किसान का गौरवशाली अतीत था, आज किसान को मार्गदर्शन चाहिए
आज किसान बहुत दुविधा में पड़ा है। वह चाहता है कि वह रासायनिक खाद से कैसे छुटकारा पाए ताकि उसकी धरती फिर से उपजाऊ हो। वह भुल सा गया है कि उनके पुरखे गोबर और गोमूत्र से खाद बनाकर इतने सम्पन्न थे कि उन्होंने आजादी की लड़ाइयों अर्थात 1857, 1905 और 1930 स्वतंत्रता आंदोलनों में सबसे अधिक भाग ही नहीं लिया बल्कि उसमें दिल खोलकर धन भी खर्च किया। उस समय के किसान सम्पन्न थे और देश-भक्त तो थे ही। अंग्रेजी शासकों ने ये सब जानते हुए किसान को खत्म करने की एक साजिश रची। उन्होंने एक कानून पास किया जिसका नाम रखा ‘लैण्ड एक्यूसाईज़ेशन एक्ट’ जिससे हर रोज अत्याचारों के माध्यम से किसानों की खड़ी-फसल की भूमि को छीनते चले गए। इन अत्याचारों से किसान बेबस हो गया और उसने कई हालतों में भूमि पर बुवाई तक बंद कर दी। जिन किसानों ने बुवाई की और फसल उठाई तो अंग्रेजी शासकों ने वह धान, गेहूं और अनेक प्रकार की सामग्रियों को छीन लिया और किसानों की पूरी तरह हालत खाराब कर दी ताकि वह आर्थिक, शारीरिक अथवा मानसिक तौर पर स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग न ले सकें। कहावत प्रसिध्द थी कि सबसे उत्तम काम खेती है, व्यापार मध्यम दर्जे पे है ओर नौकरी करना तो ‘नीच’ माना जाता था। ‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, निकृष्ट चाकरी, भीख निदान’। आज किसान यह सब कुछ भूल कर छोटी-मोटी नौकरियों के पीछे भाग रहा है। ये सब किसान को याद दिला देने का समय आ गया है ताकि वह यूरिया और अन्य रासायनिक खादों और कीट नाशक को छोड़ कर, गोमूत्र से ये सब वस्तुएं मुफ्त में बहुत थोड़े परिश्रम के साथ बनाकर और खेतों में उनका प्रयोग कर उत्तम खेती की उस लोकोक्ति को फिर से चरितार्थ करे।
किसान उत्तम खाद कैसे बनाए?
देशी और अति उत्तम खाद बनाने की विधि है- गोबर- 15 किलो, गोमूत्र- 15 लीटर, कोई भी गुड़- एक किलो, कोई भी दाल पिसी हुई- 1 किलो, पुराने पेड़ के नीचे की मिट्टी- 2 किलो, इन सब वस्तुओं को 150 लीटर से 200 लीटर तक के जल में डालकर और अच्छी तरह ड्रम में घोलकर 15 दिन तक रखें तो यह खाद एक एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त है। इसको खाली खेत में छिड़कना चाहिए और खड़ी-फसल में पानी देते समय उसमें मिला दें। यह खाद एक एकड़ के लिए पर्याप्त होगा और ऐसी ही खाद बनाकर 3-4 बार खेत में डालने से यूरियाऔर अन्य रसायनिक खादों का, जिन से किसान की भूमि बंजर हो चली हो, असर खत्म हो जाएगा और इस खाद से उत्तम खेती होगी। कई दिन ड्रम में पड़ी रहे और किसी कारण भी प्रयोग में न लाई जाए तो वह कभी खराब नहीं होती। गोमूत्र इकट्ठा करने के लिए रात को जिस स्थान पर गाय बाधें वह पक्का होना चाहिए और हल्की सी ढ़लान वाला। तब गाय मूत्र करेगी तो हल्की सी ढ़लान के कारण गोमूत्र एक जगह इकट्ठा हो जाएगा और बाहर की तरफ एक जमीन के अंदर पक्के गड्ढे में जमा हो जाएगा।
कीट नियंत्रक बनाने की विधिः-
एक एकड़ भूमि के लिए कीट नियंत्रक बनाने के लिए हमें चाहिए 20 लीटर गाय का मूत्र, ढ़ाई-तीन लीटर किलो नीम की पत्ती या निमोली, ढाई किलो के पत्ते, ढाई किलो आंकड़ा के पत्ते, ढाई किलो भेल के पत्ते, ढाई किलो आड़ू के पत्तों की चटनी बनाकर उबालें और उसमें 20 गुना पानी डालें तो यह कीट नियंत्रक तैयार हो गया। इसको खड़ी-फसल पर छिड़कने से कीड़े जो फसल को हानि पहुंचाते हैं, वे तो खत्म हो ही जाएंगे परन्तु फसल को किसी प्रकार की हानि नहीं होगी।
बीज को उत्तम बनाने की विधिः-
बीज को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए 1 किलो बीज के लिए हमें एक किलो गोबर, एक किलो गोमूत्र, 100 ग्राम चूने को तीन दिन तक भिगोया हुआ पानी (वह चूना जो पुताई के काम आता है), इन सबको अच्छी तरह मिलाकर वह एक किलो बीज को 2 से 6 घंटे भिगोकर उसकी छाया में सुखा कर खेती में बो दें। हमारे किसान भाई ये याद रखें कि सूरज की धूप और खुली हवा फसल को उत्तम बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। इन सब विधियों से किसान 2-4, बल्कि इससे भी अधिक, फसलें उठा सकता है। ऐसी फसलों को बहुत कम पानी चाहिए बल्कि खेत में नमी बने रहना ही पर्याप्त है। ऐसी उत्तम खेती किसान को फिर से सम्पन्न बनाने में सक्षम है और मनुष्य मात्र को स्वस्थ रखने में भी।
- मुलखराज विरमानी