अब हर मौसम प्‍याज किसानों को अच्छा मुना़फा

भले ही प्याज आपको रूलाता हो, लेकिन सेहत के नज़रिए से यह का़फी फायदेमंद है. वैज्ञानिकों का तो दावा है कि प्याज खाने से दिल संबंधी रोगों का खतरा बहुत कम हो जाता है. यही नहीं प्याज खराब कोलेस्ट्रॉल को भी शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है. प्याज में केलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में होता है. इसमें 11 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है. यह जीवाणुरोधी, तनावरोधी व दर्द निवारक, मधुमेह नियंत्रक, प्रदाह निवारक, पथरी हटाने वाला और गठियारोधी भी है. भारत में तो  यह प्रतिदिन के भोजन में इश्तेमाल किया जाता है.

स्टीकी ट्रैप फसल रक्षा का आसान और सुरक्षित उपाय

अब किसानों को बिना घातक कीटनाशकों के छिड़काव किए अपनी फसल की रक्षा कर सकेंगे। ऐसा संभव हो पाया है स्टीकी ट्रैप की वजह से।

यह पतली सी चिपचिपी शीट फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल के करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है। स्टीकी ट्रैप में शीट पर कीट आ कर चिपक जाते है जिसके बाद वहफसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं।

केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के प्रभारी डॉ उमेश कुमार रसायनिक दवा से कीट नियंत्रण कई दुष्प्रभाव गिनाए। उन्होंने बताया, ”रसायनिक दवाओं से कीट नियंत्रण में कई तरह की दिक्कत आती हैं,

फसल में फूल भेदक सुण्डी के प्रकोप की चेतावनी

फूल भेदक सुण्डी के प्रकोप

गन्ने, चने और मक्के के किसान फूल भेदक की सुण्डियों से अपनी फसल रक्षा करें। यह कहना पंतनगर स्थित गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ. एसएन तिवारी का। उन्होंने बताया, ”चने, मक्के में फली बेधक कीट की सूडिय़ों का प्रकोप देखा गया है। जबकि गन्ने की पत्तियों को सैनिक कीटों की सूडिय़ां नुकसान पहुंचा रही हैं, जो लाखों-करोड़ों की संख्या में खेतों में घुसकर पौधों के विभिन्न भागों को खा रही हैं।” इन कीटों के नियंत्रण के लिए छिड़काव दोपहर के बाद करने पर दवाओं का अधिक असर पड़ता है और कीटनाशी रसायनों का छिड़काव करते समय सभी सावधानियों का समुचित रूप से पालन करें।

टमाटर, आलू की फसलों को विदेशी कीट से खतरा

‘पिन वर्म’ नामक एक विदेशी कीट के आक्रमण का खतरा उत्तर प्रदेश की टमाटर व आलू जैसी फसलों पर मंडरा रहा है। यह कीट कुछ ही समय में पूरी फसल चट करने की क्षमता रखता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग को कीटों पर शोध करने वाली लखनऊ स्थित केंद्रीय संस्था केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र (सीआईपीएमसी) ने इस अमेरिकन कीट के प्रति आगाह किया जा चुका है। ”अभी इस कीट के उत्तर प्रदेश में पाए जाने की अधिकृत सूचना नहीं है किन्तु इसकी सम्भावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता।” सीआईपीएमसी के प्रभारी डॉ उमेश कुमार ने बताया। उन्होंने जानकारी दी कि कुछ समय पहले ही कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश

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