
- संतरा, नींबू, चीकू, अनार, कटहल, बेर, आँवला, आदि रोपण की किृया करें।
- आम, नींबू, में गूटी बांधें।
- आम, चीक, अमरूद में वाफ्िंटग करें।
- आर्ैंवला संतरे एवं मौसम्बी में बक्रडग करें।
- रूट स्टार्ैंक हेतु रफलेमन, रंगपुरलाइम, खिरनी की बोनी करें।
- अन्य बीजू फलों के बीज बोयें।
- आम की गुठली का रोपण कार्य करें।
- फूलों से निर्धारित मानक के आधार पर खाद डालें।
- बीमारी वस्त फलों एवं शाखाओं को पौधे से पृथक करें।
- अंगूर में बोर्डो मिक्चर 4:4:50 का छिडकाव करें।
- केला की फसल में सकर पृथक करें तथा पत्तियों पर सिगाटोका की रोकथाम हेतु इण्डोफिल-45, 2 ग्राम प्र्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- अदरक,अरबी,हल्दी की फसल में जल निकास की व्यवस्था करें।
- पदगलन की स्थिति में केप्टान या बाविस्िटन या इण्डोफिल-45 का छिडकाव करें।
- कद्दू वाली फसल की कटाई करें।
अगस्त
- आम की शाखा रूट कीट के नियंत्रण हेतु मोनोसिल या नुबाकृान 2 वाम प्र्रतिलीटर में घोलकर छिडकाव करें।
- नये रोपित पौधों में जल निकास की व्यवस्था करें।
- अगस्त में नये पौधे न लगाये क्योंकि वर्षा अधिक होती है, फलस्वरूप पौधे सडने की आशंका रहती है।
- केला फसल में सकर गमोसिस/अमरूद नींबू आदि में सकर पृथक करें।
- केकर, स्कैव की रोकथाम हेतु समुचित व्यवस्था करें।
- बीजू पौधों की बीज बोने की व्यवस्था करें। ऊं ची क्यारियों पर ही बोनी या रोपाई करें।
- अनानास की रोपाई करें।
- रोपित पोधों में अनुसंशा के आधार पर नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश डालें।
- फूलगोभी, पालक, गांठ गोभी लगायें।
- खरीफ सब्जियों को लकडियों के सहारे चं जिससे फल जमीन के सम्पर्क में न रहें।
- विषाणु रोग वसित पौधों को पृथक करें तथा कीट व्याधि नियंत्रण हेतु दवाओं का छिडकाव करें।
- अदरक एवं हल्दी में पदगलन रोग की सुरक्षा एवं ञाासीकाल या रेडोमिल की 1 1/2 ग्राम प्र्रति लीटर पानी में घोलकर ड्रेक्रचग करें।
- सब्जियों की बुआई एवं कीट नियंत्रण।
सितम्बर
- आम की शाखा जड कीट का नियंत्रण, नुबाकृान 2 ग्राम प्र्रति लीटर पानी में घोलकर करें ।
- आम, नींबू में गमोसिस एवं एन्थेक्नोज की रोकथाम हेतु 2.50 ग्राम ब्लाइटाक्स या फाइटोलन का छिडकाव करें ।
- संतरा, बेर में सूंडी नियंत्रण हेतु बोर्े मिक्चर का छिडकाव एवं कीट नियंत्रण करें ।
- फल मक्खी के नियंत्रण हेतु प्र्रपंच जल बनाया जाये ।
- केकर, स्कैव के नियंत्रण हेतु स्ट्रेपटो-साइक्लिन एवं ब्लाईटाक्स का छिडकाव करें ।
- बगीचे की बुबाई करें ।
- सिंचाई नालियों का निर्माण, पाला निर्माण, खरपतवार पृथक करने का कार्य करें ।
- मूली, गाजर, मटर, पत्तागोभी, मैथी, फूलगोभी, फ्रेंचबीन, पालक, सलाद की खेती करें ।
