कुदरती खेती करेगा तो किसान मजदूर नहीं बनेगा

कुदरती खेती करेगा तो किसान मजदूर नहीं बनेगा

पंजाब में इस समय नए रचनात्मक कृषि सृजन का शंखनाद हो चुका है। खेती विरासत मिशन रासायनिक कृषि के बुरे नजीते भुगत रहे पंजाब के किसानों को नया विचार, नया जीवन व नया संसार देने के लिए प्रयासरत है। पिछले ढाई वर्षों में यह आंदोलन तेजी से कामयाबी की ओर बढ़ा है। शुरू-शुरू में इस आंदोलन के विचार को गए जमाने की बात बता कर इस पर हंसने वाले भी अब इसकी ताकत को समझने व स्वीकारने लगे हैं। यह उस महान व्यक्ति की अतिविशेष कार्यशैली के कारण संभव हुआ है, जिसके लिए त्याग की मूर्ति जैसी उपमा छोटी पड़ जाती है। श्री उमेन्द्र दत्त के काफिले में पंजाब के साधारण लोग ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य विषेशज्ञ, पर्यावरण प्रेमी, स

बूंदाबांदी से खुले में पड़ी गेहूं भीगी, कटाई भी रुकी

बूंदाबांदी से खुले में पड़ी गेहूं भीगी, कटाई भी रुकी

सोमवार की सुबह क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी से अनाज मंडीयो  में खुले में पड़ी गेहूं की ढेरियां व बोरियां भीग गयी। बारिश के कारण खेतों में चल रही गेहूं की कटाई का काम भी रुकने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। सोमवार को सुबह 3 बजे क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी शुरू हो गई। 4 घंटे तक रुक-रुक कर बारिश होती रही। बारिश के कारण गेहूं की कटाई व थ्रेसिंग का काम ठप पड़ गया। पिछले दो दिन से चल रही तेज हवाओं से किसानों को थ्रेशर से गेहूं की फसल निकालने में परेशानी हो रही थी।

बारिश से बर्बाद हुई फसल, भंडारण केन्द्र में अनाज भीगा

 बेमौसम बारिश ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। इधर खेतों व खलिहानों में रखी गेहूं व चने की फसल बारिश से भीग गई है। रुक-रुक कर हो रही के वर्षा के चलते खलिहानों में रखी फसल की गहाई नहीं हो पा रही। दूसरी ओर किसान खेतों में पड़ी फसल भी नहीं समेट पा रहे हैं। वहीं बारिश से भंडारण केन्द्र में भीगी धान धूप में पसीज रही है। खराब हो रही धान की री पैकिंग की जा रही है। भंडारण केन्द्र से तेजी से मिलिंग के लिए धान का उठाव किया जा रहा है। हालांकि जिम्मेदार पुराने स्टॉक के भीगने की बात कर लापवाही के मामले में पल्ला झाड़ रहे हैं। जिला विपणन अधिकारी देवेन्द्र यादव की मानें तो औपन कैप में करीब 1

:बैसाखी फसल पकने की खुशी का प्रतीक

बैसाखी का त्यौहार आते ही पूरे देश में हरियाली व खुशहाली छा जाती है. वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में बैसाखी मनाई जाती है. बैसाखी मुख्यतः: पंजाब या उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, लेकिन भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न नाम (बैसाख, बिशु, बीहू व अन्य) से जाना जाता है. यह त्यौहार अक्सर 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है. बैसाखी रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है.

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