धान की फसल को बरबाद कर सकता है खैरा

खरीफ फसलों में धान की फसल मुख्य है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की खेती सबसे ज्यादा होती है। इस फसल में खैरा रोग की संभावना ज्यादा होती और अगर समय से उपचार नहीं हुआ तो फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। समय रहते इसकी पहचान और रोग से बचाव का उपाय कर फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस रोग का प्रमुख कारण मिट्टी में जिंक की कमी होती है, जिसके बारे में मृदा परीक्षण कर जाना जा सकता है।

बारिश के बाद गेहूं पर अब फफूंदी की मार

वीट आफ्टर rain

बारिश ने गेहूं को खेतों में बिछा दिया। अब पर्याप्त हवा, धूप नहीं मिलने से गिरी फसल भी गलने लगी है। वह फफूंदी की चपेट में आ गई है। इससे उसमें निकलने वाला दाना कमजोर तो होगा ही संक्रमण से उसमें बदबू भी आने लगेगी। सिर्फ दाना ही नहीं, गेहूं का पौधा भी गलने लगा है, जिससे भूसा भी नहीं हो सकेगा। यह किसानों के लिए कुदरत की दोहरी चोट होगी।

फूलों की खेती से हों मालामाल

हम ग्लैडोलस, गुलाब, गेंदा जैसे कई फूलों की खेती करते हैं। सबसे बढिय़ा कमाई ग्लैडोलस से होती है। यह पांच माह में तैयार हो जाता है और एक बार की फसल में दो से तीन लाख तक की कमाई हो जाती है।” वो आगे बताते हैं,”ग्लैडोलस फूल की खेती उन किसानों के एक लिए अच्छा अवसर है जो कम समय में बढिय़ा कमाई करना चाहते हों।”

रखें खास ध्यान

आम की फसल पर भी संकट

बे-मौसम बारिश का असर अन्य फसलों के साथ-साथ आम की फसल पर भी पड़ा है। पहले देर तक ठंड रहने से बौर की सेहत सही नहीं रही, जिससे प्रदेश के आम उत्पादन पर असर पड़ सकता है।आम का गढ़ मलिहाबाद इलाके के मेहमूदपुर गाँव के अजय पाठक (61 वर्ष) की बारिश और चार अप्रैल की सुबह चली आंधी ने चिंता बढ़ा दी है। ”यह साल आम उत्पादकों के लिए मुश्किल भरा रहने वाला है। पहले देर से बौर आया फिर बेमौसम बरसात और आंधी से तमाम बौर झड़ गया है। ऐसे में उत्पादन गिरना लाजिमी है।”

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