- हल्दी एवं अदरक में सिंचाई करें ।
- टी.पी.एस. आलू के रोपे की तैयारी करें ।
- आलू बोने हेतु खेत तैयार करें ।
- फूलों की रोपणी तैयार की जाये ।
- गुलाब के रोपण की तैयारी की जाये ।
- डहेलिया, गुलदाउदी, ग्लेडियोलाई बल्व लगायें ।
- लार्ैंन की कटाई एवं दबाई करे
अक्टूवर
- आम की गमोसिस तथा एन्थेक्नोज की रोकथाम हेतु 2.5 वाम ब्लाइटाक्स 50 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें ।
- जो नये रोपित पौधे मर गये हैं, उनके स्थान पर दूसरा पौध लगायें ।
- आम में सिचंाई रोक दें ।
- इथरेल का छिडकाव करें ।
- गूटी वाले पोधे पृथक कर क्यारियों में लगायें ।
- नींबूवर्गीय में बोर्े पेस्ट लगाना ।
- अंगूर के पौधों की सिचंाई कर कटाई छंटाई करें ।
- संतरों, मौसम्बी तथा ग्रेपफूट में कलिकायन करना ।
- अंगूर की कलम तैयार करें ।मूलवृन्त की शाखाएँ तोडें ।
- शीतकालीन पुष्प लगाएँ।
- गुलाब की छंटाई करें ।
- गमले वाले पौधों में खाद एवं उर्वरक दें ।
- आलू, शलजम, गाजर,मूल, मटर, फ्रेंचवीन, लहसुन, धनियार्ैं की बोनी करें ।
- गोभी, टमाटर, प्याज, टी.पी.एस. आलू की रोपाई करें ।
- अदरक, हल्दी में शूट बोरर नियंत्रण हेतु 0.01 प्र्रतिशत फास्फोमिडान का छिडकाव करें ।
- पत्तियों की धब्बेवाली बीमारी के नियंत्रण हेतु 0.2 प्र्रतिशत इन्डोफिल-45 का छिडकाव करें ।
- मिर्च की फसल की रोपाई हेतु उनसे 400 किलो ग्राम नीमखली या मूंगफली खली जमीन में डालें ।
- 60 किलो नत्रजन, 30 किलो ग्राम स्फुर तथा 50 किलो ग्राम पोटाश डालें ।
- थ्रिप्स , फल छेदक नियंत्रण हेतु 0.025 प्र्रतिशत मेटासिस्टाक्स छिडकें ।
- डाईबेक एवं फल सडन हेतु डाइफालीटान 2 ग्राम/लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें ।
- धनियाँ 15-20 किलो, सौंफ 8-10 किलो ग्राम, मैथी 12-15 किलो ग्राम प्र्रति हेक्टर बीज लगायें ।
नवम्बर
- आम के बगीचे में सिंचाई बन्द कर दी जाये ।
- अमरूद,पपीता,नींबू में फलों की तुडाई करें ।
- आम के पौधों पर कीटनाशक दवा का छिडकाव करें।
- मूल वृन्त से निकलने वाली शाखाओं को काट दें ।
- अनानास में हार्मोन का छिडकाव करें।
- थालों की सफाई करें।
- आम के मुख्य तने के चारों ओर 30 से.मी. चौडी पालिथिन की पट्टी के किनारे (नीचे की तरफ) ग्रीस का लेप करें ।
- आम के प्र्रति पेड की ब़वार के लिये 75 ग्राम फास्फोरस एवं 100 ग्राम पोटास डालें , इन मात्राओं को 10 वर्ष की आयु तक ब़ाते जायें , पूर्ण विकसित पौधों में 4.650 किलो ग्राम स्फुर तथा 1.600 कि.ग्राम. पोटाश प्र्रति पौध की दर से डालें ।
- नींबू एवं जम्बेरी के बीज की बोनी करें ।
- अंगूर, शहतूत तथा अनार की कलम तैयार करें ।
- आलू की फसल में उर्वरक देकर मिट्टी डालें ।
