मिट्टी जाँच को पहल दें किसान
जिस प्रकार मनुष्य एवं जानवरों को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार फसलों के लिये भी संतुलित आहार ( पोषक तत्वों) की आवश्यकता होती है। अत्यधिक एवं असंतुलित उर्वरकों तथा कृषि रसायनों के प्रयोग से खेत की मिट्रृटी मृत हो रही है या दिनों दिन उत्पादन क्षमता घट रही है। मिट्टी के रासायनिक परीक्षण के लिए पहली आवश्यक बात है – खेतों से मिट्टी के सही नमूने लेना। खेत की उर्वरा शक्ति की जानकारी के न केवल अलग-अलग खेतों की मृदा की आपस में भिन्नता हो सकती है, बल्कि एकलिये ध्यान योग्य बात है कि परीक्षण के लिये मिट्टी का जो नमूना लिया गया है, वह आपके खेत के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व करता हो।
नमूना लेने का उद्देश्य
रासायनिक परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने एकत्रित करने के मुख्य तीन उद्देश्य हैं:
* फसलों में रासायनिक खादों के प्रयोग की सही मात्रा निर्धारित करने के लिए।
* ऊसर तथा अम्लिक भूमि के सुधार तथा उसे उपजाऊ बनाने का सही ढंग जानने के लिए।
* बाग व पेड़ लगाने हेतु भूमि की अनुकूलता तय करने के लिए।
* खेत की मिट्टी कौन-कौन से फसल के लिये उपयुक्त है।
* मिट्टी की अम्लीयता, क्षारीयता (पी.एच.) विद्युत चालकता का स्तर जानने के लिए!
1. नमूना लेने के औजार:
मृदा का सफल नमूना लेने के लिये मृदा परीक्षण टयूब (soil tube), बर्मा फावड़ा तथा खुरपे, दो पॉलीथीन, धागा, सादा कागज, साफ पुराना अखबार का प्रयोग किया जा सकता है।
2. भूमि की सतह से हल की गहराई (0-15 सें.मी.) तक मृदा हेतु टयूब या बर्मा द्वारा मृदा की एकसार टुकड़ी लें। यदि आपको फावड़े या खुरपे का प्रयोग करना हो तो ‘’v’’ आकार का 15 सें.मीं. गहरा गड्ढा बनायें। अब एक ओर से ऊपर से नीचे तक 10-12 अलग-अलग स्थानों (बेतरतीब ठिकानों) से मृदा की टुकड़ियाँ लें और उन पर सबको एक भगोने या साफ कपड़े में इकट्ठा करें।
मिट्टी का नमूना कब लें ?
गर्मियों में रबी फसल की कटाई के बाद से लेकर खरीफ की बुवाई के पहले तक।
जहां लगातार पूरे वर्ष फसलें ली जाती है वहां कटाई के तुरंत बाद।
बहुवर्षीय/खड़ी फसल में पौधों की कतार के बीच से मिट्टी का नमूना लें।
सावधानियॉं –
1. वृक्ष और देशी खाद के ढेर के नीचे की मिट्टी न ले।
2. खेत के कोनों एवं मेड़ से एक मीटर अंदर के ओर की मिट्टी न लें।
3. अधिकतर समय पानी भरे रहने वाले एवं नाली के पास के स्थान से मिट्टी न लें।
4. खेत की मिट्टी यदि अलग – अलग है तो नमूना की मिट्टी अलग –लगग लें।
5. उर्वरक, खाद, नमक की बोरी के ऊपर मिट्टी नमूना न सुखवायें।
6. खेत की मिट्टी में स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाले कंकड़ आदि अलग न करें।
7. मिट्टी नमूना रखने के लिए नई एवं साफ पॉलीथीन का प्रयोग करें।
8. यदि खेत ऊंचहन, निचहन है और फसल अलग- अलग बोते हैं तो मिट्टी का नमूना अलग – अलग लें।
9. नमूना पत्रक उपलब्ध न होने पर सादे कागज में नाम, पता, रकबा, खेत निशानी, सिंचाई स्त्रोत, असिंचित, ली गई फसल, प्रस्तावित अगली फसल दिनांक, अन्य संबंधित जानकारी लिखकर मिट्टी नमूना के साथ भेजें।
10. अधिकतम एक हेक्टेयर क्षेत्रफल तक के खेत से एक नमूना लें।
मिट्टी परीक्षण दोबारा कितने समय के अंतराल पर करायें.. ?
* कम से कम 3 या 5 साल के अन्तराल पर अपनी भूमि की मृदा का परीक्षण एक बार अवश्य करवा लें। एक पूरी फसल-चक्र के बाद मृदा का परीक्षण हो जाना अच्छा है। हल्की या नुकसानदेह भूमि की मृदा का परीक्षण की अधिक आवश्यकता है।
* वर्ष में जब भी भूमि की स्थिति नमूने लेने योग्य हो, नमूने अवश्य एकत्रित कर लेना चाहिये। यह जरूरी नहीं कि मृदा का परीक्षण केवल फसल बोने के समय करवाया जाये।