सिंचाई के साधन वाले किसान नवम्बर का करें इंतजार
सिंचित क्षेत्र के किसान थोड़ा इंतजार करते हुए गेहूं की बुआई नवम्बर व दिसबंर माह तक करें, क्योंकि उचित समय पर बुआई करने से उत्पादन तो अधिक होता ही है। साथ ही फसल पर रोग व कीटों का प्रकोप कम होता है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव उमठ बताते हैं कि प्रदेश में गेहूं रबी की प्रमुख फसल है परंतु इसका औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादन विगत वर्षों में अन्य वर्षों की तुलना में काफी कम है। यदि उन्नत बीज समय से सिंचाई, खाद एवं उर्वरक का संतुलित उपयोग वैज्ञानिक विधि से किया जाए तो गेहूं की पैदावार 40-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
भूमि का चयन बेहतर हो
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एनएस खेड़कर बताते हैं कि भूमि का चुनाव एवं तैयारी फसल की विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है लेकिन अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए दोमट एवं बुलई दोमट मिट्टी जिसमें जीवाष्म पदार्थ की प्रचूर मात्रा व मृदा का पीएच मान सामान्य हो सर्वोत्तम मानी जाती है। खेत में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने बाद में दो-तीन जुताई देसी हल अथवा हेरो द्वारा करें। जिससे मिट्टी के नीचे कठोर परत टूट जाए तथा तत्पश्चात खेत में पाटा लगाना चाहिए, जिससे खेत में ढेले ने बने मिट्टी भुरभुरी हो जाए। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीआर अंबावतिया का कहना है कि बीज बोने का समय व बीज दर बीज की उचित समय पर बोवनी करने से उत्पादन तो अधिक होता है। फसल पर रोग व कीटों का प्रकोप भी कम होता है।
असिंचित खेती करने वाले किसान
वैज्ञानिक डॉ. सुधीरसिंह धाकड़ ने बताया कि असिंचित अर्द्घसिंचित 120-135 प्रति हेक्टेयर किलोग्राम रखते हुए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 से 30 सेमी एवं गहराई 5 से 6 सेमी रखें। इसका बुआई का समय 15 से 30 अक्टूबर रखें। सिंचित गेहूं में 80 किलोग्राम से 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज रखते हुए 20 से 23 सेमी पंक्ति से पंक्ति की दूरी रखें। बीज को 2 से 3 सेमी गहराई रखें व बुआई 15 से 30 नवंबर रखें।
देर से बुआई करने वाले किसानों को सलाह
सिंचित क्षेत्र देर से बुआई करने वाले किसानों को डॉ. एके मिश्रा की सलाह है कि सिंचित क्षेत्र में देर से बुआई करना चाहते हैं तो बीज दर प्रति हेक्टेयर 100 से 120 किलो तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 से 18 सेमी तथा बीज की जमीन में गहराई 2 से 3 इंच रखें तथा बुआई 15 से 30 दिसंबर तक कर सकते हैं।
उन्नत जातियां
डॉ. धाकड़ के अनुसार सिंचित व अर्द्घसिंचित क्षेत्र के लिए एच डब्ल्यू 2004 अमर एचआई 1500 अमृता, एचआई 1531 हर्षिता, जेबल्यू एच-17 की बुआई कर सकते हैं। डॉ. खेड़कर के अनुसार सिंचित समय से बुआई करने वाले किसानों के लिए एचआई 1418 नवीन चन्दोसी, एचआई 1544 पूर्णा, जीडल्यू 366, जीडब्ल्यू 322, जीडब्ल्यू 273 की बुआई कर सकते हैं। डॉ. उमठ ने बताया कि सिंचित क्षेत्र में देर से बुआई करने की इच्छा रखने वाले किसान एमपी 4010, एचआई 1418 नवीन चन्दोसी, एचआई 1454 आमा, जीडब्ल्यू 173 की बुआई कर सकते हैं।