- शीतकालीन सब्जियों में उर्वरक डालें ।
- संकर टमाटर को सहारा दें ।
- फल सडने, पत्तियों के धब्बे वाली बीमारियों के नियंत्रण हेतु दवाओं का छिडकाव करें ।
- फूलों की देखभाल करें तथा उर्वरक डालें एवं चूसने वाले कीटों पर नियंत्रण रखें ।
- धनियाँ, जीरा, सौंफ की फसल पर चूर्णो रोग से बचाव हेतु ब्लाइटाक्स का छिडकाव करें ।
- अदरक की खुदाई करें, सडे हुये राइजोम को पृथक करें ।
- मिर्च की फसल पर 0.05 प्र्रतिशत डाई मिथोएट का छिडकाव करें ।
- मिर्च में फल सडन एवं डाईबैक के नियंत्रण हेतु 1.500 ग्राम डाई फालिटान का छिडकाव करें ।
- केला एवं पपीता में उर्वरक दें।
- आलू की फसल में मिट्टी डालें
- आलू की बोनी करें ।
- शीतकालीन सब्जियों के बोने एवं रोपा लगाने का कार्य करें ।
- सब्जियों के फल छेदक, फल सडन एवं डाईबैक, िप्स की रोकथाम के उपाय किये जायें ' फूटराट के लिये 1.5 ग्राम ब्लाइटाक्स या डाइफालिटान प्र्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें ।
- धनियाँ में पाउड्री मिल्डय्यू नियंत्रण हेतु 0.2 प्र्रतिशत गंधक का छिडकाव करें ।
- सौंफ एवं जीरा की बोनी करें ।
- मैथी में चूर्णो फफूंद नियंत्रण हेतु 15 किलोग्राम गंधक का भुरकाव करें ।
दिसम्बर
- आम के गांठ कीट के नियंत्रण हेतु 2.5 मि.ली. प्र्रति लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिडकाव करें ।
- आम,नींबू, संतरा, मौसम्बी में गमोसिस तथा एन्उौक्नोज के नियंत्रण हेतु 2.5 ग्राम ब्लाइटाक्स प्र्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें ।
- आम में सिंचाई न करें ।
- अमरूद, नींबू, पपीता के फलों की तुडाई करें ।
- फसल को पाले से बचायें ।
- मूलवृन्त से निकलने वाली शाखाओं को काट दें ।
- अंगूर के पाधों पर गंधक का छिडकाव करें ।
- अमरूद की फसल तुडाई के पश्चात सूखी टहनियों की छंटाई तथा फफूंद सूटक पृथक करें ।
- फलपौध रोपण हेतु कृषक एवं क्षेत्र का चयन करें ।
- सिंचाई जल बचत हेतु प्लास्िटक मल्च का उपयोग करें ।
- अरबी, परवल, कुंदरू, चौलाई की फसल लगायें ।
- कद्दध् वर्गीय फसलों पर रस चूसने वाले कीटों के नियंत्रण हेतु दवा का छिडकाव करें ।
- इथरेल का 50 पी.पी.एम. का 4 पत्ति की अवस्था में कद्ददू लौकी, करेला, ककडी आदि पर छिडकाव करें ।
- मिर्च का रोपण तैयार करें ।
- अदरक एवं हल्दी की रोपाई तैयार करें ।
- धनियाँ , लहसुन, प्याज एवं अन्य मसाले वाली फसलों की कटाई करें ।
- नर्सरी तैयार करने हेतु मृदा का सोलोराइजेशन करें ।
- आलू में विषाणु रोग से प्र्रभावित पौधों को उखाडकर नष्ट कर दें तथा कीट नाशक एवं फफूंद नाशक दवाइयों का स्प्र्रे करना
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