भारतीय कृषि की समस्याएँ

भारतीय कृषि की समस्याएँ

भारत कृषि प्रधान देश है, परन्तु यहाँ कृषि की दशा सन्तोषजनक नहीं है। कृषि उत्पादन में वृद्धि पूर्व में जनवृद्धि दर से भी कम रही। इसी कारण 1975 तक देश की खाद्य समस्या जटिल बनी रही। निम्न स्तर पर सीमित विकास के बावजूद आज भी भारतीय कृषि परम्परावादी है। भारतीय किसान खेती व्यसाय के रूप में नहीं करता है, बल्कि जीविकोपार्जन के लिये करता है। कृषि की पुरानी परम्परागत विधियों, पूंजी की कमी, भूमि सुधार की अपूर्णता, विपणन एवं वित्त संबंधी कठिनाइयों, आदि के कारण भारतीय कृषि की उत्पादकता अत्यन्त न्यून है। अब नई पीढ़ी में शिक्षा एवं कृषि को कमाई का साधन मानने की प्रर्वति से भी कृषि एवं कृषक की आर्थिक दशा म

उत्‍तर भारत में खरीफ मौसम में प्‍याज की खेती

उत्‍तरी भारत में प्‍याज रबी की फसल है यहां प्‍याज का भंडारण अक्‍टूबर माह के बाद तक करना सम्‍भव नही है क्‍योकि कंद अंकुरित हो जाते हैं।

इस अवधि‍(अक्‍टूबर से अप्रैल) में उत्‍तर भारत में प्‍याज की उपलब्‍ध्‍ता कम होने तथा परिवहन खर्चे के कारण दाम बढ जाते हैं। इसके समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने उत्‍तर भारत के मैदानो में खरीफ में भी प्‍याज की खेती के लिए एन-53(N-53) तथा एग्रीफाउंड डार्क रैड नामक प्‍याज की किस्‍मों का विकास किया है।

प्‍याज की किस्‍म : एन-53(आई.ए.आर.आई.); एग्रीफाउंड डार्क रैड (एन.एच.आर.डी.एफ.)

व्यावसायिक फसलों को पैदा कर रहे छोटे किसान

देश में छोटे किसान व्यावसायिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. अब वो उन्नत किस्म के बीज बोते हैं. और नये-नये तरीके अपना रहे हैं. गन्ना देश में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली व्यवयायिक फसलों में से एक है. साल 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश में 3,39,167 हज़ार टन गन्ने का उत्पादन हुआ जिसमें 35 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश का था, लगभग 12000 हज़ार टन के आसपास. इतने बड़े आंकड़ों को पढ़कर कोई भी यही सोचेगा कि देश में बड़े किसान बहुत हैं जो अच्छा उत्पादन कर रहे हैं पर ऐसा नहीं है. देश में लगभग 43 लाख 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती होती है जिसमें से ज्य़ादातर किसान छोटे और मझोले किसान हैं.

छोटे किसानों की ओर लौटती दुनिया

संयुक्त राष्ट्र ने कृषि को बढ़ावा देने के मकसद से इस साल को फैमिली फार्मिग ईयर के रूप में मनाने की घोषणा की है। इसका सीधा-सा मतलब यह है कि अगर दुनिया के सीमांत और छोटे किसानों की पैदावार पर ध्यान केंद्रित किया जाए, तो विश्व की खाद्यान्न समस्या से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है।

Pages