कृषि क्षेत्र में गोबर व गोमूत्र का आर्थिक महत्त्व
Submitted by Aksh on 9 January, 2016 - 23:33वास्तविकता यह है कि भारतीय प्राचीन ग्रन्थों के रचनाकार स्वयं में महान दूरदर्शी वैज्ञानिक थे। अपने ज्ञान के आधार पर उन्होंने सामान्य व साधारण नियम-कानून एक धार्मिक क्रिया के रूप में समाज के सामने प्रस्तुत किये ताकि मानव समाज पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनके वैज्ञानिक ज्ञान व अनुभवों का लाभ उठते हुए प्राकृतिक पर्यावरण को बिना हानि पहुँचाए एक स्वस्थ जीवन बिता सके।
गाय को भारत में ‘माता’ का स्थान प्राप्त है। भारत के कई प्राचीन ग्रन्थों में अनेक स्थानों पर पढ़ने को मिलता है कि ‘गोबर में लक्ष्मीजी का वास होता है’। यह कथन मात्र ‘शास्त्र’ वचन नहीं है यह एक वैज्ञानिक सत्य है।