आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा सहजन की खेती

औषधीय गुणों से भरपूर सहजन की खेती किसानों के लिए फायदेमंद है। कृषि वैज्ञानिकों ने सहजन का साल में दो बार फलने वाला प्रभेद भी तैयार किया है। इसे लोग मुनगा व मोरिंगा नाम से भी जानते हैं।

किसानों के लिए सहजन की खेती काफी लाभदायक है। छोटे किसान भी सहजन की खेती कर आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकते हैं। खास बात यह कि सरकार इसके लिए ऋण भी उपलब्ध कराने को तैयार है।

नीलगाय भगाने को बनायें हर्बल घोल

 शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जहां खेतों को नीलगाय नुकसान न पहुंचाते हों। नीलगाय के झुंड जिस खेत में घुस जाते हैं उस खेत की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं। मट्ठा और लहसुन के घोल तथा गोमूत्र का फसलों पर छिडक़ाव करने से नीलगाय से छुटकारा मिल सकता है।

जैविक खेती करने के तरीके

परिक्रमण :-

एक ही क्षेत्र में वर्ष दर वर्ष एक ही प्रकार की फसल उगाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और मिट्टी में कीट, रोग और घास-फूस की पैदावार को बढ़ावा देता है. फसल को हर साल अलग-अलग जगह पर ले जाना चाहिए और वापिस से मूल क्षेत्र में कई सालों तक वापिस नही ले जाना चाहिए. सब्जियों के लिए कम से कम ३-४ साल का परिक्रमण की सिफारिश की गयी है. 

फसल परिक्रमण का मतलब है जहा मिट्टी की उर्वरता बढाई जाती है. विभिन्न प्राकृतिक शिकारियों को भी यह मदद करता है, उनके लिए विविध निवास और भोजन स्त्रोत उपलब्ध कराके ताकि वो खेत पर जीवित रह सके. 

खाद :-

खेती की लागत कम करने के उपाय

 खेती की लागत कम करने के उपाय

खेती को लाभदायक बनाने के लिए दो ही उपाय हैं- उत्पादन को बढ़ाएँ व लागत खर्च को कम करें। कृषि में लगने वाले मुख्य आदान हैं बीज, पौध पोषण के लिए उर्वरक व पौध संरक्षण, रसायन और सिंचाई। खेत की तैयारी, फसल काल में निंदाई-गुड़ाई, सिंचाई व फसल की कटाई-गहाई-उड़ावनी आदि कृषि कार्यों में लगने वाली ऊर्जा की इकाइयों का भी कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान है। इनका उपयोग किया जाना आवश्यक है, परंतु सही समय पर सही तरीके से किए जाने पर इन पर लगने वाली प्रति इकाई ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इनका अपव्यय रोककर व पूर्ण या आंशिक रूप से इनके विकल्प ढूँढकर भी लागत को कम करना संभव है। इस दिशा में किए गए क

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